वसई विरार शहर हो रहा अतिक्रमण ग्रस्त, VVMC खेल रही MRTP नोटिस का “खेला”? पार्ट-2
24 फरबरी 2024 को प्रकाशित “वसई विरार शहर हो रहा अतिक्रमण ग्रस्त VVCMC खेल रही MRTP नोटिस का ‘खेला?” रिपोर्ट में हमने एक प्रभाग-G के अनधिकृत बांधकाम का वस्तुस्थिति और अनधिकृत बांधकाम के विरुद्ध मनपा का नर्म, असंवेदनशील एवं ग़ैरजिम्मेदार रवैये को दर्शाया था. ख़बर प्रकाशित हुए लगभग 10 दिन होने वाले है लेकिन अब तक वसई विरार मनपा के तरफ से कोई कार्यवाई होते हुए दिखाई नहीं दिया है?
आज इस रिपोर्ट में अनधिकृत बांधकाम/MRTP के काले खेल को हम एक और प्रभाग के आंकड़ों को शामिल कर समझने की कोशिश करेंगे और इसके साथ साथ यह भी जानने का प्रयास करेंगे है कि अनधिकृत बांधकाम या अनधिकृत निर्माण को रोकने में सरकारी तंत्र के अधिकार और कर्तव्य क्या हैं.
सबसे पहले हम आंकड़ों पर नज़र डालते है. जैसा की मेट्रो सिटी समाचार ने पिछली रिपोर्ट में बताया था कि वसई-विरार शहर महानगरपालिका (VVCMC) से प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार (जनवरी 2022 से अभी तक) महाराष्ट्र प्रादेशिक एवं नगर नियोजन अधिनियम 1966(MRTP) के उल्लंघन यानि अनधिकृत बांधकाम के 182 मामले दर्ज़ हुए है लेक़िन वसई-विरार शहर महानगरपालिका अनधिकृत बांधकाम एवं अवैध निर्माण को लेकर कितनी संवेदनशील है इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले ढाई वर्षो में महानगरपालिका के *”जी प्रभाग”* में MRTP की 182 नोटिस जारी की गई। इन मामलो में से मात्र 09 अनधिकृत बांधकाम (सिर्फ़ 5%) मामलों कार्रवाई हुई है शेष 95% मामले वसई विरार मनपा के फ़ाइलों में आराम फरमा रहे है. ये आंकड़ा सिर्फ जनवरी २०२२ से आज तक का है।
ठीक वैसे ही न्यायलय में विचाराधीन मामलो को छोड़ दें तो वसई विरार मनपा के “प्रभाग आई” में महाराष्ट्र प्रादेशिक एवं नगर नियोजन अधिनियम 1966(MRTP) के उल्लंघन यानि अनधिकृत बांधकाम के 415 मामले दर्ज़ है लेकिन MRTP की नोटिस तामील करने के बाद शायद ही उनपर कोई कार्यवाई की गई है? इनमे से बहुत से ऐसे मामले है जो दशकों पुराने है और कार्यवाई के इंतज़ार में हैं।
इससे तो यह स्पष्ट है कि अनधिकृत बांधकाम/MRTP के काले खेल वसई विरार मनपा द्वारा पोषित है और इसकी जड़े इतनी गहरी और भ्रष्ट हो चुकी है की वसई मनपा या नगर विकास विभागों में अब इसकी कोई सुध लेनेवाला नहीं है.
जनसँख्या में उद्वृद्धि के कारण उपनगरीय क्षेत्रो,ख़ासकर वसई विरार मनपा में अनधिकृत निर्माण चिंता का विषय रहा है। 20 मई 1960 को सरकार बी. बी पेमास्टर सीनियर (आईसीएस) सचिव की एक समिति नियुक्त की गई थी। समिति ने अध्ययन किया और 29 जून, 1961 को अधिनियम पारित किया। फिर महाराष्ट्र स्वामित्व फ्लैट अधिनियम 1963 पारित किया गया। उसके बाद एक के बाद एक महाराष्ट्र स्वामित्व फ्लैट नियम 1964, महाराष्ट्र क्षेत्रीय और नगर नियोजन अधिनियम(MRTP) 1966, महाराष्ट्र स्वामित्व अपार्टमेंट अधिनियम 1970, महाराष्ट्र स्वामित्व फ्लैट नियम 1972 जैसे कानून और नियम पारित किए गए। गर्व की बात यह है कि महाराष्ट्र अवैध निर्माण/बांधकाम पर रोक लगाने के लिए कानून बनाने वाला यह देश का पहला राज्य बना। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि अवैध निर्माण/अनधिकृत बांधकाम पर सख्त क़ानून रहते हुए भी वसई विरार मनपा और सम्बंधित शासकीय तत्व की लापरवाही,गैरज़िम्मेदारी और संरक्षित भ्रस्टाचार ने अवैध निर्माण/अनधिकृत बांधकाम को पोषित कर वसई विरार क्षेत्र की जनता को कई प्रकार की परेशानियों में डाल कर निश्चिंत है.
आइए अब अनधिकृत निर्माण/ अनधिकृत बांधकाम को रोकने में सरकारी तंत्र से संबंधित तत्व के अधिकारों और कर्तव्यों को समझें:
नगरपालिका के अधिकारियों की भूमिका
नगरपालिका के अधिकारी और कर्मचारी भी लोक सेवक हैं, आपराधिक संहिता की धारा 40(1)(सी) के अनुसार, वे भी पुलिस को अवैध निर्माण के बारे में सूचित करने के लिए करने के लिए बाध्य हैं। इनको अवैध निर्माण/अनधिकृत बांधकाम की सुचना पुलिस को तुरंत देनी चाहिए। महाराष्ट्र के शहरी विकास विभाग के तहत सभी योजना प्राधिकरणों को महाराष्ट्र क्षेत्रीय नगर नियोजन अधिनियम,1966 के तहत अनधिकृत निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई करने के संबंध में पहले के निर्देशों के अलावा अनधिकृत निर्माण के संबंध में, महाराष्ट्र नगर निगम अधिनियम की धारा 260, 267 और 267 (ए) और महाराष्ट्र क्षेत्रीय योजना अधिनियम,1966 की धारा 52, 53 और 54 और अन्य सहायक धाराओं के अनुसार कार्रवाई करने की जिम्मेदारी है। बी.पी.एम.सी. अधिनियम 1949 की धारा 267(1) के तहत नामित अधिकारी अवैध भवन का निर्माण शुरू करने वाले व्यक्ति को काम रोकने का नोटिस जारी कर काम बंद करा देने का अधिकार है। इसके अलावा, बॉम्बे नगर निगम प्रांतीय अधिनियम 1949 (ई.डी.यू.यू 1949) अधिनियम की धारा 397(1) (सी) में प्रावधान है कि अवैध निर्माण करने वाला व्यक्ति नामित अधिकारी द्वारा नोटिस दिए जाने के बाद भी इसका पालन करने में विफल रहता है तो यह बॉम्बे नगर निगम प्रांतीय अधिनियम 1949 के अनुसार एक अपराध है जिसके लिए 3 साल की सज़ा हो सकती है। यदि कोई नामित अधिकारी कर्तव्य का उल्लंघन करता है, तो वह उपरोक्त धारा के प्रावधानों के अनुसार अपराध के लिए उत्तरदायी होगा। महाराष्ट्र अपार्टमेंट स्वामित्व अधिनियम, 1970 की धारा 13(2) के अनुसार,डीड ऑफ डिक्लेरेशन को पंजीकृत करते समय,रजिस्ट्रार को इसके साथ फ्लोर प्लान,लेआउट प्लान, लोकेशन प्लान, अपार्टमेंट नंबर और सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित माप दिखाने वाले प्लान को भी रजिस्टर करना आवश्यक है।
साल 2018 के शासन परिपत्रक क्र.संकीर्ण-2018/प्र.क्र.510/नवि-20,दिनांक 03rd मई 2018 में MRTP अधिनियम में कुछ संशोधनों/बदलावों के साथ महाराष्ट्र सरकार ने सभी नगरपालिकाओं को सख्त आदेश दिया था कि अवैध निर्माण न होने दें और अवैध निर्माण होने की स्थिति में MRTP अधिनियम के तहत सख़्त कार्यवाई करें.
प्रतिभा कोऑपरेटिव हॉउसिंग सोसायटी बनाम महाराष्ट्र राज्य के मामले में 1991 में सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने फैसला सुनाया कि अनधिकृत निर्माण निवासियों के जीवन के लिए खतरनाक है।
अक्सर मनपा के अभियंता या अधिकारी जानबूझकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए पीड़ित शिकायतकर्ता को इस गलत धारणा के तहत अदालत में जाने की सलाह देते है कि यह बिल्डर/सोसाइटी का मामला है,नगरपालिका का नहीं है। जिससे की वो पीड़ित शिकायतकर्ता को गुमराह कर सके और कार्यवाई को जानबूझकर लंबे समय तक लंबित रख सके.
अतिक्रमण ग्रस्त वसई विरार शहर यहाँ के नागरिकों के लिए बहुआयामी गंभीर ख़तरा बना हुआ तो है ही साथ साथ वसई विरार शहर के विकास का बाधक भी है. अगर वसई विरार क्षेत्र को विकसित,बेहतर नागरी सुविधायुक्त एवं स्वच्छ शहर बनाना है तो अनधिकृत निर्माण के मामले में वसई विरार शहर महानगरपालिका के प्रत्येक संबंधित तत्व को अपनी असंवेदनशीलता,गैरजिम्मेदाराना,भ्रष्ट आचरण एवं भूमाफिया द्वारा वित्तप्रदत्त डांस बार में पार्टियों का परित्याग कर ईमानदारी से काम करना होगा और तभी वसई विरार शहर में क़ानून से बेख़ौफ़ लोग और राजनैतिक क्षत्रछाया में अवैध निर्माण में संलिप्त भूमाफिया क़ानून पालन करने के लिए मज़बुर होंगे।
शेष अगले अंक में ..
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