Bhiwandi Lok Sabha Election 2024 : भिवंडी लोकसभा सीट पर बदलते समीकरण, निलेश सांबरे ने झोंकी ताकत
Bhiwandi Lok Sabha Election 2024
भिवंडी लोकसभा क्षेत्र पिछले तीन चुनावों पर एक नज़र
2019 में भिवंडी लोकसभा क्षेत्र में कुल 18,90,100 मतदाता थे जो 2024 में बढ़कर कुल मतदाताओं की संख्या 20,72,310 हो गयी हैं। इनमें सबसे अधिक कुनबी, मुस्लिम, आगरी और आदिवासी समाज के लोग हैं। भिवंडी लोकसभा मुस्लिम बहुल मतदाताओं वाला क्षेत्र है, जिसमें भिवंडी (पूर्व) एवं (पश्चिम) सहित कल्याण विधानसभा क्षेत्र के मुस्लिम मतदाताओं के चलते एक समय यह कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। कांग्रेस के उम्मीदवार 2014 एवं 2019 का चुनाव हार गए, जिसके कारण यह सीट एनसीपी (शरद गुट) के पास चली गई।
पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में BJP प्रत्याशी कपिल मोरेश्वर पाटिल को जीत हासिल हुई थी, और उन्हें 5,23,583 वोट हासिल हुए थे. इस चुनाव में कपिल मोरेश्वर पाटिल को लोकसभा सीट में मौजूद कुल मतदाताओं में से 27.7 प्रतिशत का समर्थन प्राप्त हुआ था, जबकि इस सीट पर डाले गए वोटों में से 52.07 प्रतिशत उन्हें दिए गए थे.
लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान इस सीट पर INC प्रत्याशी तावड़े सुरेश काशीनाथ दूसरे स्थान पर रहे थे, जिन्हें 3,67,254 वोट मिले थे, जो संसदीय सीट के कुल मतदाताओं में से 19.43 प्रतिशत का समर्थन था, और उन्हें कुल डाले गए वोटों में से 36.52 प्रतिशत वोट मिले थे. इस सीट पर आम चुनाव 2019 में जीत का अंतर 1,56,329 रहा था.
इससे पहले, भिवंडी लोकसभा सीट पर वर्ष 2014 में हुए आम चुनाव के दौरान 1696584 मतदाता दर्ज थे. उस चुनाव में BJP पार्टी के प्रत्याशी कपिल मोरेश्वर पाटिल ने कुल 411070 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी. उन्हें लोकसभा क्षेत्र के कुल मतदाताओं में से 24.23 प्रतिशत ने समर्थन दिया था, और उन्हें उस चुनाव में डाले गए वोटों में से 46.94 प्रतिशत वोट मिले थे.
उधर, दूसरे स्थान पर रहे थे INC पार्टी के उम्मीदवार पाटिल विश्वनाथ रामचंद्र, जिन्हें 301620 मतदाताओं का समर्थन हासिल हो सका था, जो लोकसभा सीट के कुल वोटरों का 17.78 प्रतिशत था और कुल वोटों का 34.44 प्रतिशत रहा था. लोकसभा चुनाव 2014 में इस संसदीय सीट पर जीत का अंतर 109450 रहा था.
उससे भी पहले, महाराष्ट्र राज्य की भिवंडी संसदीय सीट पर वर्ष 2009 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान 1483176 मतदाता मौजूद थे, जिनमें से कांग्रेस उम्मीदवार तावड़े सुरेश ने 182789 वोट पाकर जीत हासिल की थी. तावड़े सुरेश को लोकसभा क्षेत्र के कुल मतदाताओं में से 12.32 प्रतिशत वोटरों का समर्थन हासिल हुआ था, जबकि चुनाव में डाले गए वोटों में से 31.29 प्रतिशत वोट उन्हें मिले थे.
दूसरी तरफ, उस चुनाव में दूसरे स्थान पर BJP पार्टी के उम्मीदवार पाटिल जगन्नाथ रहे थे, जिन्हें 141425 मतदाताओं का साथ मिल सका था. यह लोकसभा सीट के कुल वोटरों का 9.54 प्रतिशत था और कुल वोटों का 24.21 प्रतिशत था. लोकसभा चुनाव 2009 में इस संसदीय सीट पर जीत का अंतर 41364 रहा था.
भिवंडी 2024 लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय संघर्ष
भिवंडी क्षेत्र में अच्छी पकड़ रखने वाले नीलेश सांबरे द्वारा निर्दलीय चुनाव लड़ने की आधिकारिक पुष्टि होने के बाद से ही यह चुनाव द्विध्रुवी से पलट कर त्रिकोणीय बन गया है. त्रिकोणीय मुक़ाबला की स्थिति बन जाने के बाद से ही महायुति के बीजेपी उम्मीदवार कपिल पाटिल एवं महाविकास आघाडी के एनसीपी (शरद गुट) उम्मीदवार सुरेश म्हात्रे उर्फ़ बाल्या मामा गुट में गहमागहमी बढ़ गयी है.
जिजाऊ संस्था के माध्यम से नीलेश सांबरे ने भिवंडी लोकसभा क्षेत्र में कई उल्लेखनीय सामाजिक कार्य किये है जिसमे शिक्षा से लेकर महिला सशक्तिकरण शामिल है. भिवंडी लोकसभा क्षेत्र में पावर लूम बड़ी संख्या में हैं और जिसमें ज़्यादातर अल्पसंख्यक वर्ग के लोग काम करते हैं। माना जा रहा है कि नीलेश सांबरे को इस वर्ग से काफ़ी समर्थन मिलने की संभावना है।
सीट बंटवारे को लेकर महायुति के साथ साथ इंडिया गठबंधन में असंतुष्टि की निरंतर ख़बरें आती रही है. भिवंडी भी इससे अछूता नहीं है. एनसीपी (शरद गुट) के सुरेश म्हात्रे को उम्मीदवार बनाए जाने से कांग्रेसियों में अब भी नाराजगी है। कांग्रेस के पदाधिकारियों का कहना है कि भिवंडी कांग्रेस की परंपरागत सीट है। यहां एनसीपी का कोई वर्चस्व नहीं है। इसके बावजूद दबाव बनाते हुए एनसीपी को सीट दे दी गई है। यदि कांग्रेस में बगावत जारी रहती है, तो म्हात्रे की राह आसान नहीं होगी।
वहीँ भाजपा का 10 वर्षो से भिवंडी लोकसभा पर क़ब्ज़ा है लेकिन बीजेपी सांसद कपिल पाटिल द्वारा किये गए कार्यों से मतदाताओं के अच्छा ख़ासा असंतोष मालूम पड़ता है ऐसे में भाजपा को भिवंडी में सत्ता-विरोधी भावना का सामना करना पड़ सकता है. महायुति और इंडिया गठबंधन की गुटबाज़ी की लगातार आ रही ख़बरों से जनता एक तीसरे विकल्प की तलाश कर सकती है.अगर ऐसा हुआ तो निर्दलीय उम्मीदवार नीलेश सांबरे तीसरे विकल्प के रूप में एक बेहद मज़बूत दावेदार हो सकते हैं.
क्या है मतदाताओं का समीकरण
भिवंडी लोकसभा क्षेत्र में 37% कुनबी, 21% मुस्लिम,15% आगरी और दलित एवं अन्य 27% मतदाता हैं. महायुति और इंडिया गठबंधन की गुटबाज़ी के एवं सत्ता-विरोधी भावना ने इन मतदाताओं को भ्रमित कर रखा है.
मतदाता बताते है कि मौजूदा सांसद ने इस इलाक़े कोई उल्लेखनीय विकास का कार्य नहीं किया। लोग अभी भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. ऐसे में मतदाताओं में व्याप्त हताशा ने निर्दलीय उम्मीदवार नीलेश सांबरे को भिवंडी की चुनावी रण में अग्रणी बनाकर रखा है. ख़ैर तीनों उम्मीदवार पूरे दमख़म के साथ जनसम्पर्क कर रहे है और कौन भिवंडी की मतदाताओं को अपनी ओर रिझाने में सफल होगा इसके लिए 4 जून तक चुनाव परिणाम का इंतज़ार करना होगा।
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