जितेंद्र आव्हाड के खिलाफ अधिवक्ता की याचिका पर हाईकोर्ट का आदेश: FIR दर्ज करने की मांग पर पुनः सुनवाई
मुंबई: अधिवक्ता खुश खंडेलवाल द्वारा एनसीपी विधायक जितेंद्र आव्हाड के खिलाफ दायर फौजदारी याचिका पर मुंबई उच्च न्यायालय ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। न्यायालय ने 2019 में ठाणे के न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा आव्हाड के खिलाफ FIR दर्ज नहीं करने के आदेश को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही FIR दर्ज करने की मांग पर पुनः सुनवाई का निर्देश दिया गया है।
यह मामला 2018 का है जब नालासोपारा से मुंबई ATS द्वारा देशी बम बरामद किए गए थे। इस दौरान, विधायक जितेंद्र आव्हाड ने एक वीडियो जारी किया था, जिसमें उन्होंने वैभव राउत पर बिना किसी सबूत के आरोप लगाया था कि वह मराठा मोर्चा में बम फोड़ने की योजना बना रहा था। हालांकि, ATS की जांच और चार्जशीट में इस बात का कोई उल्लेख नहीं था।
अधिवक्ता खुश खंडेलवाल, जो हिंदू टास्क फोर्स के संस्थापक हैं, ने इस बयान को समाज में द्वेष फैलाने वाला बताते हुए भायंदर पुलिस स्टेशन में IPC की धारा 153(A) और 505(2) के तहत शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस द्वारा FIR दर्ज न किए जाने के बाद, खंडेलवाल ने ठाणे के न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष फौजदारी केस दायर किया था।
2019 में न्यायिक मजिस्ट्रेट ने आव्हाड के बयान को प्रथम दृष्टि में IPC की धारा 153(A) और 505(2) के तहत अपराध माना था, लेकिन क्षेत्राधिकार के आधार पर FIR दर्ज करने से मना कर दिया था। इसके बाद, खंडेलवाल ने इस आदेश को मुंबई उच्च न्यायालय में चुनौती दी।
अब उच्च न्यायालय ने खंडेलवाल की याचिका को स्वीकार करते हुए, मजिस्ट्रेट के पुराने आदेश को खारिज कर दिया और आव्हाड के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग पर पुनः सुनवाई करने का आदेश दिया है।