महाराष्ट्र के भिवंडी क्षेत्र में बच्चों के लापता होने की घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि देखी गई है। पिछले छह महीनों में कुल 142 नाबालिग बच्चों के गायब होने की सूचना मिली, जिनमें से 126 को पुलिस ने खोज निकाला है।
ठाणे, 5 अगस्त: भिवंडी में नाबालिग बच्चों के लापता होने की घटनाएं स्थानीय प्रशासन और अभिभावकों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई हैं। जनवरी से जून 2025 के बीच, क्षेत्र में कुल 142 बच्चे, जिनमें 47 लड़के और 95 लड़कियां शामिल हैं, लापता हुए। पुलिस ने सक्रिय जांच अभियान चलाकर अब तक 126 बच्चों को सुरक्षित बरामद कर लिया है।
-
पुलिस ने चलाया सघन तलाशी अभियान
भिवंडी पुलिस द्वारा इन मामलों में तत्परता दिखाते हुए अपहरण की धाराओं के तहत केस दर्ज किए गए। जांच में तकनीकी सहायता, सीसीटीवी फुटेज, और अन्य राज्यों की पुलिस से समन्वय के माध्यम से बच्चों को ढूंढने में मदद मिली। अधिकांश मामलों में बच्चों को उनके परिवारों से पुनः मिलाया गया, और उन्हें परामर्श (काउंसलिंग) भी उपलब्ध कराई गई।
🔍 क्यों भाग रहे हैं बच्चे? जांच में कई चौंकाने वाले कारण सामने आए हैं।
- कुछ बच्चे पारिवारिक झगड़ों या पढ़ाई के दबाव के चलते घर छोड़ देते हैं।
- कई मामलों में झूठे प्यार के वादे देकर लड़कियों को बहला-फुसलाकर दूसरे राज्यों में ले जाया गया।
- बच्चों पर माता-पिता की अपेक्षाओं और डिजिटल दुनिया की गिरफ्त का असर भी सामने आया है।
विशेष रूप से लापता लड़कियों के मामले में, कई बार अज्ञात युवकों द्वारा बहला-फुसलाकर उन्हें दूसरे राज्यों में ले जाने की घटनाएं सामने आईं।
Mumbai Crime: मुंबई में एक हफ्ते में 6 सड़क हादसे: तीन की मौत,कई घायल
-
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बढ़ी सख्ती
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, किसी भी नाबालिग के लापता होने की स्थिति को अपहरण के रूप में दर्ज किया जाना अनिवार्य है। इससे न केवल आंकड़ों की सटीकता में सुधार हुआ है, बल्कि पुलिस की कार्रवाई भी तेज़ हुई है।
-
90% मामलों में मिली सफलता
पुलिस द्वारा विशेष टीमों का गठन कर सभी थानों को निर्देशित किया गया है कि गुमशुदगी के मामलों को प्राथमिकता दी जाए। इस मुहिम के तहत करीब 90 प्रतिशत मामलों में बच्चों को सफलतापूर्वक खोजा गया है। बाकी 16 मामलों की जांच अभी जारी है।
-
पुलिस की नई पहल: काउंसलिंग और पुनर्वास
लौटे हुए बच्चों को उनके घर भेजने से पहले पुलिस अब काउंसलिंग करवाती है ताकि वे मानसिक रूप से स्थिर हो सकें। कुछ मामलों में बच्चों के साथ शारीरिक या मानसिक शोषण भी हुआ, जिससे संबंधित धाराओं में केस दर्ज किए गए हैं, जिनमें POCSO एक्ट के तहत कार्रवाई शामिल है।
-
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय
मनोचिकित्सक डॉ. विजय तेली के अनुसार, माता-पिता और बच्चों के बीच संवाद की कमी इस समस्या का मुख्य कारण है। उन्होंने कहा, “आजकल के बच्चे भावनात्मक रूप से अकेले हैं। मोबाइल और सोशल मीडिया ने उनके सोचने का तरीका बदल दिया है। माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों से खुलकर बात करें, उन्हें समझें और दबाव न डालें।”
-
हालिया मामला बना चेतावनी
हाल ही में नर्पोली क्षेत्र में 14 वर्षीय लड़की के लापता होने का मामला सामने आया। उसकी मां ने एक अज्ञात व्यक्ति पर अपहरण का आरोप लगाया है। पुलिस इस मामले में गहन जांच कर रही है।
बढ़ते लापता मामलों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि केवल कानून व्यवस्था ही नहीं, बल्कि समाज और अभिभावकों की भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। बच्चों के साथ संवाद, विश्वास और सहयोग ही इस समस्या को रोकने की कुंजी है।