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Corrupt Regional Transport Officials : चोरी के वाहन,नक़ली दस्तावेज,आरटीओ अधिकारियों का मेल और फिर करोड़ों का खेल…03 आरटीओ अधिकारी पकड़े गए

Corrupt Regional Transport Officials : चोरी के वाहन,नक़ली दस्तावेज,आरटीओ अधिकारियों का मेल और फिर करोड़ों का खेल...03 आरटीओ अधिकारी पकड़े गए
Corrupt Regional Transport Officials : चोरी के वाहन,नक़ली दस्तावेज,आरटीओ अधिकारियों का मेल और फिर करोड़ों का खेल...03 आरटीओ अधिकारी पकड़े गए

Corrupt Regional Transport Officials : अमरावती में बेहद हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां आरटीओ कार्यालय में चोरी किए गए ट्रकों का चेचिस नंबर पैसों का लेनदेन कर बदल जाता था. मुंबई क्राइम ब्रांच का कहना है कि इस खेल में आरटीओ अधिकारी और कर्मचारी शामिल थे. नवी मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने तीन अधिकारियों को गिरफ्तार किया है. बताया जा रहा है कि अमरावती आरटीओ कार्यालय में अब तक 16 ट्रकों के चेसिस नंबर बदले जा चुके हैं.

पुलिस ने इस पूरे गिरोह के सरगना जावेद मनियार को गिरफ्तार किया है. जावेद पर महाराष्ट्र में 10 और दूसरे राज्यों में 9 केस दर्ज हैं. पुलिस का कहना है कि फर्जी दस्तावेजों के जरिए अरुणाचल, उत्तर प्रदेश, नागालैंड, दिल्ली और हरियाणा जैसी जगहों से ट्रक चोरी किए गए. इसके बाद इनके चेसिस का नंबर अमरावती व नागपुर के आरटीओ अधिकारियों की मदद से बदल दिया गया.

चोरी के ट्रकों को स्पेशल दलालों के माध्यम से फर्जी दस्तावेजों के साथ पंजीकृत किया, जबकि ट्रक वास्तव में अमरावती आरटीओ में थे ही नहीं. हालांकि ऐप पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन दिख रहा था. दलाल आरटीओ अधिकारियों को ‘जी फॉर्म’ कहते थे.

चोरी के वाहनों का पंजीकरण कराने के लिए दो लाख रुपये मांगे जाते थे. सूत्रों ने बताया कि जाली दस्तावेजों के माध्यम से बड़े वाहनों के पंजीकरण के लिए दो लाख की राशि का भुगतान किया जाता था. इसमें आरटीओ अधिकारी के लिए 75 हजार रुपये, दलाल के लिए 75 हजार रुपये, आरटीओ निरीक्षक के लिए 25 हजार रुपये और कार्यालय प्रमुख के लिए 10 हजार रुपये की दरें तय की गईं थीं. खास बात यह है कि ‘जी फॉर्म’ शब्द का इस्तेमाल आरटीओ में दलालों और अधिकारियों के बीच पैसों के लेन-देन के दौरान किया जाता था.

दरअसल, नवी मुंबई पुलिस 17 अप्रैल को नागपुर आरटीओ कार्यालय पहुंची थी. इस दौरान मामले से जुड़ी पूछताछ के लिए आरटीओ अधिकारियों को बुलाया गया. 30 अप्रैल को मुंबई पुलिस ने मोटर वाहन निरीक्षक गणेश वरुथे, सहायक परिवहन अधिकारी भाग्यश्री पाटिल और सहायक मोटर निरीक्षक सिद्धार्थ थोके को बयान दर्ज करने के लिए बुलाया. इसके बाद तीनों को मुंबई में गिरफ्तार कर लिया.

अमरावती और नागपुर आरटीओ का कनेक्शन का भांडा कैसे फूटा?

नवी मुंबई क्राइम ब्रांच ने 4 मार्च 2024 को मुंबई के ट्रक टर्मिनल इलाके में छापेमारी की थी. यहां एमएच 40 सीएम 1567 और एमएच 40 सीएम 3098 नंबर के चार पहिया वाहनों के चेसिस व इंजन नंबर की जांच की गई. इस दौरान पता चला कि इन वाहनों के मालिक कमलेश गोपाल मांगे और नीरव ठक्कर हैं.

इसलिए जब उन दोनों को मुंबई के बेलापुर पुलिस स्टेशन में पूछताछ के लिए बुलाया गया तो पता चला कि ये गाड़ियां सचिन नवघाने और जावेद मनियार को बेची गई थीं. इसके बाद पुलिस ने वाहन कंपनी के विशेषज्ञों से गाड़ियों की जांच कराई. हालांकि ये गाड़ियां बाहर से टाटा कंपनी की थीं, लेकिन इन गाड़ियों के चेसिस नंबर बदलकर फर्जी दस्तावेजों के जरिए रजिस्ट्रेशन कराया गया था.

जांच के बाद वाहन कंपनी के अधिकारियों ने चौंकाने वाली जानकारी दी. DCP क्राइम ब्रांच नवी मुंबई अमित काले ने कहा कि दो महीने की जांच के बाद पता चला कि ये वाहन अमरावती, नागपुर आरटीओ में पंजीकृत थे. इस बीच क्राइम ब्रांच की छह सदस्यीय टीम 24 अप्रैल को जांच के लिए नागपुर आरटीओ पहुंची थी.

मुख्य आरोपी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन करवाकर उसे बेच देता था. इसके अलावा जो लोग लोन पर ट्रक लेते थे, और जो किस्तें नहीं भर सकते,आरोपी उनके साथ एग्रीमेंट कर लेता था कि किस्त हम भरेंगे. इसके बाद ट्रक अपने कब्जे में ले लेता था और कुछ दिन बाद ट्रक चोरी होने जाने की बात बोल देता था. इसके बाद उसकी शिकायत दिल्ली-हरियाणा में दर्ज करा देता था. वहीं उसके फर्जी दस्तावेज बनाकर अरुणाचल, नागालैंड में फर्जी तरीके से रजिस्ट्रेशन करवाता था.

वहां से एनओसी प्राप्त कर अमरावती और नागपुर आरटीओ कार्यालय में रजिस्ट्रेशन करवाता था. फिर ये ट्रक बेच देता था. साढ़े पांच करोड़ के 29 ट्रक मुंबई क्राइम ब्रांच ने जब्त किए हैं. अब उत्तर प्रदेश और हरियाणा के 9 केस में बाकी ट्रक जब्त करना बाकी है. अमरावती के आरटीओ कार्यालय के तीन अधिकारी सहित 9 लोगों को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है.

 

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