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दहिसर टोल प्लाजा विवाद: शिंदे और भाजपा आमने-सामने, वन मंत्री ने रोकने का संकेत

उपमुख्यमंत्री शिंदे ने दहिसर टोल प्लाजा को वर्सोवा स्थानांतरित करने की घोषणा की, लेकिन वन मंत्री ने रोकने का संकेत दिया। परियोजना से ट्रैफिक और स्थानीय जनता पर प्रभाव की चिंता, राजनीतिक विवाद बढ़ा।

मुंबई: दहिसर टोल प्लाजा को वर्सोवा स्थानांतरित करने की योजना ने राजनीतिक और पर्यावरणीय विवाद को जन्म दे दिया है। राज्य के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने हाल ही में घोषणा की कि दहिसर टोल नाका को वर्सोवा में स्थानांतरित किया जाएगा। उनका दावा है कि इससे मुंबई वासियों और मीरा-भाईंदर के लोगों को प्रवेश द्वार चेकनाका पर जाम से राहत मिलेगी।

लेकिन यह कदम शिवसेना शिंदे गुट और भाजपा के बीच नई राजनीतिक टकराव की ओर इशारा करता है। वर्सोवा की जमीन संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत आती है, जिससे वन विभाग ने इस योजना को रोकने का संकेत दिया है। वन मंत्री गणेश नाईक ने स्पष्ट किया कि यहां कोई टोल नाका नहीं बनेगा, जिससे परियोजना कानूनी और पर्यावरणीय अड़चनों का सामना कर सकती है।

विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा इस मुद्दे को आगामी मनपा चुनाव में शिवसेना शिंदे गुट की साख पर असर डालने के लिए उछाल रही है। जबकि परिवहन मंत्री प्रताप सरनाइक ने दिवाली तक टोल नाका स्थानांतरण की औपचारिकताएं शुरू कर दी हैं, राजनीतिक गलियारों में इसे केवल ट्रैफिक का मामला नहीं बल्कि मुंबई की राजनीति का नया खेल माना जा रहा है।

वर्सोवा में टोल नाका स्थानांतरित होने से स्थानीय संकरी सड़क और घोड़बंदर गांव पर ट्रैफिक का दबाव बढ़ेगा। मीरा-भाईंदर में प्रवेश करने वाले भारी वाहनों को टोल शुल्क देना होगा, जिसका असर अनाज, सब्जी और दैनिक आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर पड़ सकता है।

स्थानीय भूमिपुत्र संगठन ने कहा कि एमएसआरडीसी टोल प्लाजा अवैध है और महाराष्ट्र सरकार के आदेश के अनुसार इसे सितंबर 2027 तक बंद किया जाना चाहिए। उनका कहना है कि वर्सोवा में टोल नाका बनने से मुंबई-अहमदाबाद राजमार्ग और दापो मार्ग पर जाम की समस्या बढ़ सकती है।

स्थिति को देखते हुए राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर बातचीत जारी है, लेकिन योजना को जमीन पर लागू करने में कई कानूनी और पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

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