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गणेशोत्सव 2025: इस बार नहीं मिलेगी ‘आनंदाचा शिधा’ किट, लाडकी बहिन योजना बनी वजह

आनंदाचा शिधा योजना 2025 गणेशोत्सव के लिए रद्द
आनंदाचा शिधा योजना 2025 गणेशोत्सव के लिए रद्द

गणेशोत्सव के लिए इस बार महाराष्ट्र में ‘आनंदाचा शिधा’ किट नहीं दी जाएगी। मंत्री छगन भुजबल ने बताया कि ‘लाडकी बहिन’ योजना से बजट पर भारी असर पड़ा है।

मुंबई, 6 अगस्त:महाराष्ट्र सरकार की गरीबों को राहत देने वाली लोकप्रिय योजना ‘आनंदाचा शिधा’ इस साल गणेशोत्सव के अवसर पर नहीं चलाई जाएगी। इस बात की पुष्टि राज्य के खाद्य व नागरी आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने की है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की प्रमुख योजना ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना’ से उत्पन्न वित्तीय दबाव के कारण इस वर्ष आनंदाचा शिधा योजना को रोकना पड़ा है।

भुजबल ने कहा कि “राज्य की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वह दोनों योजनाओं को एक साथ संभाल सके। चूंकि लाडकी बहिन योजना महिलाओं को प्रत्यक्ष रूप से आर्थिक लाभ देती है, इसलिए उसे प्राथमिकता दी जा रही है।”

  • दो वर्षों से मिल रही थी सब्सिडी वाली ‘शिधा किट’

आनंदाचा शिधा योजना का आरंभ दो वर्ष पहले गणेशोत्सव और अन्य बड़े त्योहारों के समय किया गया था। इसका उद्देश्य गरीब और मध्यम वर्ग के राशन कार्डधारकों को 100 रुपये में एक त्योहारी राशन किट देना था। इस किट में निम्न वस्तुएं शामिल होती थीं:

  • शक्कर (चीनी)
  • खाद्य तेल
  • रवा (सूजी)
  • चना दाल
  • पोहा (चिवड़ा)

सरकार इस किट पर प्रत्येक वर्ष लगभग ₹350 से ₹400 करोड़ का खर्च वहन करती थी। यह किट ना केवल आर्थिक राहत देती थी, बल्कि त्योहारी खुशी में भी योगदान देती थी। हजारों परिवार हर साल इसे लेकर गणपति बाप्पा के स्वागत की तैयारी करते थे।

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  • योजना लागू करने में समय की कमी भी एक कारण

मंत्री भुजबल ने आगे स्पष्ट किया कि योजना को लागू करने के लिए टेंडर प्रक्रिया कम से कम 3 महीने पहले शुरू करनी होती है, लेकिन इस बार त्योहार से एक महीना पहले तक कोई तैयारी शुरू नहीं हुई। उन्होंने कहा:

“अब समय बहुत कम है। योजना की प्रक्रिया तकनीकी और प्रशासनिक दृष्टि से लंबी होती है, इसलिए अब इसे लागू करना संभव नहीं।”

इस बीच सरकार की ‘लाडकी बहिन योजना’, जिसके तहत राज्य की 21 से 60 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं को मासिक ₹1,500 की वित्तीय सहायता दी जा रही है, को पूर्ण प्राथमिकता दी जा रही है। इस योजना का मासिक खर्च ही हजारों करोड़ रुपये में पहुंच रहा है।

  • गरीबों में मायूसी, सरकार पर सवाल

इस फैसले से राज्य के लाखों गरीब परिवारों में मायूसी है। त्योहार के दौरान यह किट एक प्रतीकात्मक समर्थन के रूप में देखा जाता था, जिससे उन्हें महंगाई के समय कुछ राहत मिलती थी। सामाजिक कार्यकर्ताओं और विपक्षी दलों ने सरकार की प्राथमिकता पर सवाल उठाते हुए कहा है कि “महंगाई के इस दौर में जब गरीबों को सबसे अधिक सहायता की जरूरत है, तब सरकार ने उन्हें अकेला छोड़ दिया है।”हालांकि, सरकार का कहना है कि राज्य के वित्तीय संसाधन सीमित हैं और निर्णय वित्तीय विवेक के तहत लिया गया है।

  • आगे क्या?

अब यह देखना होगा कि आगामी दीवाली या अन्य त्योहारों पर ‘आनंदाचा शिधा’ जैसी योजना फिर से शुरू की जाती है या नहीं। फिलहाल सरकार ‘लाडकी बहिन योजना’ को ही सामाजिक कल्याण का प्रमुख आधार मानकर आगे बढ़ रही है।

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