Marathi language got the status of classical language : केंद्रीय कैबिनेट ने मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बांग्ला को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बांग्ला को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने का ऐतिहासिक फैसला लिया। पीएम मोदी ने मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने पर इसे भारत का गौरव बताते हुए बधाई दी। इस निर्णय के पीछे इन भाषाओं के समृद्ध साहित्य, ऐतिहासिक परंपराओं और प्राचीन सांस्कृतिक योगदान को मान्यता दी गई है। मंत्रिमंडल के अनुसार, इस कदम से इन भाषाओं के संरक्षण और प्रसार को प्रोत्साहन मिलेगा।
फैसले का महत्व
सूचना प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसे सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम बताया। उनके अनुसार, इन भाषाओं के पास 1500 से 2000 साल का साहित्यिक इतिहास है। यह निर्णय पीएम मोदी और एनडीए सरकार की भारतीय भाषाओं और संस्कृति पर गर्व की नीति को दर्शाता है।
महाराष्ट्र चुनाव पर प्रभाव
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले मराठी को यह दर्जा मिलना राज्य में एक प्रमुख चुनावी मुद्दा रहा है। महाराष्ट्र सरकार ने 2013 में मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने का प्रस्ताव रखा था, जिसे अब मंजूरी मिल गई है।
शास्त्रीय भाषा की परिभाषा
भारत में शास्त्रीय भाषा का दर्जा उन भाषाओं को दिया जाता है जिनका समृद्ध साहित्य और ऐतिहासिक योगदान होता है। तमिल को 2004 में पहला शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिला था, और उसके बाद संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, और उड़िया को यह दर्जा दिया गया था।
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बांग्ला भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि मराठी भारत का गौरव है।
पीएम मोदी ने क्या कहा?
पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, “मराठी भारत का गौरव है। इस अभूतपूर्व भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने पर बधाई। यह सम्मान हमारे देश के इतिहास में मराठी के समृद्ध सांस्कृतिक योगदान को मान्यता देता है।”
क्यों दिया गया शास्त्रीय भाषा का दर्जा?
सूचना प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि भाषाविदों की एक समिति की रिपोर्ट के आधार पर इन भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया है। इन भाषाओं में 1500 से 2000 साल पुराना साहित्य है, लगातार परंपरा है, प्राचीन शिलालेख हैं और मौखिक परंपरा भी है।
शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने से क्या होगा?
शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने से इन भाषाओं को बढ़ावा मिलेगा और इन भाषाओं में शोध और विकास को प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही, इन भाषाओं के साहित्य और संस्कृति को संरक्षित करने में मदद मिलेगी।
महाराष्ट्र में खुशी का माहौल
मराठी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने से महाराष्ट्र में खुशी का माहौल है। महाराष्ट्र सरकार ने 2013 में मराठी के लिए यह प्रस्ताव दिया था।
क्या है शास्त्रीय भाषा?
भारत सरकार ने 2004 में शास्त्रीय भाषा की एक नई श्रेणी बनाई थी और तब तमिल को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया था। इसके बाद संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और उड़िया को भी यह दर्जा दिया जा चुका है।
केंद्र सरकार का यह फैसला इन भाषाओं के बोलने वालों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। इससे इन भाषाओं का विकास और संरक्षण होगा। यह फैसला भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है।
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