विरार, 4 जुलाई 2025: मीरा-भायंदर व वसई-विरार पुलिस आयुक्तालय (MBVV Commissionerate) को स्थापित हुए पांच वर्ष हो चुके हैं, लेकिन आज भी इस संवेदनशील कमिश्नरेट के पास न तो अपना बम डिटेक्शन एंड डिएक्टिवेशन स्क्वॉड (BDDS) है और न ही डॉग स्क्वॉड। इस कारण आपात स्थिति में पुलिस को बगैर विशेषज्ञ सहायता के कार्रवाई करनी पड़ती है, जिससे आम नागरिकों और पुलिस बल दोनों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।
🧨 बिना सुरक्षा उपकरणों के जोखिम भरी कार्रवाई
मीरा-भायंदर, वसई और विरार जैसे इलाके मुंबई और ठाणे जैसे हाई रिस्क ज़ोन के बेहद करीब हैं। हाल के दिनों में स्कूलों में बम की धमकी भरे ईमेल मिलने जैसी घटनाएं इस क्षेत्र में सुरक्षा की गंभीर चुनौतियों को उजागर करती हैं। फिलहाल MBVV को आपात स्थितियों में ठाणे या पालघर ग्रामीण की BDDS और डॉग स्क्वॉड टीम बुलानी पड़ती है, जिनके देरी से पहुंचने पर कार्रवाई प्रभावित होती है।
✅ अब मिलेगी राहत: जल्द मिलेगी स्क्वॉड सुविधा
पुलिस उपायुक्त सुहास बावचे ने जानकारी दी है कि BDDS और डॉग स्क्वॉड के गठन का प्रस्ताव दो वर्ष पूर्व राज्य सरकार को भेजा गया था जिसे अब मंजूरी मिल चुकी है। उपकरणों की खरीद प्रक्रिया शुरू हो गई है और जल्द ही स्थानीय स्क्वॉड व्यवस्था शुरू कर दी जाएगी।
🛡️ स्थानीय नागरिकों की उम्मीदें जगीं
स्थानीय नागरिकों और पुलिसकर्मियों में इस कदम से सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होने की उम्मीद जगी है। विशेषज्ञों का मानना है कि मुंबई के पास होने के चलते इस क्षेत्र में हर स्तर की त्वरित प्रतिक्रिया प्रणाली (Quick Response Unit) की सख्त आवश्यकता है, ताकि किसी भी आपात स्थिति से त्वरित रूप से निपटा जा सके।
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