Mira-Road MNS Protest: मीरा रोड में हिंदी बोलने पर हलवाई को थप्पड़ मारने की घटना से शुरू हुआ विवाद अब मराठी अस्मिता का मोर्चा बन गया है। मनसे के कार्यकर्ताओं ने जबरदस्त प्रदर्शन किया, नेताओं की गिरफ्तारी हुई और शहर में भाषा पर राजनीति फिर से गरमा गई।
मुंबई | 8 जुलाई 2025: मीरा रोड में हाल ही में जो कुछ हुआ, उसने न केवल स्थानीय व्यापारियों को झकझोर कर रख दिया, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर से भाषा और पहचान के मुद्दे को केंद्र में ला दिया है। मराठी बनाम हिंदी का यह टकराव अब सड़कों पर उतर चुका है — और इसके केंद्र में है महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे)।
🔸 कैसे शुरू हुआ विवाद?
यह विवाद तब भड़क उठा जब मीरा रोड के एक हलवाई को सिर्फ इसलिए मनसे कार्यकर्ता द्वारा थप्पड़ मारा गया क्योंकि वह ग्राहक से हिंदी में बात कर रहा था। इस एक घटना ने पूरे इलाके के व्यापारियों को डरा दिया। गुस्से में आकर उन्होंने शांतिपूर्वक मोर्चा निकालने का फैसला लिया और प्रशासन से न्याय की मांग की।
🔸 मनसे का जवाबी मोर्चा और पुलिस की जद्दोजहद
व्यापारियों के इस कदम के बाद, मनसे और मराठी एकीकरण समिति ने भी अपना मोर्चा निकालने का ऐलान किया। पुलिस ने शुरू में इन्हें विवाद टालने के लिए वैकल्पिक मार्ग से मोर्चा निकालने को कहा, लेकिन मनसे ने साफ इनकार कर दिया। उन्होंने ऐलान किया कि मोर्चा उसी जगह से निकलेगा जहां घटना हुई — बालाजी स्वीट्स से।
सुबह 10 बजे जैसे ही मनसे कार्यकर्ता जुटे, पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कई नेताओं को हिरासत में ले लिया। हिरासत में जाते हुए मनसे कार्यकर्ता लगातार नारा लगा रहे थे, “अगर महाराष्ट्र में रहना है, तो मराठी बोलना ही होगा।”
🔸 मोर्चे में गर्माया माहौल, नेताओं को किया गया निशाना
मोर्चे के दौरान माहौल बेहद तनावपूर्ण हो गया। मीरा रोड रेलवे स्टेशन तक नारेबाज़ी और आंदोलन जारी रहा। कुछ जगहों पर बीजेपी और गैर-मराठी लोगों को निशाना बनाए जाने की खबरें भी आईं। इस दौरान ट्रांसपोर्ट मंत्री प्रताप सिरनाक मोर्चे में शामिल होने पहुंचे, लेकिन कुछ प्रदर्शनकारियों ने उन्हें वहां से जाने को मजबूर कर दिया।
🔸 क्या बोले मनसे कार्यकर्ता?
मेट्रो सिटी समाचार से बात करते हुए कुछ मनसे कार्यकर्ताओं ने साफ कहा, “महाराष्ट्र में हमें भोजपुरी या कोई और भाषा नहीं चाहिए। हम सिर्फ मराठी चाहते हैं, और इसके लिए किसी की मंजूरी की जरूरत नहीं। यह हमारा हक है और हम इसके लिए लड़ेंगे।”
🔸 गिरफ्तारियां और बढ़ता तनाव
पुलिस ने मोर्चा बेकाबू होते देख मनसे नेताओं संदीप देशपांडे और अविनाश जाधव को भी गिरफ्तार कर लिया। इन घटनाओं के बाद शहर में तनाव और बढ़ गया। भाषा के नाम पर टकराव ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि महाराष्ट्र की पहचान क्या सिर्फ मराठी तक सीमित रहेगी या एक समावेशी सोच विकसित होगी?
मीरा रोड का यह विवाद केवल एक थप्पड़ की कहानी नहीं है। यह महाराष्ट्र की राजनीति में भाषा, पहचान और क्षेत्रीय अस्मिता की गूंज बन चुका है। सवाल उठते हैं — क्या भाषा का सम्मान हिंसा से तय होगा? या लोकतांत्रिक संवाद से? आने वाले दिनों में यह मुद्दा और भी गरमाने वाला है।