-
स्कूल वैन में गंभीर लापरवाही
जाँच के दौरान सामने आया कि हादसे में शामिल स्कूल वैन के पास 2021 से फिटनेस प्रमाणपत्र नहीं था। यही नहीं, वैन में स्पीड गवर्नर भी नहीं लगाया गया था, जो कि बच्चों की सुरक्षा के लिए अनिवार्य है। इन गंभीर खामियों ने स्कूल वैन की सुरक्षा मानकों पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।
-
आरटीओ रिकॉर्ड में चौंकाने वाली हकीकत
नागपुर जिले में कुल तीन आरटीओ कार्यालय नागपुर शहर, नागपुर ग्रामीण और नागपुर पूर्व संचालित होते हैं। यहां पर कुल 3,993 स्कूल बसें और स्कूल वैन पंजीकृत हैं।
लेकिन, इनमें से केवल 3,508 वाहनों के पास ही फिटनेस प्रमाणपत्र मौजूद है, जबकि शेष वाहन बिना किसी वैध फिटनेस सर्टिफिकेट के ही सड़कों पर दौड़ रहे हैं। यानी करीब 485 स्कूल बसें और वैन नियमों का उल्लंघन करते हुए बच्चों की जान जोखिम में डाल रही हैं।
घाटकोपर एलबीएस रोड पर तेज़ रफ्तार कार हादसा: चार लोग घायल, तीन की हालत गंभीर
-
सुरक्षा मानकों की अनदेखी का खतरा
स्कूल बसों और वैन के लिए तय नियमों के तहत:
-
हर वाहन के पास मान्य फिटनेस प्रमाणपत्र होना चाहिए।
-
स्पीड गवर्नर और फायर सेफ्टी उपकरण अनिवार्य हैं।
-
सीसीटीवी और जीपीएस सिस्टम लगाना जरूरी है।
लेकिन, कई वाहन मालिक इन नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। नतीजतन, छोटी सी लापरवाही बच्चों की जान पर भारी पड़ रही है।
-
प्रशासन और अभिभावकों की चिंता
दुर्घटना के बाद स्थानीय लोगों और अभिभावकों में गुस्सा है। उनका कहना है कि आरटीओ और शिक्षा विभाग को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि बिना फिटनेस प्रमाणपत्र वाले वाहनों को तुरंत जब्त किया जा सके।
प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि इस घटना के बाद जिलेभर में स्कूल बसों और वैन की व्यापक जांच अभियान चलाया जाएगा और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
नागपुर का यह हादसा इस बात का बड़ा सबूत है कि सुरक्षा नियमों की अनदेखी बच्चों की जान पर भारी पड़ सकती है। एक ओर जहां 485 से अधिक स्कूल वाहन बिना फिटनेस प्रमाणपत्र के चल रहे हैं, वहीं जिम्मेदार विभागों की लापरवाही भी उजागर हो रही है।
यह घटना सभी के लिए चेतावनी है कि जब तक स्कूल बसों और वैन की नियमित जांच और कड़ी निगरानी नहीं की जाएगी, तब तक बच्चों की सुरक्षा अधूरी रहेगी।
महाराष्ट्र और अमेरिका के आयोवा राज्य के बीच ऐतिहासिक समझौता, कृषि से शिक्षा तक सहयोग