Nalasopara Dwarka Hotel Fire Incident VVCMC : नालासोपारा में अग्निकांड की किसने तैयार की जमीन? कटघरे में महानगरपालिका प्रशासन
Nalasopara Dwarka Hotel Fire Incident VVCMC : अचोले पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक और बिल्डिंग के सेक्रेटरी ने दी थी चेतावनी, मनपा ने किया नजर अंदाज़
नालासोपारा : वसई विरार शहर के नालासोपारा पूर्व में अचोले रोड स्थित द्वारका होटल में भीषण आग लग गई, जिसमें अभी तक कुल 9 लोग घायल बताए जा रहे हैं जो द्वारका होटल के कर्मचारी हैं, इसके साथ ही कुछ और लोगों के घायल होने की भी पुष्टि हुई है जो अग्निकांड के ठीक पहले द्वारका होटल में खाना खाने आए थे, जिनमे तीन महिलाएं और एक छोटी बच्ची भी शामिल थी।
आग लगने की घटना के ठीक पहले ही एक परिवार होटल में खाना खाने के लिए आया था, जिनमें कुल तीन महिलाएं और एक बच्ची शामिल थी। पीड़ित परिवार ने बताया कि जब वो होटल में खाने के लिए आर्डर दे चुके थे इसी दौरान होटल का कांच टूटने की आवाज उनके कानों में पड़ी। जिसके बारे में पूछने पर होटल स्टाफ ने उसे अनदेखा कर दिया,उसके ठीक थोड़े पलों में ही आग की लपटे होटल के अंदर प्रवेश कर गई और वह परिवार बाहर की ओर भागा।
इस दौरान आग की लपटों ने बच्ची सहित महिलाओं को भी अपने चपेट में लिया और बच्ची का हाथ और शरीर का कुछ हिस्सा आंशिक रूप से झुलस गया साथ ही एक महिला के बाल और पहने कपड़े भी जल गए। पीड़ित परिवार में एक गर्भवती महिला भी थी, वो दोपहर की दवा खाने से पहले खाना खाने के लिए होटल आई थी। आगजनी के दौरान होटल से बाहर भागते समय उनका साथ लाया बैग और उनका मोबाइल अंदर ही छूट गया। जिसमें उनके कीमती दास्तवेज़ और कथित तौर पर सोने की गले की चैन मौजूद थी। फिलहाल पीड़ित परिवार प्राथमिक उपचार लेकर अपने घर चला गया और घटना के दूसरे दिन उन्होंने पुलिस स्टेशन जाकर अपना बयान दर्ज करवाया।
बीते 30 अप्रैल को नालासोपारा के अचोले रोड स्थित सलोमी सोसाइटी के द्वारका होटल में हुए भीषण अग्निकांड के पीछे स्पष्ट तौर पर प्रथमदृष्टया महानगरपालिका द्वारा की गई अनदेखी ही मुख्य कारण उभर कर सामने आ रही है। चश्मदीदों के बयान के अनुसार गुजरात गैस की पाइपलाइन में हुई छेड़छाड़ ने इस भीषण अग्निकांड को जन्म दे दिया। जिसमें ना सिर्फ एक होटल कारोबारी सड़क पर आ गया बल्कि प्रभावित इमारत के ऊपरी मंजिल पर रह रहे दो परिवारों के घर भी आग की चपेट में आ गए।
कितने घायल, कितने असुरक्षित?
अग्निकांड की इस घटना में प्राथमिक तौर पर कुल 9 लोग घायल बताए जा रहे हैं जिनमें सुंदर शेट्टी,गोपाल बंगेरा,सुनील यादव, शिवा पासवान, चंद्र मुगवे, रामप्रकाश चौधरी, माखनलाल, इरशाद शेख और राजकुमार के नाम सामने आए थे लेकिन घटना के दूसरे दिन होटल में खाना खाने आया परिवार भी सामने आया जिसमे तीन महिलाएं और एक बच्ची सहित कुल चार लोग शामिल है। जिनके नाम चैताली सी पालव(39), मायादेवी पांडेय(21),अंजू यादव (28) और आकृति(5) शामिल हैं।
घटना में घायल हुए लोगों में कुल 9 लोगों के नाम पहले सामने आए थे जो दूसरे दिन बढ़कर 13 हो गए। फिलहाल घटना में प्रभावित हुए लोगों में 2 का उपचार मुंबई के कस्तूरबा अस्पताल, 4 लोगों को IASIS और तीन लोगों को मनपा अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। शेष लोगों को प्राथमिक उपचार देकर उन्हें घर जाने दिया गया है।
वसई विरार मनपा ने नहीं दी पनाह
आग में प्रभावित दोनों फ्लैट धारकों को महानगरपालिका के अधिकारियों ने कोई शेल्टर प्रदान नहीं किया और उन्हें असहाय छोड़ दिया। इस संबंध में पीड़ित फ्लैट धारक और पेशे से डाॅ अजय दुबे ने अपनी आपबीती बताई। उन्होंने बताया कि आगजनी के बाद उनका घर अस्त-व्यस्त हो चुका था, चारों तरफ पानी ही पानी था.. घर में रखे इलेक्ट्रिकल्स सामान अग्निकांड के भेंट चढ़ गए थे.. खिड़की टूटी थी..आग की लपटों ने उनके घर की ए.सी. सहित अन्य सामानों को भी नष्ट कर दिया था..बिजली भी काट दी गई थी.
ऐसी अवस्था में वो अपने परिवार और सामान के साथ सड़क पर खड़े होकर मनपा अधिकारियों से मदद की गुहार लगा रहे थे लेकिन किसी ने भी उन्हें मदद ना देते हुए, साफ तौर पर नकार दिया था। जिसके बाद उन्हे अन्यत्र शरण लेनी पड़ी। ख़बर है कि देर शाम वसई विरार मनपा आयुक्त भी घटना का मुआयना करने आये थे लेकिन इन पीड़ित परिवारों के लिए उनका भी दिल नहीं पसीज़ा।
अग्निकांड से पहले बिल्डिंग के सेक्रेटरी ने दी थी अनहोनी की चेतावनी !
महानगरपालिका द्वारा गैरजिम्मेदाराना तरीके से की जा रही खुदाई और उनके कार्यों के तरीके पर बिल्डिंग के सेक्रेटरी और घटना के पीड़ित डॉ अजय दुबे ने पहले ही आपत्ति जताते हुए मनपा के बाबुओं को जिम्मेदारी से कार्य करने की सलाह दी थी और ऐसी घटना ना हो,इसके लिए पहले ही आगाह किया था। बावजूद इसके मनपा के इंजीनियर और ठेकेदार ने मनमानी तरीके से कार्य किया और ऐसी घटना होने के लिए जमीन तैयार की। इस मामले में पीड़ित डॉ अजय दुबे ने सीधे तौर पर मनपा को ही इस घटना के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं।
अचोले पुलिस स्टेशन ने भी पत्र के ज़रिये किया था सचेत!
वसई विरार मनपा द्वारा विकास के नाम पर किए जा रहे कार्यों में विनाश की ऐसी तस्वीरें उपस्थित कर लोगों में डर पैदा कर रही हैं। मनपा द्वारा नियमों को ताख़ पर रख मनमाने तरीके से जारी किए जा रहे लगभग हर टेंडर का शहरवासी विरोध करते नजर आते हैं लेकिन मनपा की शैली है कि बदलती ही नहीं।
इस मामले को ही देख लें, इस भीषण अग्निकांड के पहले बीते 17 अप्रैल को अचोले पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक बालासाहब पवार ने भी मनपा को इस बाबत पत्र लिखकर चेताया था। वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक ने मनपा को लिखे पत्र में इमारत के नीचे जमा पानी से बिल्डिंग की संरचना को नुकसान पहुंचने और वहां रह रहे लोगों की जान को खतरा ना हो इसलिए आवश्यक प्रोटोकॉल पालन सुनिश्चित करने की सलाह दी थी।
सोचिए कि पुलिस सेवा में लगे एक अधिकारी तक को ये बात समझ में आ गई कि मनपा के कार्य करने का यह तरीका खतरनाक है लेकिन वसई विरार मनपा के इंजीनियरों को यह बात समझ में नहीं आई और उस पर भी तुर्रा ये कि पुलिस विभाग के एक जिम्मेदार अधिकारी तक के पत्र को नज़रअंदाज़ किया गया।जिसके परिणामस्वरूप इस भीषण अग्निकांड ने जन्म लिया और लाखों, करोड़ों रुपए स्वाहा हो गए, परिवार बेघर हो गए और कई जिंदगियाँ, जिंदगी और मौत से जूझ रही हैं।
24 घंटे से भूखे सोने को मजबूर सैकड़ों परिवार
वसई विरार शहर महानगरपालिका द्वारा मानकों की अनदेखी के परिणाम स्वरूप गुजरात गैस की पाइपलाइन क्षतिग्रस्त हो गई जिससे लीकेज हुई गैस ने तबाही मचा दी। अग्निकांड के अलावा सैंकड़ो ऐसे परिवार है जो पाइपलाइन के टूटने के बाद गैस आपूर्ति ठप हो जाने से उनके घरों में चूल्हे नहीं जल रहे हैं l उन परिवारों से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया कि उन्होंने किसी तरह पिछली रात यहां वहां से खाने का इंतजाम कर रात गुजारी है।
जबकि गुजरात गैस के कर्मचारी इस गैस पाइपलाइन को दुरुस्त करने के लिए और एक हफ्ते का समय मांग रहे हैं ऐसे में स्कूल जाने वाले विद्यार्थी, नौकरी पेशा पर जाने वाले व्यक्ति,वृद्ध अपनी दैनिक दिनचर्या को पटरी पर कैसे ला पाएंगे और कैसे वे अपना पेट भरेंगे और किस तरीके से उन्हें नींद आएगी ये बड़ा सवाल बन चुका है।
सनद रहे, गैस कंपनियों के नियम के अनुसार लोग उनके द्वारा दिए गए कनेक्शन के अलावा किसी अन्य कनेक्शन का उपयोग नहीं कर सकते हैं, ऐसे में जो पीड़ित परिवार है उनकी दैनिक जीवनशैली कैसे पटरी पर लौटेगी, यह उनके लिए बड़ा यक्ष प्रश्न बना हुआ है।
पहले भी हो चुके हैं हादसे, मनपा की मनमानी फिर भी जारी..
वसई विरार में महानगरपालिका की अक्सर ऐसी अनदेखी सामने आती रही है, चाहे वह गुजरात गैस की पाइपलाइन बिछाने का कार्य हो या फिर केबल बिछाने का काम हो या फिर नाला, सड़क दुरुस्ती का काम हो, मनपा के ठेकेदार किसी भी प्रकार के मानकों और पैरामीटर का पालन नहीं करते हैं और मनमानी तरीके से सड़कों को खोदकर, लावारिस रूप में महीनों तक छोड़ देते है। जिस पर महानगरपालिका के वरिष्ठ अधिकारी सदैव धृतराष्ट्र की भूमिका में नजर आते रहे हैं और संज्ञा शून्य बने रहते हैं।
बीते 1 वर्ष की बात करें तो एवरसाइन लास्ट स्टॉप पर दो बार गुजरात गैस की पाइपलाइन में लीकेज होने और आग लगने की घटना सामने आ चुकी है, हालांकि इन आगजनी में किसी प्रकार के जनहानि नहीं हुई थी. इसके अलावा वर्तमान में चल रहे अल्कापुरी क्षेत्र में विकास कार्यों में नाले की हो रही खुदाई में भी गैस लीकेज की बात सामने आई थी लेकिन उसमें भी कोई बड़ी क्षति नहीं हुई थी जिससे मामला सुर्ख़ियों में नहीं आ पाया, हालांकि आधिकारिक तौर पर इन मामलों की पुष्टि नहीं हुई है लेकिन क्षेत्र के निवासी अक्सर इन घटनाओं की चर्चा करते दिखते हैं।
जैसे लावारिस हों वसई विरार के लोग..
नालासोपारा में हुए इस भीषण अग्निकांड की दहला देने वाली इस घटना में तमाशबीनों की दो दिनों से भीड़ लगी है, रास्ते से आता-जाता हर व्यक्ति, घटनास्थल पर रुक कर अपनी संवेदना प्रकट कर रहा है लेकिन वसई ,नालासोपारा, बोइसर के विधायक या फिर पालघर जिले के सांसद जैसे किसी भी जनप्रतिनिधि ने अब तक इस अग्निकांड के पीड़ितों के प्रति इस दुखद घटना पर ना तो कोई अफ़सोस जताया और ना ही पीड़ितों की सुध लेने का कोई प्रयास किया।
लोगों का सवाल है कि अगर दुख की इस घड़ी में भी जनप्रतिनिधियों का ऐसा रवैया है तो फिर ऐसे जनप्रतिनिधियों का क्या करना। जबकि ये समय चुनाव का है और कुछ ही दिनों में नेता, जनता के बीच वोट मांगने के लिए घर घर जायेंगे। ऐसी घटनाओं पर जनप्रतिनिधियों की असंवेदनशीलता और चुप्पी कई सवाल खड़े करती है.
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