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नायगांव-वसई-विरार में RMC प्लांट्स: पर्यावरण और निवासियों के लिए गंभीर खतरा

नायगांव-वसई-विरार में RMC प्लांट्स और प्रदूषण
नायगांव-वसई-विरार में RMC प्लांट्स और प्रदूषण

वसई-विरार के नायगांव में चल रहे RMC प्लांट्स पर्यावरण और निवासियों के लिए गंभीर खतरा बने हैं। अवैध संचालन, वायु, जल और मिट्टी प्रदूषण बढ़ा रहे हैं। प्रशासनिक ढिलाई के बावजूद स्थानीय लोग प्रदूषण रोकने की कोशिश कर रहे हैं।

वसई-विरार, 17 सितंबर :नायगांव-वसई-विरार क्षेत्र में चल रहे RMC (Ready-Mix Concrete) प्लांट्स पर्यावरण, स्थानीय निवासियों और क्षेत्र की ‘सेन्सिटिविटी’ के लिए बेतहाशा खतरा बन रहे हैं। अनेक रिपोर्ट्स और कार्रवाईयों के बावजूद कई प्लांट्स अवैध रूप से सक्रिय हैं। यहां तक कि इको-सेंसिटिव, रिहायशी और वेटलैंड (आर्द्रभूमि) क्षेत्रों में भी। इनसे क्षेत्र में वायु, जल एवं मिट्टी प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है।

  • नायगांव-वसई-विरार में आर.एम.सी. प्लांट्स: खामोश खतरे

नायगांव और वसई-विरार के मुंबई-अहमदाबाद हाईवे से सटे क्षेत्रों में दर्जनों RMC प्लांट्स चल रहे हैं। इनमें से अनेक पर अवैध संचालन, बिना अनुमतियों और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB) के आदेशों की अनदेखी के गंभीर आरोप हैं। 2025 में एक ही बार में 28 ऐसे प्लांट्स पर एफआईआर दर्ज हुई।

  • क्षेत्र संवेदनशीलता एवं अवैध निर्माण

यह क्षेत्र इको-सेंसिटिव और वेटलैंड जोन है, जहां न सिर्फ अवैध RMC प्लांट्स बल्कि तेजी से बढ़ रही अनियमित बिल्डिंग्स ने प्राकृतिक जल स्रोत, मिट्टी और हरियाली को नुकसान पहुंचाया है। RMC प्लांट्स का संचालन कई बार वेटलैंड, क्रीक और बांध के आसपास अवैध रूप से देखने को मिला।

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  • जल, वायु और मिट्टी प्रदूषण

मिट्टी: प्लांट्स से निकलने वाला कचरा और धूल आसपास के खेतों और बसी जमीन पर जम रही है, जिससे कृषि उत्पादन और हरियाली प्रभावित हो रही है।

जल: प्लांट से निकलने वाले अपशिष्ट जल बिना ट्रीटमेंट के नहरों, तालाबों और कुओँ में जाता है। इससे पीने और सिंचाई के जल स्रोत प्रदूषित हो रहे हैं।

वायु: मिक्सिंग, लोडिंग और ट्रकों के लगातार आवागमन से धूल-धुएँ का गुबार फैल रहा है। इसके कारण सांस की बीमारियाँ, एलर्जी और अस्थमा जैसी समस्याएँ बढ़ रही हैं। AQI बार-बार खतरनाक स्तर तक पहुँच रहा है।

  • प्रशासनिक अनदेखी

अधिकतर प्लांट्स पर प्रशासनिक आदेशों के बावजूद ताले नहीं लगे। कई प्लांट्स ने विद्युत कनेक्शन कटने के बाद डीजल जनरेटर से संचालन जारी रखा। MPCB और नगर निगम की ढिलाई के कारण समस्या बढ़ती जा रही है।

  • स्थानीय निवासियों की लड़ाई

स्थानीय पर्यावरण कार्यकर्ता, सामाजिक संगठन और आम नागरिक बार-बार प्रदर्शन, याचिका और शिकायतें दर्ज कर चुके हैं। बावजूद इसके, वे आज भी हवा, मिट्टी और पानी के प्रदूषण के बीच जी रहे हैं।

नायगांव-वसई-विरार की तेज़ शहरीकरण की दौड़ में ‘सेंसिटिव जोन’ में चल रहे RMC प्लांट्स ने प्राकृतिक जल, मिट्टी और वायु को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। प्रशासनिक इच्छाशक्ति, कड़े नियम और स्थानीय सहभागिता के बिना क्षेत्र की पारिस्थितिकी और मानव जीवन दोनों ही खतरे में हैं।

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