NHAI ने राजमार्ग ठेकेदारों के लिए कड़े नियम लागू किए। अनधिकृत उप-ठेके और तृतीय-पक्ष वित्तीय प्रतिभूतियों पर रोक से परियोजनाओं की गुणवत्ता, समय पर पूरा होने और वित्तीय पारदर्शिता में सुधार होगा।
मुंबई, 17 सितंबर: भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने बुधवार को राजमार्ग ठेकेदारों के लिए सख्त नियमों की घोषणा की। इन सुधारों के तहत अनधिकृत उप-ठेके और तृतीय-पक्ष वित्तीय प्रतिभूतियों पर स्पष्ट रूप से प्रतिबंध लगाया गया है। इस कदम का उद्देश्य राष्ट्रीय राजमार्गों को सुरक्षित, विश्वसनीय और उच्च गुणवत्ता वाला बनाना है।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने बयान में कहा कि इन सुधारों का लक्ष्य परियोजना निष्पादन की गुणवत्ता में सुधार, देरी कम करना और राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की समग्र लागत घटाना है। NHAI द्वारा RFP (Request for Proposal) में दिए गए स्पष्टीकरण ठेकेदार योग्यता मानदंडों को मजबूत करेंगे, परियोजना निष्पादन में अनुपालन सुनिश्चित करेंगे और वित्तीय प्रस्तुतियों में पारदर्शिता बढ़ाएंगे।
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कड़े ठेकेदार योग्यता मानदंड
इस सुधार में बोली योग्यता में “समान कार्य” (Similar Work) की स्पष्ट व्याख्या शामिल है। अक्सर ठेकेदार केवल छोटे या सीमांत कार्यों का अनुभव दिखाकर बड़े राजमार्ग प्रोजेक्ट्स के लिए पात्रता हासिल कर लेते थे। अब NHAI ने स्पष्ट किया है कि “समान कार्य” केवल पूर्ण और प्रमाणित राजमार्ग परियोजनाओं को ही माना जाएगा, जिसमें परियोजना के सभी प्रमुख घटक शामिल हों।
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राजमार्ग परियोजनाओं में अनधिकृत उप-ठेका पर रोक
RFP के स्पष्टीकरण में EPC ठेकेदारों की अनधिकृत नियुक्ति और EPC परियोजनाओं में उप-ठेकेदारी पर नियंत्रण पर जोर दिया गया है। मंत्रालय ने बताया कि कई मामलों में चयनित बोलीदाताओं ने NHAI की पूर्व अनुमति के बिना उप-ठेकेदारी की है या अनुमेय सीमा पार कर दी है।
पिछले महीने, लोक लेखा समिति (PAC) ने बहुस्तरीय उप-ठेकेदारी की प्रचलित प्रथा की आलोचना की थी, क्योंकि इससे जवाबदेही की कमी, लागत में विसंगतियाँ और गुणवत्ता में समझौता होता है। समिति ने केरल में राष्ट्रीय राजमार्ग 66 की खराब स्थिति सड़क धंसने, दरारें और घटिया निर्माण को उजागर करते हुए चेतावनी दी कि यदि ये सड़कें जनता के लिए खुलतीं, तो इससे गंभीर जनहानि हो सकती थी।
MoRTH ने कहा, “किसी भी अनधिकृत उप-ठेके या अनुमत सीमा से परे उप-ठेके को अवांछनीय व्यवहार के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा और इसके लिए धोखाधड़ी जैसी सजा दी जाएगी। यह अनुबंध निष्पादन में अनुशासन और कार्यान्वयन की अखंडता को मजबूत करेगा।”
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तृतीय-पक्ष वित्तीय प्रतिभूतियों पर प्रतिबंध
सुधार का दूसरा महत्वपूर्ण पहलू बोली और प्रदर्शन प्रतिभूतियों (Bid & Performance Securities) के तीसरे पक्ष से प्रस्तुत होने पर रोक है। मंत्रालय ने बताया कि कुछ बोलीदाताओं ने तृतीय-पक्ष द्वारा जारी प्रतिभूतियाँ पेश कीं, जिससे जवाबदेही कमजोर हुई और प्रवर्तनीयता पर सवाल उठे। अब केवल बोलीदाता या उसकी अनुमोदित संस्थाओं द्वारा समर्थित प्रतिभूतियाँ ही स्वीकार की जाएंगी।
इस कदम से वित्तीय पारदर्शिता बढ़ेगी और संविदात्मक दायित्वों की प्रवर्तनीयता में सुधार होगा।
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