पालघर में केंद्रीय मत्स्यिकी शिक्षा संस्थान और आदिवासी एकता मित्र मंडल द्वारा मछली पालन और जेनेटिक बीज पर कार्यशाला आयोजित की गई। किसानों को प्रशिक्षण और मछली बीज वितरित किए गए, महिला किसानों ने भी सक्रिय भागीदारी दिखाई।
पालघर, 16 सितंबर: पालघर जिले के किसानों के लिए मछली पालन और जेनेटिक रूप से संशोधित मछली बीज पर कार्यशाला मंगलवार, 16 सितंबर 2025 को बिरसायत भवन, मनोर में आयोजित की गई। इसे केंद्रीय मत्स्यिकी शिक्षा संस्थान और आदिवासी एकता मित्र मंडल ने संयुक्त रूप से आयोजित किया। जिले भर के किसानों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
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प्रशिक्षण और मछली बीज वितरण
कार्यशाला में किसानों को ताजे पानी की मछली पालन तकनीक पर प्रशिक्षण दिया गया। पचास किसानों को मछली बीज वितरित किए गए ताकि वे इसे अपने तालाबों और खेतों में उगाकर आय के नए स्रोत तैयार कर सकें। प्रशिक्षण में मछली पालन की बुनियादी तकनीक, पानी की गुणवत्ता, आहार प्रबंधन और रोग नियंत्रण पर विशेष ध्यान दिया गया।
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अतिथियों की उपस्थिति
इस अवसर पर प्रमुख अतिथियों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संघचालक सुरेशजी भागेरिया, मात्सिकी शिक्षा संस्थान के निदेशक डॉ. मुकुंद गोस्वामी, डॉ. किरण रासल, सेवानिवृत्त उप-आयुक्त मत्स्य विभाग वायदा साहेब, राजकुमार सिंगला, लेलिन सिंह, और आदिवासी एकता मित्र मंडल के संस्थापक अध्यक्ष संतोष जनाथे शामिल थे। महिला किसानों और युवा टीम की बड़ी संख्या ने कार्यक्रम को और अधिक सफल बनाया।
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उद्देश्य और महत्व
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य किसानों को आजीविका के नए अवसर प्रदान करना और उन्हें मछली पालन में तकनीकी और आर्थिक सहायता देना था। अतिथियों ने किसानों को प्रेरित किया कि वे मछली पालन को सतत व्यवसाय के रूप में अपनाएँ और विज्ञान का समुचित उपयोग करें।
इस पहल से किसानों की आमदनी बढ़ेगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था सशक्त होगी। कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्र में मछली पालन उद्योग को विकसित करने और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।
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