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Pune Porsche Accident Case : रईसज़ादे की जमानत रद्द, बाल सुधार गृह में भेजा गया नाबालिग आरोपी

Pune Porsche Accident Case

Pune Porsche Accident Case : पुणे के पोर्श एक्सीडेंट केस में नाबालिग आरोपी की जमानत रद्द हो गई है। जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने नाबालिग आरोपी को बाल सुधार गृह भेज दिया है। 5 जून तक आरोपी को आब्जर्वेशन में रखा जाएगा।

आरोपी को बालिग की तरह ट्रीट किया जाए या नहीं इसपर अभी तक कोर्ट की तरफ से कोई फैसला नहीं हो पाया है। माना जा रहा है कि इसपर 5 जून तक फैसला हो सकता है। बता दें कि नाबालिग आरोपी पर बालिग मानकर केस चलाने की मांग की गई थी।

इधर पुणे की एक सत्र अदालत ने कार दुर्घटना (Pune Porsche Accident Case) में शामिल 17 वर्षीय नाबालिग के पिता बिल्डर विशाल अग्रवाल और एक पब के दो कर्मियों को बुधवार को 24 मई तक की पुलिस हिरासत में भेज दिया. नाबालिग लड़के के पिता और ब्लैक कब पब के कर्मी नितेश शेवाणी व जयेश गावकर को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एसपी पोंखसे के सामने पेश किया गया. नाबालिग लड़के के पिता एक रियल एस्टेट कारोबारी हैं. नाबालिग ने दुर्घटना से पहले पब में बैठकर कथित रूप से शराब पी थी.

पब में 90 मिनट में खर्च किए थे 48 हजार रुपये

वहीं, आज खबर मिली है कि एक्सीडेंट से पहले आरोपी नाबालिग लड़के ने 2 पबों में से एक में 90 मिनट में 48 हजार रुपये खर्च किए थे। पुणे के पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने ये जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि कोसी में 48 हजार का बिल भरा गया था। ये पहला पब था, जहां आरोपी और उसके दोस्त शनिवार शाम 10.40 बजे पहुंचे थे। वहीं जब इस पब में उन्हें सेवा मिलना बंद हो गया तो वह दूसरे पब ब्लैक मैरियट में 12.10 बजे पहुंचे।

पुलिस ने बताया कि हमें पब का 48 हजार रुपये का बिल मिला है, जिसका भुगतान कम उम्र के ड्राइवर ने किया था। इस बिल में उस शराब की कीमत भी शामिल है, जिसे आरोपी और उसके दोस्तों को परोसा गया था।

आरोपी नाबालिग के पिता पर स्याही फेंकी

 पुलिस ने मंगलवार को नाबालिग के पिता विशाल अग्रवाल को छत्रपति संभाजी नगर से गिरफ्तार किया था। विशाल की बुधवार को कोर्ट में पेशी थी। पुलिस जैसे ही विशाल को सत्र न्यायालय ले जाने के लिए निकली तो रास्ते में कुछ लोगों ने नाबालिग के बिल्डर पिता पर स्याही फेंक दी।

क्या है पूरा मामला?

पुणे में 17 साल के लड़के ने बीते रविवार (19 मई) को शराब के नशे में पोर्श कार से बाइक सवार दो आईटी इंजीनियरों को टक्कर मार दी थी। हादसे में अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा की मौत हो गई। दोनों युवक-युवती मध्यप्रदेश के रहने वाले थे। पुणे में साथ में एक ही कंपनी में काम करते थे। इस मामले में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने पहले आरोपी नाबालिग को कुछ शर्तों के साथ रिहा कर दिया था। अब तक पुलिस ने पांच आरोपियों को अरेस्ट किया है।

नाबालिग को सात शर्तों पर मिली थी जमानत

1. 7500 रुपये के दो बॉन्ड भरने होंगे। एक निजी बॉन्ड और दूसरा श्योरिटी बॉन्ड।

2. दुर्घटनाओं पर 300 शब्दों का निबंध लिखना होगा।

3. आरटीओ ऑफिस में जाकर नियम-कानून पढ़ने होंगे। प्रेजेंटेशन बनाकर जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को पेश करना होगा।

4.आरटीओ अधिकारियों के साथ 15 दिन तक काम करना होगा। ट्रैफिक नियम समझने होंगे।

5. शराब की लत छुड़ाने के लिए काउंसलिंग होगी।

6. साइकिएट्रिस्ट से संपर्क करना होगा। जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को रिपोर्ट सौंपनी होगी।

7. जब भी बुलाने पर नाबालिग को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सामने पेश होना पड़ेगा।

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