महाराष्ट्र सरकार ने एसटी महामंडल की अतिरिक्त भूमि के व्यावसायिक उपयोग की मंजूरी दी है। अब पीपीपी मॉडल पर 98 वर्षों की लीज़ होगी, जिससे संस्था को आर्थिक मजबूती और यात्रियों को बेहतर सेवाएँ मिलेंगी।
मुंबई, 02 सितंबर: महाराष्ट्र सरकार ने राज्य मार्ग परिवहन महामंडल (एसटी महामंडल) की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए एक अहम निर्णय लिया है। अब एसटी महामंडल के पास मौजूद अतिरिक्त भूमि का उपयोग वाणिज्यिक आधार पर किया जा सकेगा। इस फैसले के तहत सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल पर परियोजनाएँ विकसित होंगी और पट्टा अवधि 60 वर्षों से बढ़ाकर 98 वर्ष कर दी गई है। परिवहन मंत्री तथा एसटी महामंडल के अध्यक्ष प्रताप सरनाईक ने कहा कि इस कदम से महामंडल की आय बढ़ेगी और संस्था को आर्थिक स्थिरता मिलेगी।
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पट्टा अवधि में बढ़ोतरी
सरकार की संशोधित नीति के अनुसार, एसटी महामंडल की अतिरिक्त भूमि का विकास 49 वर्ष + 49 वर्ष, कुल 98 वर्षों के लिए किया जाएगा। इस दौरान संबंधित भूमि के वाणिज्यिक उपयोग से होने वाली आय या क्षेत्रफल का निश्चित हिस्सा महामंडल को जमा करना अनिवार्य होगा।
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मुंबई महानगर क्षेत्र को प्राथमिकता
सरनाईक ने स्पष्ट किया कि मुंबई महानगर क्षेत्र (MMR) सहित राज्य के अन्य हिस्सों में एसटी महामंडल की बेकार पड़ी जमीन का विकास किया जाएगा। इससे न केवल महामंडल की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, बल्कि शहरी विकास की गति भी बढ़ेगी। विकास कार्यों में DCPR-2034 और UDCPR-2020 के प्रावधानों के अनुसार वाणिज्यिक उपयोग की अनुमति दी जाएगी।
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गुणवत्तापूर्ण सेवाओं की दिशा में पहल
परिवहन मंत्री ने कहा कि यह निर्णय केवल भूमि विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य यात्रियों को बेहतर सुविधाएँ उपलब्ध कराना भी है। अतिरिक्त आय से महामंडल अपनी बस सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करेगा, नए डिपो, आधुनिक बस अड्डे और यात्री सुविधाएँ विकसित की जाएंगी।
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आर्थिक लाभ और पारदर्शिता
इस नीति से महामंडल की निष्क्रिय भूमि का लाभकारी उपयोग होगा। जहाँ पहले ये जमीनें बेकार पड़ी थीं, वहीं अब इनसे आय अर्जित होगी। इसके अलावा, पीपीपी मॉडल के कारण निजी क्षेत्र की पूँजी और विशेषज्ञता का लाभ मिलेगा। इससे न केवल वित्तीय लाभ होगा बल्कि प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही भी बढ़ेगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अतिरिक्त जमीनों का उपयोग पारदर्शी तरीके से किया गया तो इससे एसटी महामंडल को हर साल होने वाले घाटे में कमी आएगी। अब तक महामंडल की अधिकांश संपत्तियाँ अव्यवस्थित ढंग से पड़ी रहती थीं, जिससे उनका मूल्य घटता जा रहा था।
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नई परियोजनाओं को बढ़ावा
इस निर्णय से नए व्यावसायिक प्रोजेक्ट्स को बढ़ावा मिलेगा। बस अड्डों और डिपो के आसपास शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, ऑफिस स्पेस, पार्किंग सुविधा और अन्य वाणिज्यिक संरचनाएँ बनाई जा सकेंगी। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।
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महामंडल की आर्थिक मजबूती की दिशा में बड़ा कदम
महाराष्ट्र राज्य मार्ग परिवहन महामंडल लंबे समय से घाटे से जूझ रहा है। हर साल बढ़ते खर्च और ईंधन लागत के चलते संस्था पर भारी दबाव है। इस निर्णय से संस्था की वित्तीय स्थिति में सुधार होगा और भविष्य में यात्रियों को आधुनिक व सुविधाजनक सेवाएँ उपलब्ध कराई जा सकेंगी।
सरकार का यह कदम एसटी महामंडल के लिए आर्थिक पुनरुत्थान साबित हो सकता है। अतिरिक्त भूमि का वाणिज्यिक उपयोग संस्था की आमदनी का नया स्रोत बनेगा। साथ ही, इससे यात्री सेवाओं की गुणवत्ता में भी सकारात्मक बदलाव आएगा। परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने विश्वास जताया है कि यह निर्णय महामंडल और राज्य के नागरिकों दोनों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा।
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