Vasai-Virar: वसई-विरार (Vasai-Virar) क्षेत्र में आवारा कुत्तों का आतंक तेजी से बढ़ता जा रहा है, जिससे स्थानीय लोग बेहद परेशान हैं। पिछले चार वर्षों में 72 हजार से अधिक लोग इन कुत्तों का शिकार बन चुके हैं। खासकर महिलाओं और बच्चों के लिए यह समस्या और भी गंभीर हो गई है, क्योंकि दिन के साथ-साथ रात के समय भी सड़कों पर चलना अब सुरक्षित नहीं रहा।
कुत्तों का बढ़ता खौफ
शहर के हर मोहल्ले और गली में आवारा कुत्तों के झुंड देखे जा सकते हैं। ये कुत्ते न केवल राहगीरों का पीछा करते हैं, बल्कि कई बार हमला भी कर देते हैं। अर्नाला गांव में हाल ही में एक दिन में 28 लोगों को कुत्तों ने काटा। इस घटना के बाद इलाके में दहशत का माहौल है, और लोग घर से बाहर निकलने में डर महसूस कर रहे हैं।
नसबंदी कार्यक्रम पर सवाल
नगर निगम के अधिकारियों के अनुसार, पिछले चार वर्षों में आवारा कुत्तों की नसबंदी पर करीब तीन करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। शहर में सिर्फ एक नसबंदी केंद्र है, जो वसई पूर्व के नालासोपारा इलाके में स्थित है। इस केंद्र में हर महीने करीब 300 कुत्तों की नसबंदी की जाती है, लेकिन इसके बावजूद कुत्तों की संख्या में कोई कमी नहीं आ रही है।
शहर में कुत्तों को पकड़ने के लिए 150 पिंजरे उपलब्ध हैं, लेकिन नसबंदी की प्रक्रिया कागजी कार्रवाई से आगे नहीं बढ़ पा रही है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि नसबंदी कार्यक्रम की प्रगति केवल कागजों पर ही दिखती है, जबकि वास्तविकता में कुत्तों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।
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भविष्य की योजनाएं और प्रशासन की तैयारी
नगर निगम ने इस समस्या से निपटने के लिए नए नसबंदी केंद्र खोलने की योजना बनाई है। शहर के विभिन्न हिस्सों में कुत्तों की बढ़ती संख्या को देखते हुए नए केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए नए स्थानों की पहचान की जा रही है, जहां सर्जरी और नसबंदी के काम तेजी से किए जा सकें। अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही इन केंद्रों पर तीन से पांच पिंजरे और लगाए जाएंगे, ताकि एक साथ अधिक कुत्तों की नसबंदी की जा सके।
जनता की उम्मीदें और प्रशासन की चुनौतियां
वसई-विरार की जनता अब प्रशासन से त्वरित और प्रभावी कार्रवाई की उम्मीद कर रही है। पिछले कुछ वर्षों में आवारा कुत्तों के हमलों में वृद्धि से स्थानीय लोग बेहद चिंतित हैं। हालांकि, प्रशासन ने इस समस्या को गंभीरता से लिया है और इसे जल्द से जल्द हल करने का आश्वासन दिया है।
लेकिन जब तक नए नसबंदी केंद्र काम करना शुरू नहीं करते और कुत्तों की संख्या में वास्तविक कमी नहीं आती, तब तक शहर के लोग इस खतरे के साए में जीने को मजबूर हैं। ऐसे में प्रशासन की चुनौतियां भी बड़ी हैं और उन्हें जल्द से जल्द समाधान निकालना होगा।
शहर के लोग केवल यही चाहते हैं कि उन्हें जल्द ही इस समस्या से राहत मिले और वे बिना किसी डर के अपने दैनिक जीवन को सामान्य रूप से जी सकें।
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