VVCMC Ganpati Puja Circular 2024 : क़रीब पाँच वर्ष पहले महाराष्ट्र सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग, भण्डारण, विक्रय, परिवहन पर रोक लगाने की दिशा में कदम उठाते हुए एक नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके अनुसार प्लास्टिक या थर्माकोल से बने कप, प्लास्टिक शॉपिंग बैग, पेट प्लास्टिक बॉटल (200 ml तक) और स्ट्रॉ के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया गया था। इसके अलावा पानी के पाउच को भी बैन किया गया था।
यह नोटिफिकेशन महाराष्ट्र के पर्यावरण विभाग, महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और ठाणे कॉरपोरेशन द्वारा जारी किया गया था। शासन द्वारा कार्रवाई के लिए निर्धारित प्रक्रिया के तहत महानगरपालिका को कार्रवाई के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया था और कहा गया था कि जिला प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से समन्वय बनाकर दुकानों व प्रतिष्ठानों में सिंगल यूज प्लास्टिक की जांच पड़ताल की जाए। जहां भी सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग, परिवहन, भण्डारण आदि पाया जाता है तो उसे तत्काल जब्त कर संबंधित दुकान अथवा प्रतिष्ठान संचालक के विरुद्ध कार्रवाई किया जाए.
वसई विरार मनपा द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक पर अंकुश नहीं लगाए जाने से इनका चलन बना हुआ है और लोग इसका धड़ल्ले से उपयोग कर रहे हैं। इस कारण झुग्गी बस्तियों अथवा मुख्य मार्गों में गंदगी की भरमार दिखाई पड़ती है। नालियां जाम हो रहीं हैं, जिनसे दुर्गंध उठती रहती है,वातावरण दूषित बना रहता है।
पर्यावरणविद और वैज्ञानिकों हमेशा सचेत करते रहे हैं कि सिंगल यूज प्लास्टिक इधर-उधर फेंकने से कचरा बढ़ता है। इस कचरे को जब जलाया जाता है तो इसके धुएँ में फॉस्जीन तथा नाइट्रस ऑक्साइड जैसी विषैली गैसें उत्सर्जित होतीं हैं जो वायुमण्डल की ऑक्सीजन को कम करती हैं। इससे आसपास का आदमी घुटन सी महसूस करता है। इसके अलावा इन गैसों के संपर्क में आने से मनुष्य को त्वचा संबंधी तथा कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी होने का अंदेशा भी रहता है। इसलिए इनको असुरक्षित ढंग से जलाया जाना भी पूर्णत: प्रतिबंधित किया गया है।
लेक़िन वसई विरार मनपा की मौजूदा कार्यशैली के अनुसार यह प्रदुषण नहीं है,इससे पर्यावरण को कोई खतरा नहीं है तभी तो अब तक इस दिशा में कार्रवाई करने और रोकथाम के उपायों की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। वसई विरार मनपा,इस शासकीय आदेश को ठण्डे बस्ते में डाल लंबे समय से कुम्भकर्ण की नींद सो रही है।
मनपा की कार्यशैली को देखते हुए मानो ऐसा लगता है कि महाराष्ट्र शासन ने पर्यावरण और प्रदुषण के रोकथाम के लिए कोई आदेश पारित नहीं किया था,यह तो एक शासकीय मज़ाक था जो मंत्रालय में कार्यपालिका के शीर्ष पदों पर बैठे लोग समय समय पर स्थानीय निकायों के मनोरंजन के लिए करते रहते है! वसई विरार में प्रदुषण है कहाँ?
आश्चर्य की बात यह है कि मनपा, पर्यावरण और प्रदुषण के लिए अनायास इतनी चिंतित हो उठी कि साल में एक बार आने वाले गणेशोत्सव को लेकर पांच महीने पहले(30 April-2024) ही परिपत्रक जारी कर मूर्तिकारों को चेतावनी दी जा रही है।
वसई विरार मनपा क्षेत्र में सालों से सड़कों,तालाबों एवं फारेस्ट रिज़र्व भूमियों पर कब्जा किया जा रहा है। सरेआम अवैध निर्माण करवाया जा रहा है और अगर पहले से कहीं अवैध निर्माण है तो उसको सोच समझ कर पोषित कर रही है.
वसई विरार में केमिकल कंपनियां नियमों को ताख पर रखकर धडल्ले से जल प्रदूषण और वायु प्रदूषण फैला रही हैं लेकिन उन पर महानगरपालिका के अरोग्य अधिकारियों को प्रदूषण नजर नहीं आता,सड़कों और आस पास कचरे का अंबार लगा रहता है, नाले और सड़कों पर गंदा पानी बह रहा है लेकिन महानगरपालिका अधिकारियों को सिर्फ गणेशोत्सव में मूर्तिकारों द्वारा प्रयुक्त होने मिट्टी,उसमें उपयोग होने वाले रंगों इत्यादि में सारा प्रदूषण नजर आ रहा है।
साल दर साल वसई विरार पर्यावरण संबंधी खतरों और प्रदुषण के ज़ाल फँसता हुआ दिखाई दे रहा है. ये कोई मनगढ़ंत कहानी नहीं है वल्कि वसई विरार मनपा के ही प्रदुषण के आंकड़े है!
सवाल यह है आखिर मनपा अधिकारियों को संवेदनशीलता दिखाने की इतनी जल्दी क्यों है? गणेशोत्सव को लेकर मनपा द्वारा जारी किये गए परिपत्रक प्रदुषण नियंत्रण के लिए है या यह माना जाए कि यह पूरा परिपत्रक ही प्रदूषित है क्योंकि पर्यावरण प्रदूषित कभी कभी नहीं होती है, इस पर तो हर ऱोज़ कार्य करने ज़रूरत होती है। क्या वसई विरार महानगरपालिका यह बता सकती है कि सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग,भण्डारण, विक्रय, परिवहन पर रोक लगाने की दिशा में पिछले पाँच वर्षों में क्या क्या क़दम उठाई है?
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