Corruption : दलाल चला रहे वसई-विरार का ये विभाग
RTO कार्यालय में चरम पर भ्रष्टाचार (Corruption)
सुष्मित झा / विरार
विरार: वसई-विरार उप प्रादेशिक परिवहन विभाग का विरार कार्यालय दलालों के चंगुल में फंस गया है। स्थिति ऐसी है कि यहां बगैर दलालों के कोई काम नहीं हो पाता।
अगर आप बिना दलाल अपना काम करवाना चाहते हैं तो आपको महीनों विभाग का चक्कर लगाना पड़ सकता है फिर भी आपका काम होगा ये गारंटी नहीं है। इसका एक मुख्य कारण विभाग में तैनात लिपिकों का सही ढंग से अपनी ड्यूटी न करना और दलालों से सांठ-गांठ रखना है।
इस तरह की सूचना की पुष्टि करने जब मेट्रो सिटी समाचार की टीम सोमवार को आरटीओ आफिस पहुंची तो वहां का मंजर देख कर हैरान हो गई। पाया कि आरटीओ विभाग में इन दिनों दलालों की भरमार है। सड़क से लेकर दफ्तर तक कई दलाल नजर आए। जैसे ही कोई व्यक्ति लाइसेंस या वाहन के अन्य काम से आरटीओ दफ्तर आता था वैसे ही दलाल उसको घेर लेते थे।
पूछताछ कर पहले उनके आने का मकसद पता करते थे और जब उन्हें यकीन हो जाता था कि वह लाइसेंस बनवाने आया है तो उसे इतना बरगला दे रहे थे कि वह उनके जाल में फंस जा रहा था। इसके बाद उनसे ही अपना काम कराने की जिम्मेदारी सौंप दे रहा था। जिसका फायदा उठाते हुए बिचौलिए उनसे मोटी रकम वसूलने का काम करने लगे। जिसमें ‘सबका हिस्सा’ बंधा होता है।
सेटिंग का आलम ये है कि इस संबंध में शिकायतों के बावजूद अभी तक कोई औचक छापेमारी नहीं हुई ना की कोई ऐसी कार्रवाई, जिससे दलालों में डर बन सके। वहीं एक स्थानीय निवासी की माने तो वे तकरीबन दो महीने तक आरटीओ आफिस के चक्कर काटते रहे लेकिन उनका लाइसेंस नहीं बन सका। थक कर उन्होंने बिचौलिए को चार हजार रुपये दे दिया। इसके बाद उसका लाइसेंस बन गया।
मतलब साफ है कि विरार का RTO कार्यालय दलालों के चंगुल में फंस चुका है जिससे लोगों की परेशानियां खत्म होने का नाम नहीं लेती।ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए लाइन में लगे लोग भले ही शोर मचाते रहें लेकिन काम उसी का पहले होता है जो दलालों से संपर्क करता है। वहीं ‘सबकुछ’ जानते हुए भी आफिस में बैठे अधिकारी मूकदर्शक बने रहते हैं। उनके दफ्तर के बाहर भले ही कितनी भी लंबी कतारें लगी हो परंतु दलालों और टैंकर यूनियन की बिना किसी रोक टोक के प्रवेश दिया जाता है
अब सवाल उठता है कि RTO विभाग की साख पर बट्टा लगाने वाले ऐसे अधिकारियों, कर्मचारियों पर यहां के वरिष्ठ अधिकारी लगाम लगाने में असमर्थ क्यो हैं?