Shocking : वसई विरार शहर हो रहा अतिक्रमण ग्रस्त, VVCMC खेल रही MRTP नोटिस का ‘खेला’ ?
साल २०२२ से अब तक मनपा (VVCMC) ने अवैध निर्माणकर्ताओं को जारी किये कुल 182 MRTP नोटिस, जिनमें कार्रवाई सिर्फ 5 % !!!
कुख्यात भूमाफियाओं के 182 अवैध निर्माणों की लम्बी फ़ेहरिस्त है, जिनमें कथित रसूखदार और सफ़ेदपोश लोग शामिल हैं,जिनके आज भी अवैध निर्माण होते आ रहे हैं. सूत्रों के अनुसार एक और चौंकाने वाली बात यह सामने आयी है कि साल २०२३ से २०२४ के बीच किसी भूमाफिया या अवैध निर्माणकर्ता को मनपा (VVCMC) द्वारा MRTP नोटिस नहीं दी गयी है. जबकि शहर के स्थानीय समाचार पत्र हर रोज सैकड़ों अवैध निर्माणों की तस्वीरें प्रकाशित करते हैं. इसका मतलब ये समझा जाए कि मनपा की लाचारी इस हद तक पहुँच चुकी है कि वो MRTP नोटिस देने तक का साहस नहीं जुटा पा रही ?
वसई: अवैध निर्माण (अनाधिकृत बांधकाम) को लेकर वसई-विरार शहर महानगरपालिका पिछले कई वर्षो से राज्य स्तरीय चर्चा का विषय बनी हुई है। शहर में मालिकाना अधिकार की जमीन के साथ ही आदिवासी और सरकारी जमीन भी भूमाफियाओं से सुरक्षित नहीं है। वसई विरार की आरक्षित जमीनों पर आज भी भूमाफिया कब्जा करते जा रहे हैं। महानगरपालिका और तहसील प्रशासन भूमाफियाओं के आगे असहाय और वहां के टैक्स दाता और सामान्य नागरिकों के हितों की रक्षा करने में असमर्थ नजर आ रहे हैं।
बात करें वसई विरार मनपा की तो वसई-विरार शहर महानगरपालिका के ऐसे ही लापरवाह रवैये का फ़ायदा उठाकर अब गृहनिर्माण सोसाइटी के फ्लैट मालिकों और दुकानों द्वारा भी अनधिकृत बांधकाम कर महाराष्ट्र प्रादेशिक एवं नगर नियोजन अधिनियम 1966 के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है.अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय और राज्य सरकार के आदेश के बाद भी शहर में अवैध निर्माण/अनधिकृत बांधकाम का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब सवाल ये उठता है कि यदि अनधिकृत बांधकाम एवं अवैध निर्माण का सिलसिला इसी तरह चलता रहा तो शहर विकास योजना किस काम की है?,स्वच्छ भारत का क्या होगा?, नागरिकों के स्वास्थ्य की चिंता कौन करेगा?
आज हम बात करेंगे वसई-विरार शहर महानगरपालिका के एक प्रभाग की जो प्रभाग समिती-जी (वालीव) की, जिनका अधिकार क्षेत्र (वसई हाईवे से लेकर मधुबन टाउनशिप, गोखिवरे तक) में बड़ी संख्या में औद्योगिक संस्थान के साथ साथ गृहनिर्माण सोसाइटी भी आती है.
वसई-विरार शहर महानगरपालिका (VVCMC) से प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार (जनवरी 2022 से अभी तक) महाराष्ट्र प्रादेशिक एवं नगर नियोजन अधिनियम 1966(MRTP) के उल्लंघन यानि अनधिकृत बांधकाम के 182 मामले दर्ज़ हुए है लेक़िन वसई-विरार शहर महानगरपालिका अनधिकृत बांधकाम एवं अवैध निर्माण को लेकर कितनी संवेदनशील है इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले ढाई वर्षो में महानगरपालिका के जी प्रभाग में MRTP की 182 नोटिस जारी की गई।
ये आंकड़ा सिर्फ जनवरी २०२२ से आज तक का है।इन मामलो में से मात्र 09 अनधिकृत बांधकाम (सिर्फ़ 5%) मामलों कार्रवाई हुई है शेष 95% मामले वसई विरार मनपा के फ़ाइलों में आराम फरमा रहे है. यानि ये वो मामले हैं जो मनपा के रिकॉर्ड पर हैं और उन्हें MRTP अंतर्गत नोटिस जारी की गई है। जिनमें कुछ पर अपराध भी दर्ज किए गए हैं लेकिन अधिकतर का स्टेटस ’कार्रवाई प्रस्तावित आहे’ दर्शाता है। कुछ का ‘कैविएट दाखल’ किया गया है वाला ‘स्टेटस’ है।
बड़ा सवाल यह है कि क्या मनपा ने यह MRTP नोटिस वाकई में कार्रवाई करने के लिए ही जारी की थी या फिर ये भी कोई कानून दांव है जिससे मनपा अधिकारी स्वयं सुरक्षित रहें और अवैध निर्माणकर्ता भी सुरक्षित हो जाए? अगर ऐसा नहीं तो फिर मामले लंबित क्यों हैं और उन पर कार्रवाई करेगा कौन ?
यह कहानी तो वसई-विरार शहर महानगरपालिका के सिर्फ एक प्रभाग समिती के दो सालों का मामला है, सोचिए अगर वसई विरार मनपा के सभी नौ प्रभागों में अनधिकृत बांधकाम एवं अवैध निर्माण से सम्बंधित महाराष्ट्र प्रादेशिक एवं नगर नियोजन अधिनियम 1966 (MRTP) के उल्लंघन से सम्बंधित मामलों के आंकड़ों को शामिल कर लिया जाए तो वसई विरार मनपा की कार्यशैली, लापरवाह रवैया और संवेदनहीनता की कितनी भयावह तस्वीर उभरेगी?
- वसई-विरार शहर महानगरपालिका की इसी कमज़ोरी का गृहनिर्माण सोसाइटियों ने भी भरपूर लाभ उठाया है. कॉमन एरिया एवं स्वीकृत ले-आउट को नज़रअंदाज़ कर बड़ी संख्या में गृहनिर्माण सोसाइटी के फ्लैट और दुकानों में भी अनधिकृत बांधकाम(पत्रा शेड) डाले हुए देखा जा सकता है जो बाद में कचरा और कबूतरों का स्वर्गरूपी अड्डा बन जाता है.
कार्रवाई के मामले में इंडस्ट्रियल गाला /औद्योगिक क्षेत्रों में तो वसई-विरार शहर महानगरपालिका थोड़ी बहुत तेज़ी दिखती है,क्यों? इसको बताने की आवश्यकता नहीं है,लेकिन जब बात गृहनिर्माण सोसाइटियों पर कार्रवाई की आती है तो वसई विरार मनपा की लापरवाह मानसिकता,लचर कार्यप्रणाली स्थानीय राजनीति के गुणा-भाग के आगे MRTP को खुलेआम ठेंगा दिखाती है.
बीते दिनों एवरशाइन सिटी, वसई पूर्व में जो कार्रवाई हुई है वो वसई-विरार शहर महानगरपालिका ने स्वप्रेरणा या संज्ञान लेकर नहीं किया है. एवरशाइन सिटी, वसई पूर्व में अतिक्रमण पर कार्रवाई लोकायुक्त, महाराष्ट्र के आदेश पर हुई है. वसई-विरार शहर महानगरपालिका तो एवरशाइन सिटी, वसई पूर्व के अतिक्रमण को पिछले 20 वर्षो से पोषित कर रखा था. इस मामले में उन व्यापारियों को लाखों का नुकसान हुआ, आर्थिक के अलावा मानसिक पीड़ा हुई, सो अलग।
इन सबके बीच महंगे फ्लैट खरीदने वाले और गृहनिर्माण संस्था के तहत एक सामाजिक ढांचा तैयार करने की परिकल्पना लेकर चलने वाले शहरवासी आखिर मनपा की इस दोहरी नीति का भुगतान क्यों करें ? एक तरफ बिल्डर सोसायटी फ़ीस के नाम पर मोटी रकम वसूलता है तो दूसरी ओर उसी सोसायटी में दुकानदार अवैध निर्माण कर अपने निजी फायदे के लिए सैकड़ों फ्लैटधारकों के अधिकारों का हनन करते हैं। आखिर इस पर कब रोक लगेगी और भ्रष्टाचार को जन्म देने वाले ऐसे मुद्दों का पोषण मनपा अधिकारी कब तक करेंगे?
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वसई-विरार शहर महानगरपालिका के आयुक्त,प्रभाग समिती-जी के सम्बंधित उपायुक्त और सहा.आयुक्त,प्रभाग समिती-जी(वालीव) में कार्यवाई के लिए लंबित अनधिकृत बांधकाम(MRTP) के लगभग 173(95%) मामलों में अतिक्रमण हटाने के लिए कितनी जल्द कार्यवाई करती है?
अवैध निर्माणों का स्वास्थ्य पर दूरगामी दुष्परिणाम
वसई विरार क्षेत्र के जानकार बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षो से फेफड़ों/ स्वास के संक्रमण/एलर्जी की समस्या में काफी बढ़ोतरी हुई है जिनमें कबूतर पालन भी इसका एक प्रमुख कारक है. दरअसल जहां पर भी ज़्यादा कबूतर होते हैं, वहां पर एक अजीब सी दुर्गन्ध होती है. ये कबूतर उन्हीं जगहों पर बैठना पसंद करते हैं, जहां पर इन्होंने बीट की हो. जब ये बीट सूख जाती है तो पाउडर का रूप ले लेती है, और जब ये पंख फड़फड़ाते हैं तो बीट का पाउडर सांसों के ज़रिए हमारे भीतर पहुंच जाता है. इसी से फेफड़े की भयंकर बीमारी होती है.
इसलिए कबूतर पालन के लिए भी सरकारी निर्देश हैं कि इन्हें सोसायटी से दूर पाला जाना चाहिए। हालात ये हैं कि ‘स्वच्छ भारत’ और गंदगी पर रोकथाम के नाम पर स्टेशनों और बस अड्डों पर वसई विरार मनपा द्वारा तैनात स्वच्छता मार्शल ‘वसूली’ के लिए पूरा जोर लगा देते हैं लेकिन जहाँ पर स्वच्छता की ज्यादा आवश्यकता है वहां इनका सिस्टम पंगु हो जाता है।
स्वच्छ शहर की परिकल्पना को तिलांजलि देता अतिक्रमण
वसई विरार में आज भी अधिकांश क्षेत्रों में अवैध निर्माण धडल्ले से शुरू है। जिसकी वजह से स्वच्छ शहर की परिकल्पना ही नहीं की जा सकती। जानकार कहते हैं कि वसई विरार शहर को लोग ‘डूबता शहर’ या फिर गंदा शहर के तौर पर पहचानते हैं। यहां के कुछ रिहायशी इलाकों को छोड़ दें तो बाकी नायगांव, वसई, नालासोपारा, विरार के पूर्वी क्षेत्रों की सरकारी, व्यक्तिगत और आरक्षित जमीनों पर अतिक्रमण कर झोपड़पट्टी बनाया जा रहा है। जो आने वाले 30 सालों के लिए शहर की छवि को बिगाड़ने का मुख्य कारक होगा।
जिससे स्वच्छता अभियान की परिकल्पना सिर्फ कागजों का हिस्सा बनी रहेगी, इसे धरातल पर उतारना संभव ही नहीं होगा।
ट्रैफिक जाम की एकमात्र समस्या अतिक्रमण
शहर के ट्रैफिक जाम के बारे में बोलने जैसा तो कुछ है ही नहीं,सड़कों पर अवैध रूप से खड़े लाखों फेरीवाले ठेले पूरे शहर को ‘फेरीवाला शहर’ होने की गवाही देते हैं। नालासोपारा के अचोले रोड, स्टेशन परिसर, सनशाइन, अल्कापुरी, गाला नगर, नागिनदास इत्यादि क्षेत्रों में हमेशा ट्रैफिक जाम लगा ही रहता है। जिसका कोई हल, फिलहाल महानगरपालिका ढूंढ नहीं पा रही।
हर साल जलमग्न होता है वसई विरार
अवैध निर्माण में संलिप्त भूमाफिया बिना प्लानिंग अवैध निर्माण करते हैं जिसकी वजह से शहर भर के प्राकृतिक स्रोत जिनमें प्राकृतिक नाले, झरने, पहाड़ इत्यादि हजम कर लिए जा रहे हैं और जलजमाव की ना खत्म होने वाली परिस्थितियां उत्पन्न हो रही हैं जिससे यहां के लोगों के लिए असहनीय पीड़ा उत्पन्न करने वाली स्थिति बनती जा रही है। टाउन प्लानिंग विभाग द्वारा आरक्षित जमीन भी भूमाफिया निगलते जा रहे हैं।एक बारगी देखा जाए तो ये पूरा शहर ही अव्यवस्थित तरीके से बसाया जा रहा है। जिसके कारण बारिश के दिनों में सारी व्यवथाएं चरमरा जाती हैं।
गंदगी और मच्छरों के आतंक से जनता परेशान
वसई विरार में व्यापक तौर पर अतिक्रमण और अवैध निर्माण होने की वजह से यहां स्वच्छता विभाग के लिए चुनौतियां बढ़ती जाती हैं। शहर के कई इलाके ऐसे हैं जहां अभी तक पानी निकासी के लिए गटर, सड़क इत्यादि तक का निर्माण नहीं हो पाया है। इन सबके बीच जो क्षेत्र बस चुके हैं वहां स्वच्छता का पूरी तरह टोटा है। मनपा के पास आवश्यक संसाधनों की कमी पड़ती जाती है और शहर बसने का दायरा हर साल बढ़ता जाता है जिससे शहर में गंदगी का साम्राज्य भी खत्म नहीं हो रहा। इन सब के कारण मच्छरों का आतंक भी बढ़ गया है। जिससे बारिश के सीजन के बाद मलेरिया, डेंगू इत्यादि के मामले बढ़ते देखे जाते हैं।
वसई विरार महानगरपालिका द्वारा प्रभाग जी, वालीव क्षेत्र में साल २०२२ से अब तक अवैध निर्माणकर्ताओं को जारी की गई 182 MRTP नोटिस, जिसका पंचनामा क्रमवार आप तक पहुँचेगा.
शेष अगले अंक में ..
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