महाराष्ट्र

Maharashtra News: सोयाबीन उत्पादकों को केंद्र सरकार से राहत, 13 लाख टन की होगी खरीदारी

सोयाबीन उत्पादकों को केंद्र सरकार से राहत, 13 लाख टन की होगी खरीदारी

देशभर में कृषि संकट के बीच, राज्य के सोयाबीन किसानों के लिए केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण राहत की घोषणा की है। केंद्र ने अगले 90 दिनों के भीतर 13 लाख टन सोयाबीन न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदने का निर्णय लिया है। इस फैसले से महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों के सोयाबीन उत्पादक किसानों को काफी राहत मिलने की उम्मीद है, जो पिछले कुछ महीनों से खराब मौसम और बाजार में कीमतों की गिरावट से जूझ रहे हैं।

खरीद केंद्र और MSP की घोषणा

सरकार के इस फैसले के अनुसार, सोयाबीन की खरीद ‘नाफेड’ (National Agricultural Cooperative Marketing Federation of India) और ‘एससीसीएफ’ (Small Farmers’ Agribusiness Consortium) के अधिकृत केंद्रों पर की जाएगी। यह खरीदारी सीधे किसानों से की जाएगी, जिससे उन्हें बिचौलियों के हस्तक्षेप से बचने का मौका मिलेगा। केंद्र सरकार ने इस वर्ष महाराष्ट्र के लिए सोयाबीन की किमान समर्थन मूल्य 4,892 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है, जो पिछले वर्षों की तुलना में बेहतर दर है। इससे किसानों को उचित दाम मिलने की उम्मीद है और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है।

किसानों को कैसे मिलेगा फायदा

महाराष्ट्र के प्रमुख सोयाबीन उत्पादक जिलों जैसे विदर्भ, मराठवाड़ा, और उत्तर महाराष्ट्र के लाखों किसानों को इस फैसले से फायदा होगा। पिछले कुछ सीजन में सोयाबीन की कम कीमतें और उत्पादन में कमी के कारण किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा था। इस फैसले के बाद, सोयाबीन उत्पादकों को कम से कम 4,892 रुपये प्रति क्विंटल की गारंटी मिलेगी, जिससे उन्हें बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव की चिंता नहीं करनी पड़ेगी।

खरीद प्रक्रिया और समयसीमा

खरीद प्रक्रिया के लिए केंद्र सरकार ने नाफेड और एससीसीएफ को अगले 90 दिनों के भीतर 13 लाख टन सोयाबीन की खरीदारी पूरी करने के निर्देश दिए हैं। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सोयाबीन की खरीदारी के समय किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिले और इस प्रक्रिया में कोई देरी न हो। इसके अलावा, सरकार यह भी सुनिश्चित करेगी कि खरीदारी पारदर्शी और सुविधाजनक तरीके से की जाए।

कृषि क्षेत्र के लिए सकारात्मक संकेत

सरकार के इस कदम को कृषि क्षेत्र के लिए एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है। इससे किसानों को न केवल आर्थिक सुरक्षा मिलेगी, बल्कि सोयाबीन उत्पादन को प्रोत्साहन भी मिलेगा। महाराष्ट्र में सोयाबीन खेती का बड़ा हिस्सा है, और इस फैसले से खेती के क्षेत्र में स्थिरता आने की उम्मीद है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार के इस कदम से अन्य राज्यों में भी सोयाबीन की कीमतें स्थिर रहेंगी, जिससे पूरे देश में सोयाबीन की खेती को बढ़ावा मिलेगा।

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