MPCB will get ‘Paryavaran Bhawan’: बीकेसी में एमपीसीबी को मिलेगा ‘पर्यावरण भवन’, एमएमआरडीए ने ₹468 करोड़ में दी ज़मीन की मंजूरी
एमएमआरडीए की 159वीं बैठक में लिया गया अहम फैसला, 80 साल की लीज पर मिलेगा 3,400 वर्ग मीटर प्लॉट; पर्यावरणीय प्रशासन को मिलेगा आधुनिक आधार

मुंबई: मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (MMRDA) ने बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) के जी-ब्लॉक में महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल (MPCB) को प्रशासनिक कार्यालय (MPCB will get ‘Paryavaran Bhawan) के लिए भूमि आवंटित करने की मंजूरी दे दी है।
यह निर्णय एमएमआरडीए की हाल ही में आयोजित 159वीं बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एवं एमएमआरडीए के अध्यक्ष एकनाथ शिंदे ने की। इस मंजूरी के तहत MPCB को बीकेसी स्थित C-79 प्लॉट पर ‘पर्यावरण भवन’ स्थापित करने की अनुमति दी गई है, जिससे राज्य के पर्यावरण संरक्षण प्रयासों को नई गति मिलने की उम्मीद है।
आवंटित भूखंड का कुल क्षेत्रफल 3,400.59 वर्ग मीटर है, जिसमें वाणिज्यिक उपयोग के लिए 4.00 एफएसआई के साथ कुल 13,602.36 वर्ग मीटर का निर्माण किया जा सकेगा। लीज की अवधि 80 वर्ष तय की गई है, जिसके लिए एमपीसीबी को ₹468.60 करोड़ का लीज प्रीमियम चुकाना होगा। भुगतान योजना को सुविधाजनक बनाते हुए 25 प्रतिशत राशि दो माह में तथा शेष 75 प्रतिशत राशि आगामी दस माह में अदा करने की छूट दी गई है।
परियोजना को लेकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि “बीकेसी में पर्यावरण भवन की स्थापना महाराष्ट्र में पर्यावरणीय नीतियों को लागू करने और उन्हें प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।” वहीं उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इसे बीकेसी के शहरी विकास और सतत योजना के लिए मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि यह भवन एमपीसीबी की कार्यक्षमता को बढ़ाएगा और पर्यावरणीय निर्णयों में गति लाएगा।
एमएमआरडीए के महानगर आयुक्त डॉ. संजय मुखर्जी (IAS) ने कहा कि “बीकेसी को एक बहुआयामी प्रशासनिक और व्यवसायिक केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है, और ‘पर्यावरण भवन’ जैसे संस्थान इस दिशा में निर्णायक भूमिका निभाएंगे।”
इस भवन के निर्माण से न केवल एमपीसीबी को आधुनिक आधारभूत संरचना मिलेगी, बल्कि राज्य के पर्यावरण से जुड़े विभिन्न कार्यों को भी गति मिलेगी। साथ ही, शहरी नियोजन, सतत विकास और पारदर्शिता में भी सुधार की अपेक्षा की जा रही है। बीकेसी को ‘ग्रीन और स्मार्ट हब’ बनाने की दिशा में यह परियोजना एक निर्णायक कड़ी साबित हो सकती है।
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