Raj THackeray ने क्यों चुना औरंगाबाद? 34 साल पहले बाला साहब ने भी यहीं भरी थी ‘हिंदुत्व’ की हुंकार
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख Raj THackeray रविवार को औरंगाबाद में रैली करने जा रहे हैं।
राज्य में जारी मस्जिदों पर लाउडस्पीकर के मुद्दे के अब इस रैली का आयोजन स्थल भी चर्चा का विषय बन गया है। मराठवाड़ा सांस्कृतिक मंडल मैदान पर आयोजित होने जा रहे इस कार्यक्रम ने करीब तीन दशक पहले हुए दिवंगत बाल साहब ठाकरे की रैली की झलक दिख रही है।
साल 1988 में बाल ठाकरे ने भी औरंगाबाद में कार्यक्रम किया था। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने भी हिंदुत्व कार्ड को खेलने के लिए इस मंच का इस्तेमाल किया था। उन्होंने जनता से खान (मुस्लिम) और बाण (शिवसेना का चिन्ह) चुनने का ऐलान किया था। 1980 के समय तक बाल ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना ने खुद को मुंबई, ठाणे में मजबूत बना दिया था। वहीं, मराठवाड़ा क्षेत्र में पैर जमाने में औरंगाबाद रैली ने काफी मदद की थी।
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औरंगाबाद रैली ने शिवसेना को मुंबई के बाहर हिंदुत्व की राजनीति फैलाने में मदद की। अब 34 साल बाद मनसे ने भी इसी शहर और मैदान का चुनाव किया है। मनसे महासचिव और Raj THackeray की कजिन शालिनी ठाकरे कहती हैं, ‘मनसे अपनी राजनीति और एजेंडा पर काम कर रही है। हम किसी भी पार्टी या नेता की तरह काम नहीं कर रहे हैं।
बीते कुछ महीनों में हुई हमारी आंतरिक बैठकों में यह महसूस किया गया कि मनसे को अपनी रैलियां मुंबई तक ही नहीं सीमित करनी चाहिए। राज्य में रैलियां आयोजित करने से हम न केवल दूसरे शहरों और क्षेत्रों में अपने कार्यकर्ताओं तक पहुंचेंगे, बल्कि लोगों के बड़े वर्ग तक भी पहुंच बनेगी।’
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औरंगाबाद पुलिस ने मनसे के सामने रैली को लेकर कुछ शर्तें रखी हैं, जिसके चलते पार्टी को सावधान रहना होगा। रिपोर्ट के मुताबिक, Raj THackeray के भाषण को लेकर पार्टी सूत्र ने कहा, ‘वह अपने मन की बात कहेंगे। उन्होंने पहले ही लाउडस्पीकर का मुद्दा उठाया है। औरंगाबाद शहर हैं, जहां यह मुद्दा लोगों को प्रभावित करेगा।’
खास बात है कि शहर में मुस्लिम आबादी करीब 30 से 35 फीसदी है। यहां ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के उम्मीदवार इम्तियाज जलील ने साल 2019 लोकसभा चुनाव में शिवसेना नेता चंद्रकांत खैरे को हराया था। जलील ने Raj THackeray को इफ्तार के लिए भी आमंत्रित किया था।
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