Mumbai: प्रसिद्ध हास्य अभिनेता तथा निर्देशक असरानी (Asrani) का निधन हो गया है। वे 84 वर्ष के थे। उनके आज (20 अक्टूबर 2025) दोपहर करीब 3 बजे मुंबई के जुहू में स्थित आरोग्य निधि अस्पताल में अंतिम सांस लेकर इस दुनिया को अलविदा कह गए। परिवार एक सहयोगी ने इस बात की पुष्टि की है। उस समय उनके नजदीकी परिजन वहाँ मौजूद थे।
उनका अंतिम संस्कार सांताक्रूज़ के शास्त्री नगर श्मशानभूमि में आज शाम को बहुत ही कम लोगों की मौजूदगी में शांतिपूर्वक संपन्न हुआ। परिवार ने असरानी की इच्छा का सम्मान करते हुए, जिसकी उन्होंने अपनी पत्नी मंजू से पहले ही जताई थी कि उनकी मृत्यु पर कोई बड़ी सार्वजनिक शोकसभा या माहौल न बने, समाज में इसकी सूचना बहुत अधिक न फैले — और इस तरह उन्होंने इस अंत को निजी-दायरे में रखा।
🎬 जीवन-परिचय और फिल्मी सफर
असरानी का जन्म 1 जनवरी 1941 को जयपुर (राजस्थान) में हुआ था।
परिवार एक सिंधी-हिंदू मध्यम-वर्गीय था। विभाजन के बाद उनके पिता जयपुर आकर कारपे्ट (दरी) का व्यवसाय चलाते थे।
उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा St. Xavier’s स्कूल, जयपुर से पूरी की, उसके बाद राजस्थान कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली।
अभिनय में रुचि थी और उन्होंने पुणे के फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (FTII) में शिक्षा ग्रहण की।
हिंदी फिल्मों में उन्होंने शुरुआत 1967 में हुई फिल्म हारे काँच की चूड़ियाँ से की।
आगे 1970-80 के दशक में उन्होंने बेहद सक्रिय रूप से हास्य तथा सहायक अभिनेता के रूप में काम किया। उनके द्वारा 1970 के दशक में लगभग 101 फिल्मों में कार्य किया गया।
उन्हें 1975 में आई ब्लॉकबस्टर फिल्म शोले में ‘जेलर’ की भूमिका में विशेष पहचान मिली।
साथ ही, उन्होंने हिन्दी एवं गुजराती दोनों ही भाषाओं में अभिनय किया और कई फिल्मों का निर्देशन भी किया।
🌟 प्रमुख उपलब्धियाँ और पहचान
असरानी ने हास्य कलाकार के तौर पर अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। उनकी सहज कॉमेडी, भावपूर्ण अभिनय और समय-समय पर गंभीर किरदारों में जाने की क्षमता ने उन्हें विशिष्ट बनाया।
उनकी मित्रता एवं साझेदारी अभिनेता राजेश खन्ना के साथ भी रही; उन्होंने खन्ना की फिल्मों में करीब 25 बार काम किया।
फिल्मों के अतिरिक्त, उन्होंने निर्देशकीय क्षेत्रों में भी योगदान दिया और गुजराती फिल्में भी बनाई।
🕊️ निधन-सम्बंधी जानकारी
आज दोपहर करीब 3 बजे मुंबई में उनका निधन हुआ। परिवार के एक करीबी ने इस तथ्य की पुष्टि की है।
उनका अंतिम संस्कार सांताक्रूज़ के श्मशानभूमि में आज शाम हुआ जिसमें केवल बहुत सीमित संख्या में परिजन और करीबी लोग उपस्थित थे।
ऐसा बताया गया है कि असरानी ने पहले ही अपनी पत्नी मंजू से कहा था कि उनकी मृत्यु के बाद कोई सार्वजनिक शोक-सभा या प्रचार-प्रसार न हो, इसलिए अंतिम संस्कार बहुत निजी रूप से किया गया।
हिंदी सिनेमा के एक ऐसे चेहरे ने आज हमें छोड़ दिया है जिन्होंने दशकों तक हमें हँसा, भावुक किया और मनोरंजन दिया। उनके अभिनय का वो अनूठा अंदाज, संवाद-चतुराई और सहज हास्य हमें लंबे समय तक याद रहेगा। निर्माता, साथी कलाकार, तथा दर्शकों की ओर से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि।
वसई भोईडपाड़ा में ‘हर घर जल, घर-घर नल’ योजना के तहत जलवाहिनी पाइपलाइन का उद्घाटन