बॉम्बे हाईकोर्ट ने मराठा आंदोलन से मुंबई में ठप पड़े जनजीवन पर कड़ा रुख अपनाया। अदालत ने सरकार से पूछा कि अनुमति सिर्फ़ एक दिन की थी, फिर आंदोलन लगातार क्यों जारी है और शर्तें क्यों तोड़ी गईं।
मुंबई, 1 सितंबर: मराठा आरक्षण आंदोलन के चलते मुंबई के सामान्य जीवन पर गहरा असर पड़ा है। सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट की विशेष अवकाश पीठ ने इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाया। जस्टिस गौतम ए. अंखाड और जस्टिस रवींद्र घुगे की बेंच ने सरकार से सवाल किया कि जब अनुमति केवल एक दिन और केवल आज़ाद मैदान तक सीमित थी, तो फिर आंदोलन लगातार क्यों जारी है और शर्तों का उल्लंघन क्यों हुआ।
✍️ याचिका और अदालत की चिंता
यह सुनवाई AMY फाउंडेशन की याचिका पर हुई। याचिकाकर्ता ने कहा कि आंदोलन की वजह से सड़कें जाम हैं, एंबुलेंस तक फंसी हुई हैं और व्यापार ठप हो गया है। यहां तक कि हाईकोर्ट परिसर तक आंदोलन की आवाज़ पहुँच रही है। अदालत ने कहा कि आंदोलन का अधिकार सभी को है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि जनजीवन पूरी तरह ठप हो जाए।
⚖️ सरकारी पक्ष की दलीलें
एडवोकेट जनरल बीरेंद्र सराफ ने सरकार की ओर से कहा कि 29 अगस्त को एक दिन के लिए आज़ाद मैदान में परमिशन दी गई थी। शर्तों के अनुसार केवल 5000 लोग सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक रह सकते थे, लेकिन इन नियमों का उल्लंघन हुआ। ध्वनि उपकरणों के इस्तेमाल की अनुमति नहीं थी, शनिवार-रविवार के दिन आंदोलन की अनुमति नहीं थी, इसके बावजूद नियम तोड़े गए।
🛑 कोर्ट की सख्त टिप्पणी
अदालत ने पूछा कि क्या मनोज जरांगे पाटिल को नोटिस दी गई थी ?और क्या उनके हस्ताक्षर वाली अंडरटेकिंग कोर्ट में पेश है ? अदालत ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट परिसर तक आवाज पहुँच रही है, एंबुलेंस रुक रही है और जजों के वाहनों को भी रोका गया। कोर्ट ने आश्चर्य जताया कि इस तरह आम जनता को लगातार परेशानी क्यों दी जा रही है।
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👥 याचिकाकर्ता और इंटरवीनर की बहस
AMY फाउंडेशन की ओर से कहा गया कि पिछले आदेश का उल्लंघन हुआ है और पाटिल तथा उनके समर्थकों ने निर्देशों का पालन नहीं किया। वहीं मराठा समुदाय की तरफ से कैलाश खंडबलहले कोर्ट में मौजूद रहे। एक अन्य वकील गुणरत्न सदावर्ते ने कहा कि आंदोलन में राजनीतिक हस्तक्षेप हो रहा है और विभिन्न पार्टियों के नेता प्रदर्शनकारियों को समर्थन दे रहे हैं। इस पर अदालत ने हस्तक्षेप को लेकर नाराज़गी भी जताई।
🔎 अदालत के सवाल और सरकार के जवाब
कोर्ट ने सख्त लहज़े में पूछा कि अगर अनुमति केवल आज़ाद मैदान तक थी, तो बाकी जगहों पर लोगों को क्यों इकट्ठा होने दिया गया। सरकार ने दलील दी कि पुलिस काम कर रही है लेकिन माहौल तनावपूर्ण है। अदालत ने कहा कि अगर शर्तों का उल्लंघन हुआ है तो ठोस कदम उठाना ही होगा।
🚇 जनजीवन पर असर
कोर्ट ने माना कि आंदोलन की वजह से मुंबई का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। ट्रेन, सड़कें, ऑफिस, बाजार और स्कूल-काॅलेज प्रभावित हैं। अदालत ने कहा कि अब सरकार के सामने दो चुनौती हैं – एक, पहले दिए आदेश का पालन सुनिश्चित करना और दूसरा, आंदोलनकारियों को नियंत्रित करना।
👉 कल शाम ४ बजे तक केवल आज़ाद मैदान में आंदोलन
हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि आज़ाद मैदान को छोड़कर बाकी सभी जगहों से आंदोलनकारियों को तुरंत हटाया जाए। अदालत ने स्पष्ट किया कि कल शाम ४ बजे तक सभी प्रदर्शनकारियों को केवल आज़ाद मैदान तक सीमित रहना होगा।
📌आगे की कार्यवाही
सरकार ने बताया कि 29 अगस्त के बाद पाटिल की ओर से हर दिन इजाजत मांगी गई, लेकिन कोई अनुमति नहीं दी गई। अदालत ने आदेश दिया कि आज़ाद मैदान के अलावा जहां भी आंदोलन हो रहा है, वहाँ से प्रदर्शनकारियों को हटाया जाए। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि अनुमति केवल आज़ाद मैदान और एक दिन के लिए थी।
अदालत ने कहा कि सरकार अब ठोस कदम उठाए और स्थिति को नियंत्रण में लाए। अदालत ने अगली सुनवाई कल दोपहर 3 बजे तय की है, जिसमें सरकार को बताना होगा कि उसने क्या कदम उठाए।
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