मुंबई | ब्यूरो रिपोर्ट : महाराष्ट्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण और व्यापक सरकारी परिपत्र जारी किया है, जिसके तहत राज्य के सभी विभागों, अर्ध-सरकारी कार्यालयों और सरकार-नियंत्रित निकायों को विधायकों (MLA) और सांसदों (MP) के साथ अत्यधिक सम्मान, शिष्टाचार और संवेदनशीलता के साथ व्यवहार करने का आदेश दिया गया है। यह परिपत्र सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) द्वारा जारी किया गया है।
अधिकारियों को विधायक–सांसद के कार्यालय में प्रवेश पर खड़े होकर अभिवादन करने का आदेश
परिपत्र के अनुसार, किसी भी विधायक या सांसद के सरकारी कार्यालय में आते ही वहां मौजूद अधिकारी व कर्मचारी:
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खड़े होकर उनका अभिवादन करेंगे,
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शिष्टाचारपूर्वक बातचीत करेंगे,
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उनकी समस्याओं व अनुरोधों को ध्यानपूर्वक सुनेंगे,
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और सरकारी नियमों के अनुसार सहायता प्रदान करेंगे।
टेलीफोन पर होने वाली बातचीत भी विनम्र और सम्मानजनक होनी चाहिए।
सभी पत्राचार के लिए अलग रजिस्टर, दो महीने के भीतर उत्तर अनिवार्य
सरकार ने जवाबदेही बढ़ाने के लिए कार्यालयों को निर्देश दिया है कि:
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विधायक और सांसदों से मिलने वाले पत्रों के लिए एक अलग रजिस्टर बनाया जाए,
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हर पत्र का उत्तर दो महीने के भीतर दिया जाए,
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यदि किसी मामले का समाधान समय पर संभव न हो तो विभागाध्यक्ष को रिपोर्ट किया जाए और संबंधित जनप्रतिनिधि को इसकी सूचना दी जाए।
विभागाध्यक्षों को हर तीन महीने में ऐसे पत्राचार की समीक्षा भी करनी होगी।
सरकारी समारोहों में जनप्रतिनिधियों को अनिवार्य रूप से आमंत्रण
परिपत्र में स्पष्ट उल्लेख है कि निम्न सभी को प्रमुख सरकारी कार्यक्रमों में आमंत्रित किया जाएगा:
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केंद्रीय और राज्य मंत्री
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संरक्षक मंत्री
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स्थानीय विधायक और सांसद
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महापौर
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जिला परिषद अध्यक्ष
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नगर पालिका अध्यक्ष
कार्यक्रमों में उनके लिए उचित बैठने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।
हर महीने दो घंटे जनप्रतिनिधियों व नागरिकों से मिलने का समय
विभाग प्रमुखों को निर्देश दिया गया है कि:
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हर महीने पहले और तीसरे गुरुवार को दो घंटे का समय
विधायकों, सांसदों और स्थानीय नागरिकों के साथ बैठकों के लिए आरक्षित रखा जाए। -
हालांकि अत्यावश्यक मामलों को इस समय के अतिरिक्त भी निपटाया जा सकता है।
विधानसभा सत्र के दौरान स्थानीय आयोजनों से परहेज की सलाह
परिपत्र में कहा गया है कि विधानसभा सत्र के समय स्थानीय स्तर पर बड़े कार्यक्रमों से बचना चाहिए, ताकि सरकारी कार्यों और विधायी उत्तरदायित्वों पर पूरा ध्यान दिया जा सके।
नियमों के उल्लंघन पर होगी कार्रवाई
सरकार ने स्पष्ट किया है कि:
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विधायी विशेषाधिकार समिति की सिफारिशों का पालन करना अनिवार्य है।
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सिविल सेवा के मौजूदा नियमों के तहत, अगर कोई अधिकारी इन निर्देशों का उल्लंघन करता है तो अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
इसके साथ ही जनप्रतिनिधियों को कल्याणकारी योजनाओं से संबंधित आवश्यक जानकारी निःशुल्क उपलब्ध कराने का भी आदेश दिया गया है, सिवाय उन मामलों के जहां यह RTI Act 2005 के दायरे में प्रतिबंधित हो।
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