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मुंबई आज़ाद मैदान: माराठा आरक्षण आंदोलन के कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने पांच दिवसीय अनशन समाप्त किया

मनोज जरांगे पांच दिवसीय अनशन समाप्त
मनोज जरांगे पांच दिवसीय अनशन समाप्त

मुंबई के आज़ाद मैदान में माराठा आरक्षण आंदोलन के कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने पांच दिवसीय अनशन समाप्त किया। राज्य सरकार ने आरक्षण लागू करने और आंदोलन में हताहत परिवारों के लिए मुआवजा देने का आश्वासन दिया।

मुंबई, 2 सितंबर: महाराष्ट्र में माराठा आरक्षण आंदोलन के सक्रिय कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने मंगलवार को आजाद मैदान, मुंबई में अपना पांच दिवसीय अनशन समाप्त किया। यह कदम राज्य सरकार द्वारा समुदाय की प्रमुख मांगों को पूरा करने का आश्वासन मिलने के बाद लिया गया। प्रमुख मांगों में योग्य माराठाओं को कुंबी जाति प्रमाणपत्र प्रदान करना शामिल है, जिससे उन्हें ओबीसी श्रेणी में आरक्षण का लाभ मिलेगा।

43 वर्षीय मनोज जरांगे ने अनशन तोड़ते समय वरिष्ठ भाजपा मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल से एक गिलास फलों का जूस स्वीकार किया। जूस पीते ही मनोज भावुक हो गए और आँसू बहाने लगे। हजारों समर्थक इस ऐतिहासिक क्षण का जश्न मनाते नजर आए। बाद में जरांगे को सुरक्षा और स्वास्थ्य जांच के लिए अस्पताल ले जाया गया।

  • सरकार का आश्वासन

राज्य सरकार ने माराठा समुदाय को आश्वासन दिया है कि:

  • आंदोलन के विरोध में दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएंगे,

  • आंदोलन के दौरान निधन हुए व्यक्तियों के परिवारों को मुआवजा दिया जाएगा,

  • उनके परिवारजनों को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता दी जाएगी।

इसके अलावा तीन सदस्यीय समिति का गठन गाँव स्तर पर किया जाएगा, जो हैदराबाद गैज़ेट के 58 लाख ऐतिहासिक रिकॉर्ड की जांच कर योग्य माराठाओं की कुंबी स्थिति निर्धारित करेगी।

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  • आंदोलन की पृष्ठभूमि

माराठा आरक्षण आंदोलन महाराष्ट्र का सबसे लंबे समय तक चलने वाला सामाजिक आंदोलन माना जाता है। माराठा समुदाय ने लंबे समय से ओबीसी श्रेणी में शामिल होने और शिक्षा व नौकरी में आरक्षण पाने की मांग की है।

2018 में राज्य सरकार ने माराठाओं को आरक्षण प्रदान किया, लेकिन 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दिया। इसके बाद से आंदोलन तेज़ हो गया, विशेषकर मराठवाडा में कुंबी उपजाति के रूप में मान्यता की मांग के लिए।

  • मनोज जरांगे की भूमिका

मनोज जरांगे इस आंदोलन के चेहरे के रूप में उभरे हैं। उन्होंने 2023 से लगातार हंगर स्ट्राइक और विरोध प्रदर्शन किए हैं। उनके आंदोलनों ने हजारों समर्थकों को आकर्षित किया और सरकार पर राजनीतिक दबाव भी डाला।

अनशन तोड़ते समय मनोज जरांगे ने सरकार को चेतावनी दी कि अगर आरक्षण कार्यान्वयन में कोई छल-कपट होगी, तो वह विखे पाटिल के घर के बाहर अनशन पर बैठेंगे।

सरकार की घोषणा के बाद मराठा समुदाय में खुशी की लहर दौड़ गई। हजारों लोग जश्न मनाते और नाचते दिखे। आंदोलन की सफलता ने समुदाय में उत्साह और आशा की नई भावना भर दी।

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