शिकायतकर्ता ने लिंक पर क्लिक किया, जिसके परिणामस्वरूप उसके मोबाइल में अज्ञात ऐप डाउनलोड हो गया। कुछ ही समय बाद उसके बैंक खाते से ₹60,000 कटने का संदेश प्राप्त हुआ। इस घटना के बाद उसे एहसास हुआ कि यह एक साइबर ठगी है।
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शिकायत दर्ज और कानूनी प्रक्रिया
शिकायतकर्ता ने तुरंत साइबर पुलिस स्टेशन में आवेदन दर्ज किया और एनसीसीआरपी पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत की। मामला साइबर पुलिस ठाणे को सौंपा गया।
पुलिस ने बैंक और न्यायालय के साथ समन्वय बनाकर पूरी प्रक्रिया तेज की। शिकायतकर्ता द्वारा ठगी गई राशि की वसूली के लिए अदालत में याचिका दायर की गई। पुलिस ने अदालत में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की और माननीय न्यायालय के आदेश के बाद पूरी राशि ₹60,000 शिकायतकर्ता के बैंक खाते में वापस करवाई गई।
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साइबर पुलिस की सक्रिय पहल
इस अभियान में पुलिस निरीक्षक सुजीतकुमार गुंजकर,स्वप्निल वाव्हल, प्रसाद शेनोलकर, वैभव धनवाड़े, माधुरी चिड़े, स्नेहल पुणे, सेचले, प्रवीण सावंत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पुलिस की सक्रियता और न्यायालय के सहयोग से यह मामला सफलतापूर्वक हल हुआ और साइबर अपराधियों के खिलाफ सख्त संदेश गया।
धोखाधड़ी से बचने के उपाय
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बैंक कर्मचारी कभी भी फोन, ईमेल या एसएमएस के माध्यम से खाता जानकारी नहीं मांगते।
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अज्ञात लिंक या ऐप डाउनलोड करने से पहले पुष्टि करें।
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व्यक्तिगत जानकारी जैसे खाता संख्या, ओटीपी, जन्मतिथि किसी अज्ञात व्यक्ति को न दें।
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ऑनलाइन धोखाधड़ी होने पर तुरंत बैंक और साइबर पुलिस से संपर्क करें।
नागरिकों के लिए संदेश
मीरा-भायंदर वसई-विरार पुलिस आयुक्तालय ने नागरिकों से अपील की है कि वे डिजिटल माध्यमों पर सतर्क रहें। धोखाधड़ी होने पर तुरंत नज़दीकी पुलिस स्टेशन या हेल्पलाइन 1930/1945 पर सूचना दें।
साइबर पुलिस ने यह स्पष्ट किया कि हर शिकायत पर त्वरित कार्रवाई की जाएगी। यह घटना साइबर सुरक्षा जागरूकता और सावधानी का संदेश देती है, जिससे नागरिक ऑनलाइन ठगी से बच सकते हैं।
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