✍️ रिपोर्ट: मेट्रो सिटी समाचार डिजिटल डेस्क
📍 मिरा-भाईंदर, महाराष्ट्र
मिरा-भाईंदर शहर में मच्छरों का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। डेंगू, मलेरिया और अन्य मच्छरजनित बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है, लेकिन महानगरपालिका प्रशासन की ओर से कीटनाशक फॉगिंग और सफाई व्यवस्था को लेकर गंभीर लापरवाही बरती जा रही है। इससे नागरिकों में भारी रोष व्याप्त है।
चारों ओर फैला है मच्छरों का आतंक
भौगोलिक रूप से मिरारोड और भाईंदर शहर समुद्र, खाड़ी और राष्ट्रीय उद्यान के बीच बसा हुआ है। इन इलाकों के किनारे फैले कांदळवन (मैंग्रोव) क्षेत्रों में गंदे पानी का जमाव होता है, जिससे मच्छरों की भरमार हो रही है। हालात यह हो गए हैं कि लोगों को सुबह-शाम खिड़की-दरवाजे बंद करके घरों में बैठना पड़ रहा है। खुले में खड़े होते ही मच्छर हमला कर रहे हैं।
विकास कार्यों के चलते गड्ढों में जमा पानी बना मच्छरों का घर
शहर में कई जगहों पर इमारतों के निर्माण और पुनर्विकास के लिए गहरे गड्ढे खोदे गए हैं। बारिश के कारण इन गड्ढों में पानी भर गया है, जो अब मच्छरों का अड्डा बन चुका है। ठेकेदारों द्वारा काम अधूरा छोड़ दिया गया है, जिससे मच्छरों की तादाद और भी बढ़ गई है।
फॉगिंग पर खर्च 10 करोड़, फिर भी हाल बेहाल
महानगरपालिका ने डेंगू-मलेरिया नियंत्रण के लिए कीटनाशक फॉगिंग और मच्छर नियंत्रण के लिए दो वर्षों के लिए 10 करोड़ रुपये का बजट पास किया है। लेकिन नागरिकों का आरोप है कि फॉगिंग का कोई कार्य जमीनी स्तर पर होता नजर नहीं आ रहा। न गली-मोहल्लों में दवाओं का छिड़काव हो रहा है और न ही मच्छरों की संख्या में कोई कमी आई है।
प्रशासन का दावा और जनता की सच्चाई
महापालिका उपायुक्त सचिन बांगर का दावा है कि हर सप्ताह आदिवासी पाड़ों और खुले क्षेत्रों में नियमित दवा छिड़काव किया जा रहा है। लेकिन हकीकत यह है कि लोगों को फॉगिंग गाड़ियों की झलक भी नहीं मिल रही। नागरिकों का कहना है कि अगर फॉगिंग हो रही होती, तो मच्छरों का इतना आतंक न होता।
📣 नागरिकों की मांग है कि मिरा-भाईंदर में मच्छरनाशक दवाओं का छिड़काव और स्वच्छता अभियान युद्धस्तर पर चलाया जाए, ताकि बीमारियों से बचा जा सके।
📞 त्वरित कार्रवाई के लिए संपर्क करें: मिरा-भाईंदर महानगरपालिका हेल्पलाइन