मुंबई पुलिस द्वारा धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने की कार्रवाई पर पांच दरगाहों ने आपत्ति जताते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि यह कार्रवाई मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाकर की जा रही है।
मुंबई, 2 जुलाई 2025: मुंबई पुलिस द्वारा धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने की कार्रवाई को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। अब इस कार्रवाई के खिलाफ मुंबई की पांच दरगाहों ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि यह कार्रवाई एकतरफा और मुस्लिम समुदाय को लक्षित करने वाली है।
राज्य सरकार और मुंबई पुलिस को नोटिस
याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की दो जजों की बेंच – न्यायमूर्ति रविंद्र घुगे और न्यायमूर्ति मिलिंद साठे ने मंगलवार को राज्य सरकार और मुंबई पुलिस को नोटिस जारी किया और 9 जुलाई तक जवाब मांगा है। याचिका में दावा किया गया है कि ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण नियमों का हवाला देकर सिर्फ मुस्लिम धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया जा रहा है, जबकि अन्य धर्मों के स्थलों पर कार्रवाई नहीं की गई।
याचिकाकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि अज़ान इस्लाम धर्म का एक अभिन्न हिस्सा है, और नमाज़ के लिए बुलावा देने हेतु लाउडस्पीकर का उपयोग जरूरी है, खासकर मुंबई जैसे व्यस्त शहर में। उनका कहना है कि यह कार्रवाई धार्मिक स्वतंत्रता, संवैधानिक मूल अधिकारों और अल्पसंख्यक समुदाय के विश्वास पर सीधा हमला है।
हालांकि, मुंबई पुलिस कमिश्नर देवेन भारती ने स्पष्ट किया है कि कार्रवाई धार्मिक पहचान के आधार पर नहीं, बल्कि ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम और उच्च न्यायालय के पूर्व निर्देशों के तहत की जा रही है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के आदेशों के तहत यह निर्देश सभी धार्मिक स्थलों पर समान रूप से लागू हैं।
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि पुलिस राजनीतिक दबाव में आकर कार्य कर रही है, और यह समुदाय विशेष के प्रति पूर्वाग्रह दर्शाता है। याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय से आग्रह किया है कि लाउडस्पीकर हटाने की कार्रवाई पर तत्काल रोक लगाई जाए और इस प्रक्रिया की निष्पक्ष समीक्षा की जाए।
अब इस विवाद पर अगली सुनवाई 9 जुलाई को होगी, जिससे यह तय होगा कि क्या धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर के उपयोग को लेकर कोई संवैधानिक संतुलन कायम हो सकता है या नहीं।