नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निकट अवैध बूचड़खानों और खुले मांस विक्रय को लेकर पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने चिंता जताई है। हवाई सुरक्षा मानकों के उल्लंघन और हाल ही में रांची में हुए वल्चर स्ट्राइक के बाद यह मुद्दा और गंभीर हो गया है।
एयरपोर्ट के पास खुले में मांस विक्रय पर पर्यावरणविदों की आपत्ति
नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट (NMIA) के अगले तीन महीनों में शुरू होने की तैयारी के बीच पर्यावरणविदों ने हवाई अड्डे के पास हो रही अवैध पशु हत्या और खुले मांस विक्रय को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। नेटकनेक्ट फाउंडेशन के निदेशक बी. एन. कुमार ने बताया कि यह गतिविधियां डीजीसीए के दिशा-निर्देशों और महाराष्ट्र सरकार के एरोड्रोम एनवायरनमेंट मैनेजमेंट कमेटी (AEMC) के नियमों का स्पष्ट उल्लंघन हैं, जो हवाई अड्डे के 10 किमी के दायरे में जानवरों की हत्या पर प्रतिबंध लगाते हैं। कुमार ने इस मुद्दे पर फरवरी में प्रधानमंत्री शिकायत पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई थी और मई में डीजीसीए ने कार्रवाई का आश्वासन दिया था, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई बदलाव नहीं हुआ।
पक्षियों की बढ़ती संख्या से विमान सुरक्षा पर खतरा
रांची में हाल ही में एक इंडिगो विमान से गिद्ध टकराने की घटना के बाद यह मुद्दा और भी गंभीर हो गया है। कुमार ने इस पर फिर से डीजीसीए और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को शिकायत भेजी है, जिसमें बताया गया कि कैसे खुले मांस और कचरे के कारण पक्षियों की संख्या बढ़ रही है, जो उड़ानों की सुरक्षा के लिए खतरा बन रहे हैं। उलवे जैसे इलाकों में, जो CIDCO के अधीन आते हैं, अवैध बूचड़खानों की संख्या लगातार बनी हुई है। उलवे शहर एनसीपी (अजीत पवार गुट) के अध्यक्ष संतोष काटे का कहना है कि CIDCO केवल दिखावटी कार्रवाई करता है, लेकिन अवैध दुकानें रातोंरात दोबारा खुल जाती हैं।
प्रशासनिक लापरवाही और कानूनी नियमों का उल्लंघन
इस बीच, बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त पशु कल्याण अधिनियम निगरानी समिति के मानद सदस्य सूरज साहा ने भी नवी मुंबई पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर, पशु क्रूरता अधिनियम, 1960, ठोस कचरा प्रबंधन नियम, 2016 और खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 के उल्लंघन की जानकारी दी है। उनका कहना है कि कच्चे मांस के कचरे का अनुचित तरीके से निपटान पक्षियों को आकर्षित करता है और यह विमानों के लिए एक गंभीर खतरा है। नेटकनेक्ट ने मांग की है कि AEMC का पुनर्गठन किसी पर्यावरण विशेषज्ञ या सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में किया जाए, ताकि निष्पक्ष निगरानी सुनिश्चित की जा सके।