नितिन गडकरी ने नागपुर के VNIT में कहा कि भारत यदि आर्थिक और तकनीकी रूप से शक्तिशाली भी बन जाए, तब भी वह विश्व में ‘दादागिरी’ नहीं करेगा, क्योंकि हमारी संस्कृति सेवा और सहयोग की है।
मुंबई,11अगस्त: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर के विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (VNIT) में एक विशेष व्याख्यान में कहा कि भारत का लक्ष्य चाहे कितना भी आर्थिक और तकनीकी विकास हो, लेकिन उसका दृष्टिकोण हमेशा विनम्रता, सेवा और सहयोग का रहेगा।
उन्होंने कहा: “भारत अगर शक्तिशाली भी बन जाए, तो भी वह विश्व में ‘दादागिरी’ नहीं करेगा। हमारी संस्कृति ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की है, जिसमें हम पूरी दुनिया को परिवार मानते हैं।”
💬 भारत की शक्ति तकनीक और संस्कृति में
गडकरी ने बताया कि जिन देशों का आज वैश्विक मंच पर प्रभुत्व है, वे इसलिए सफल हैं क्योंकि उनके पास अत्याधुनिक तकनीक और आर्थिक संसाधन हैं। उन्होंने कहा कि भारत को भी उसी दिशा में बढ़ते हुए निर्यात, इनोवेशन और तकनीकी आत्मनिर्भरता को अपनाना होगा।
🧠 विज्ञान और नवाचार से ही होगा भविष्य का निर्माण
गडकरी ने भारत के तकनीकी संस्थानों से आग्रह किया कि वे केवल सैद्धांतिक शिक्षा न दें, बल्कि जमीनी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए अनुसंधान करें। उन्होंने कहा कि: “देश के प्रत्येक ज़िले की विशिष्ट समस्याओं को पहचानकर स्थानीय समाधान तैयार किए जाने चाहिए।” इससे न सिर्फ आर्थिक प्रगति तेज होगी, बल्कि विकास दर तीन गुना तक पहुंच सकती है।
🕊️ भारत की नीति: शक्ति नहीं, सेवा
गडकरी ने कहा कि भारत का विकास प्रभुत्व की भावना से नहीं, बल्कि नैतिक मूल्यों, सह-अस्तित्व और सेवा भाव के साथ होना चाहिए। उनका यह दृष्टिकोण प्रधानमंत्री मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को और अधिक स्पष्टता देता है, जिसमें भारत एक विश्वशक्ति तो बनेगा, लेकिन दूसरों पर दबाव बनाने की प्रवृत्ति से दूर रहेगा।
नितिन गडकरी का यह भाषण न केवल आर्थिक और तकनीकी दिशा को इंगित करता है, बल्कि भारतीय संस्कृति और मूल्यों की वैश्विक प्रासंगिकता को भी रेखांकित करता है।
भारत यदि विश्वगुरु बनता है, तो वह दादागिरी से नहीं, बल्कि दया, सेवा और सहभाव से बनेगा।