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Palghar Loksabha Chunav Resort Politics : भाजप रिज़ॉर्ट पॉलिटिक्स रिटर्न्स; कहीं ये शिवसेना(एकनाथ शिंदे) की पर कतरने की तैयारी तो नहीं?

Palghar Loksabha Chunav Resort Politics : अब तक लोकसभा चुनाव के लिए सीटों की सौदेबाज़ी में सबसे ज्यादा बैकफुट पर शिंदे की शिवसेना ही रही है. शिवसेना को चार सीटें रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग, परभणी, अमरावती, धाराशिव छोड़नी पड़ी हैं और उन चार सीटों में दो सीटें बीजेपी, एक सीट एनसीपी और एक सीट रासपा के खाते में गई है। अब शिंदेसेना को एक और सीट खाली करनी पड़ सकती है। पालघर में शिवसेना सांसद के रहते हुए यह सीट भाजपा के लिए खाली करने की शर्मनाक स्थिति शिंदेसेना को झेलनी पड़ सकती है।

पालघर सीट शिवसेना के पास है.राजेंद्र गावित यहां के सांसद हैं. पालघर सीट शिवसेना के पास रहेगी या बीजेपी के पास जाएगी, इसे लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. लेकिन इसी उहापोह के बीच बहुजन विकास अघाडी को महायुति में शामिल करने की सुगबुगाहट तेज़ हो गई हैं. इसलिए इस बात की पूरी आशंका है कि गावित का ठिकाना छिना जा सकता है. बविआ को महायुति में लेने और कमल के निशान पर चुनाव लड़ने वाले उनके उम्मीदवार को परखने की तैयारी चल रही है.

मनोर के साइलेंट रिजॉर्ट में हुई बैठक के बाद भाजपा के पालघर में शिंदेसेना के ‘खामोश’ रखने की चर्चा जोर पकड़ने लगी है. साइलेंट रिसॉर्ट में पालक मंत्री रवींद्र चव्हाण की अध्यक्षता में बैठक हुई. बैठक में चार विधानसभाओं कोर कमेटी, पालघर, बोईसर, दहानू, विक्रमगढ़ के केंद्र प्रमुख, बूथ प्रमुख, सुपर योद्धा शामिल हुए। इस बैठक में रवींद्र चव्हाण ने संकेत दिया कि यदि बविआ चौथा विकल्प उपलब्ध है, तो ‘यह विवाह आपके परिवार का है। मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनाना है. इसलिए,सभी को एक मजबूत प्रयास करना होगा और महायुति द्वारा चयनित उम्मीदवार को समर्थन कर जिताना भी होगा।

शराब पुरानी,शराबी नया

भाजपा ने 2014 में पालघर सीट जीती थी.यहां से चिंतामन वनगा विजयी हुए थे. 2018 में उनकी मृत्यु के बाद, निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव हुआ। बीजेपी ने राजेंद्र गावित को टिकट दिया और वे विजयी हुए. 2019 में खेल बदला,गावित को शिवसेना(अविभाजित) ने अपने पाले में लेकर पालघर सीट शिवसेना ने जीता.

पालघर की रहस्यमयी चुनावी खेल से अब ऐसा लग रहा है कि भाजपा 2019 में शिवसेना(अविभाजित) की रणनीति का इस्तेमाल कर शिंदे की सेना को मात देने की कोशिश कर रही है. संभावना है कि बीजेपी बविआ के उम्मीदवार को पालघर में बीजेपी के सिंबल पर चुनाव लड़ने के लिए कह सकती है.अगर भाजपा ऐसा करने में सफल हो जाती है तो एकनाथ शिंदे को इस सीट से हाथ धोना पड़ेगा और यह निश्चित तौर पर परोक्ष या अपरोक्ष रूप से एकनाथ शिंदे की पतन की शुरुआत मानी जायेगी।

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