पालघर ज़िले में 9 अगस्त को ‘विश्व आदिवासी दिवस’ के अवसर पर ज़िला परिषद और मान्यता प्राप्त निजी प्राथमिक स्कूलों में अवकाश घोषित किया गया है। ज़िले भर में इस दिन आदिवासी संस्कृति और योगदान को सम्मान देने हेतु भव्य कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
पालघर, 4 अगस्त: महाराष्ट्र के आदिवासी बहुल ज़िलों में अग्रणी पालघर ज़िले में 9 अगस्त को ‘विश्व आदिवासी दिवस’ बड़े उत्साह और परंपरा के साथ मनाया जाता है। यह दिन आदिवासी समुदाय की संस्कृति, परंपरा, कला और सामाजिक योगदान को सम्मान देने का प्रतीक बन चुका है।
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ज़िला परिषद और निजी प्राथमिक स्कूलों को अवकाश
मुख्य कार्यकारी अधिकारी, ज़िला परिषद पालघर द्वारा जारी आदेश के अनुसार, ज़िले की सभी ज़िला परिषद शालाओं और मान्यता प्राप्त निजी प्राथमिक स्कूलों में 9 अगस्त 2025 को अवकाश घोषित किया गया है।
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शासकीय कार्यालयों को नहीं मिलेगी अतिरिक्त छुट्टी
9 अगस्त 2025 को शनिवार होने के कारण यह दिन पहले से ही सप्ताहांत की निर्धारित सार्वजनिक छुट्टी में शामिल है। महाराष्ट्र शासन के शासन निर्णय क्रमांक समय के अनुसार शनिवार और रविवार को सभी शासकीय कार्यालयों में अवकाश रहता है। इसी कारण से, इस दिन को स्थानीय छुट्टियों में शामिल नहीं किया गया है।
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2025 की तीन घोषित स्थानीय छुट्टियाँ
जिलाधिकारी कार्यालय पालघर द्वारा दिनांक 23 जून 2025 को जारी अधिसूचना के अनुसार, पालघर ज़िले के लिए वर्ष 2025 में निम्नलिखित तीन दिन स्थानीय छुट्टियों के रूप में निर्धारित किए गए हैं:
- 08 अगस्त 2025
- 02 सितंबर 2025
- 20 अक्टूबर 2025
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विविध सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन
विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर पालघर ज़िले में शासकीय, शैक्षणिक व सामाजिक संस्थाओं द्वारा विविध सांस्कृतिक, शैक्षणिक और जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इनमें शामिल होंगे:
- पारंपरिक आदिवासी लोकनृत्य और संगीत
- हस्तशिल्प व चित्रकला प्रदर्शनियां
- जनजागरूकता रैलियाँ और संगोष्ठियाँ
- आदिवासी समाज के सम्मानित व्यक्तियों का अभिनंदन
इन आयोजनों के माध्यम से युवाओं को अपने संस्कृतिक मूल्यों से जोड़ने, तथा आदिवासी समुदाय के अधिकार, इतिहास और पहचान को उजागर करने का प्रयास किया जाएगा।
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सामाजिक समरसता और गौरव का प्रतीक
पालघर जैसे आदिवासी बहुल ज़िले में यह दिन केवल उत्सव नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता, सांस्कृतिक आत्म-गौरव और जनजागृति का अवसर है। यह दिन सभी समुदायों के बीच सम्मान और समानता के सेतु का काम करता है, और आदिवासी समाज के प्रति समाज की सकारात्मक सोच को और मजबूत करता है।
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