दही हांडी से पहले परेल स्पोर्ट्स क्लब की महिला गोविंदा टीम ने अभ्यास के दौरान सात मंजिला मानवी मनोरा बनाकर इतिहास रच दिया। दो महीने की कड़ी मेहनत और सुरक्षा के साथ तैयार हुई ये प्रेरणादायक उपलब्धि।
मुंबई, 15 अगस्त: मुंबई की परेल स्पोर्ट्स क्लब की महिला गोविंदा टीम ने आखिरकार वह कर दिखाया, जिसका सपना वे बीते कई सालों से देख रही थीं। 14 अगस्त 2025 की रात करीब 1:15 बजे टीम ने सात-स्तरीय (seven-tier) मानवी मनोरा (human tower) खड़ा कर इतिहास रच दिया। यह उपलब्धि उन्होंने दही हांडी के रिहर्सल के दौरान पूरी सुरक्षा व्यवस्था और सभी आवश्यक गियर के साथ हासिल की। 2001 में बनी इस टीम ने पहले पांच मंजिला मनोरा बनाया था, 2006 में छह मंजिल तक पहुंचीं, लेकिन 2013 में सात मंजिला प्रयास सफल नहीं हो सका था। इसके बावजूद उनका अभ्यास हर साल जारी रहा और अब मेहनत रंग लाई है।
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जून से शुरू हुआ प्रशिक्षण, 60 दिन की कड़ी तैयारी
टीम का प्रशिक्षण 10 जून 2025 से वामन मंगेश दुबाशी मैदान में शुरू हुआ था, जहां प्रतिदिन तीन घंटे की सघन प्रैक्टिस होती थी। विले पार्ले, प्रभादेवी और अन्य इलाकों से आई महिलाएं हर दिन समय निकालकर इस कठिन प्रशिक्षण का हिस्सा बनीं। टीम ने इस दौरान न सिर्फ शारीरिक अभ्यास को प्राथमिकता दी, बल्कि सुरक्षा को भी पूरी तरह से महत्व दिया। प्रशिक्षण के दौरान हेलमेट, सेफ्टी बेल्ट, मेट, कुशन जैसे सभी उपकरणों का इस्तेमाल किया गया और नाबालिगों को टीम में शामिल नहीं किया गया।
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कोच गीता झगडे का मार्गदर्शन बना टीम की ताकत
टीम की कोच गीता झगडे ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर खुशी जताते हुए कहा, “जिस लक्ष्य को हम सालों से देख रहे थे, वह आज पूरा हुआ है। यह अनुशासन, नियमित अभ्यास और आत्मविश्वास की जीत है।” उन्होंने अपने माता-पिता को इस रास्ते में साथ देने के लिए धन्यवाद कहा और बताया कि फिटनेस, पोषण और मानसिक मजबूती की अहम भूमिका होती है ऐसे कार्यों में। गीता ने बताया कि परंपरा को निभाते हुए आधुनिक सुरक्षा के साथ गोविंदा टीम तैयार की गई है ताकि महिलाएं आत्मविश्वास के साथ भाग ले सकें।
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अब दही हांडी में दिखेगा असली जलवा
इस सात मंजिला मानवी मनोरे को अब मुंबईवासियों को 16 अगस्त 2025 को दही हांडी महोत्सव में देखने का मौका मिलेगा। इस अद्भुत प्रदर्शन के लिए पहले से ही शहर में उत्सुकता है, और खास बात ये है कि यह केवल एक प्रदर्शन नहीं, बल्कि महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बन गया है। इस प्रयास ने यह भी साबित किया है कि जब महिलाओं को सही दिशा, प्रशिक्षण और समर्थन मिले, तो वे किसी भी क्षेत्र में कमाल कर सकती हैं। भीड़, शोर और ऊर्जा से भरे इस उत्सव में यह सात-स्तरीय मानव पिरामिड एक प्रेरणा बनकर उभरेगा।
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