Raj Thackeray News : हिंदी भाषा को लेकर राज ठाकरे का विरोध – पहली कक्षा से हिंदी अनिवार्य किए जाने पर उठाए सवाल, संघर्ष की चेतावनी
मुंबई – महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने महाराष्ट्र में पहली कक्षा से हिंदी भाषा को अनिवार्य किए जाने पर कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट कर इस निर्णय के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया और इसे जबरदस्ती करार दिया।

मुंबई – महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने महाराष्ट्र में पहली कक्षा से हिंदी भाषा को अनिवार्य किए जाने पर कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट कर इस निर्णय के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया और इसे जबरदस्ती करार दिया।
राज ठाकरे ने कहा, “राज्य स्कूल पाठ्यक्रम योजना 2024 के तहत पहली कक्षा से हिंदी अनिवार्य करना किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है। मनसे इस जबरदस्ती को बर्दाश्त नहीं करेगी।”
उन्होंने आगे लिखा कि केंद्र सरकार द्वारा देशभर में हिंदी थोपने के प्रयास किए जा रहे हैं और महाराष्ट्र में भी उसी दिशा में कदम बढ़ाया गया है। “हिंदी कोई राष्ट्रीय भाषा नहीं है। यह देश की अन्य भाषाओं की तरह सिर्फ एक आधिकारिक भाषा है। ऐसे में महाराष्ट्र के बच्चों पर हिंदी थोपना पूरी तरह गलत है,” उन्होंने कहा।
राज ठाकरे ने त्रिभाषा फॉर्मूले को शिक्षा के बजाय केवल सरकारी कामकाज तक सीमित रखने की बात कही और सवाल किया कि “महाराष्ट्र पर दूसरी भाषा थोपने की शुरुआत अभी क्यों की जा रही है?” उन्होंने इसे भाषाई क्षेत्रीयकरण के सिद्धांत को कमजोर करने की साजिश बताया।
मनसे प्रमुख ने जोर देते हुए कहा कि “हर भाषा का अपना सौंदर्य, इतिहास और परंपरा होती है। जिस राज्य की जो भाषा है, उसका वहां सम्मान होना चाहिए। जैसे महाराष्ट्र में मराठी का सम्मान होना चाहिए, वैसे ही अन्य राज्यों में उनकी भाषाओं का। अगर सरकार भाषाई परंपरा को कमजोर करने का प्रयास करेगी तो मनसे इसका पुरजोर विरोध करेगी।”
राज ठाकरे ने चेतावनी देते हुए कहा, “हम हिंदू हैं, पर हिंदी नहीं! अगर आप महाराष्ट्र पर हिंदी थोपने की कोशिश करेंगे तो संघर्ष अवश्यंभावी है। सरकार यह जानबूझकर टकराव पैदा कर रही है। क्या यह आगामी चुनावों के लिए मराठी बनाम मराठी संघर्ष खड़ा करने की साजिश है?”
उन्होंने कहा कि राज्य की मौजूदा आर्थिक स्थिति खराब है, मराठी युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही है, किसानों की कर्जमाफी नहीं हुई है और उद्योग महाराष्ट्र से दूरी बना रहे हैं। “ऐसे में सरकार लोगों का ध्यान भटकाने के लिए ‘फूट डालो और राज करो’ नीति अपना रही है,” उन्होंने आरोप लगाया।
उन्होंने सवाल किया कि अगर हिंदी इतनी ही जरूरी है तो क्या दक्षिणी राज्यों में भी इसे अनिवार्य किया जाएगा? और अगर नहीं, तो फिर सिर्फ महाराष्ट्र में यह मजबूरी क्यों?
राज ठाकरे ने स्कूल प्रशासन को चेतावनी दी कि वे हिंदी की किताबें स्कूलों में न बांटें और दुकानदारों को भी ऐसी किताबें न बेचने दें। उन्होंने स्पष्ट कहा कि “महाराष्ट्र में केवल मराठी का ही सम्मान होना चाहिए।”
उन्होंने राज्य की जनता, मराठी मीडिया और सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि “बिना किसी बहस के इस फैसले का विरोध करें। अगर सरकार पीछे नहीं हटेगी तो संघर्ष तय है और इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी।”
अंत में उन्होंने कहा, “आज वे भाषा थोप रहे हैं, कल कुछ और थोपेंगे। सरकार को जनभावना का सम्मान करते हुए यह फैसला तुरंत वापस लेना चाहिए।”