मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाजे (Sachin Waze) को भ्रष्टाचार के एक मामले में जमानत दे दी। वाजे मार्च 2022 से जेल में बंद थे। यह मामला महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख और अन्य से जुड़े कथित भ्रष्टाचार से संबंधित है।
न्यायमूर्ति एमएस सोनक और जितेंद्र जैन की पीठ ने वाजे को जमानत दी, जब केंद्र सरकार ने उनकी रिहाई पर कोई आपत्ति न जताते हुए सहमति दी। अदालत ने इस मामले की सुनवाई कर रही विशेष सीबीआई अदालत से जमानत की शर्तें तय करने को कहा है।
हालांकि, वाजे अभी भी जेल में रहेंगे क्योंकि वह एनआईए द्वारा दर्ज एंटीलिया बम कांड मामले में न्यायिक हिरासत में हैं। मंगलवार को केंद्र सरकार के वकील राजा ठाकरे ने हाईकोर्ट के समक्ष बयान दिया कि वाजे की जमानत पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। वाजे ने तलोजा जेल से हाथ से लिखी जमानत याचिका भेजी थी, जिसके बाद हाईकोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता आबाद पोंडा को उनकी ओर से पेश होने को कहा।
वाजे ने तर्क दिया कि वह इस मामले में सरकारी गवाह बन चुके हैं और बाकी आरोपी पहले से ही जमानत पर बाहर हैं। उन्होंने धारा 306(4) का हवाला देते हुए जमानत की मांग की, जो सरकारी गवाह बनने वाले किसी आरोपी को क्षमा प्रदान करने से संबंधित है।
पहले सीबीआई ने वाजे की जमानत याचिका का विरोध किया था, लेकिन बाद में जब एजेंसी ने उनकी रिहाई पर कोई आपत्ति नहीं जताई, तो हाईकोर्ट ने जमानत दे दी। विशेष सीबीआई अदालत ने जून 2022 में वाजे को सरकारी गवाह घोषित किया था।
वाजे 2001 में मुंबई पुलिस के सहायक पुलिस निरीक्षक के पद पर थे, लेकिन उन्हें अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर बम कांड और व्यवसायी मनसुख हिरन की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था। अप्रैल 2021 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सीबीआई को पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग के आरोपों पर अनिल देशमुख की प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया था, जिसके आधार पर सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की थी।
सचिन वाझे पर अंतिलिया विस्फोट मामले में भी गंभीर आरोप हैं। इस मामले में भी उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ है और NIA इस मामले की जांच कर रही है। इसलिए, भले ही उन्हें 100 करोड़ रुपये की वसूली के मामले में जमानत मिल गई हो, लेकिन सचिन वाझे को जेल में ही रहना होगा।
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