सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को टीकाकरण और नसबंदी के बाद छोड़े जाने की अनुमति दी। महाराष्ट्र के नेताओं ने इस फैसले का स्वागत करते हुए जनता की सुरक्षा को प्राथमिकता बताया।
मुंबई,22 अगस्त: सुप्रीम कोर्ट ने अपने 11 अगस्त के आदेश में संशोधन करते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को पकड़कर स्थायी रूप से आश्रय गृहों में रखना अनिवार्य नहीं होगा। अब जिन कुत्तों की नसबंदी, टीकाकरण और कृमिनाशन (डिवार्मिंग) हो चुकी है, उन्हें सुरक्षित रूप से उनके क्षेत्रों में वापस छोड़ा जा सकेगा। हालांकि, आक्रामक या संक्रमित कुत्तों को छोड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
साथ ही, कोर्ट ने सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को खाना खिलाने पर रोक लगाई है और केवल निर्धारित स्थानों पर ही इसकी अनुमति दी है।
🗣 महाराष्ट्र नेताओं की प्रतिक्रिया
बीजेपी विधायक राम कदम ने कहा कि यह आदेश व्यावहारिक और संतुलित है। उन्होंने कहा,“पहले आदेश में कठोरता थी, लेकिन अब संवेदनशीलता और जनता की सुरक्षा दोनों का संतुलन दिखता है।”
शिवसेना नेता मिलिंद देवड़ा ने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा,“मुंबई इस विषय पर देश के लिए आदर्श बन सकता है। सुप्रीम कोर्ट का नया आदेश स्वागत योग्य है।” वहीं संजय निरुपम ने भी आदेश को सकारात्मक बताते हुए कहा कि इससे जन सुरक्षा और पशु अधिकारों के बीच संतुलन बना रहेगा।
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⚖️ जुर्माने और निगरानी की नई व्यवस्था
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि जो लोग या संस्थाएं आवारा कुत्तों को लेकर कदम उठाना चाहती हैं, उन्हें 25,000 रुपये (व्यक्तिगत) और 2 लाख रुपये (NGOs) की जिम्मेदारी की राशि जमा करनी होगी। साथ ही राज्य सरकारों को एक हेल्पलाइन नंबर शुरू करने का आदेश दिया गया है ताकि नियमों के उल्लंघन की रिपोर्ट आसानी से की जा सके। केंद्र और राज्यों को मिलकर एक राष्ट्रीय नीति तैयार करने की प्रक्रिया में तेजी लाने को कहा गया है, क्योंकि देशभर में कुत्तों के काटने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।
🐶पशु अधिकार संगठनों का विरोध जारी
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के पहले आदेश के विरोध में मुंबई में कई पशु प्रेमियों और NGO ने विरोध प्रदर्शन किए थे। 14 अगस्त को कार्टर रोड, 15 अगस्त को आजाद मैदान, और 17 अगस्त को अंधेरी में कैंडल मार्च निकाला गया था। इन संगठनों का मानना है कि सभी कुत्तों को हटाना न केवल अमानवीय है, बल्कि पर्यावरण और सामाजिक संतुलन के लिए भी हानिकारक है। अब नया आदेश कुछ हद तक इन विरोधों को शांत कर सकता है।