वसई के वालिव पुलिस स्टेशन में तैनात PSI संदेश राणे को एक व्यवसायी की जमीन पर जबरन कब्जा दिलाने और झूठा केस दर्ज करने के आरोप में निलंबित कर दिया गया। जांच में गंभीर अनियमितताएं उजागर हुईं।
वसई, 22 अगस्त: वसई (पूर्व) के गोखिवरे क्षेत्र की एक जमीन को लेकर लंबे समय से चल रहे विवाद ने एक नया मोड़ ले लिया है। खार निवासी व्यवसायी दीपक गामी का आरोप है कि उनकी जमीन पर जबरन कब्जा करवाने में पुलिस अधिकारी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गामी के अनुसार, उन्होंने सुरक्षा कारणों से जमीन पर कंटेनर रखवाया था और एक सुरक्षाकर्मी की नियुक्ति की थी, ताकि अनधिकृत प्रवेश से बचा जा सके। लेकिन विवादित पक्ष सुशील जैन की शिकायत पर, पुलिस उपनिरीक्षक (PSI) संदेश राणे ने न केवल कंटेनर हटवाया बल्कि सुरक्षाकर्मी को भी अवैध रूप से हिरासत में ले लिया।
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झूठा केस और प्रशासनिक दबाव के आरोप
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे चौंकाने वाला आरोप यह है कि। PSI राणे ने दीपक गामी के खिलाफ एक झूठा मामला दर्ज कर लिया, जबकि गामी के पास उस जमीन के सभी वैध दस्तावेज मौजूद थे। बताया गया है कि जमीन पर सुशील जैन ने स्वामित्व का दावा किया था, लेकिन कोई स्पष्ट आदेश न होने के बावजूद पुलिस ने एकतरफा कार्रवाई की। गामी ने आरोप लगाया कि पुलिस अधिकारी ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए जैन को जमीन पर कब्जा दिलवा दिया, जिससे न सिर्फ कानूनी प्रक्रिया की अनदेखी हुई, बल्कि नागरिक अधिकारों का भी हनन हुआ।
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शिकायत के बाद तत्काल जांच और कार्रवाई
घटना से परेशान व्यवसायी दीपक गामी ने मुंबई पुलिस आयुक्त से संपर्क कर पूरी घटना की शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में उन्होंने पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई के खिलाफ प्रमाण भी प्रस्तुत किए। इस शिकायत के बाद वसई क्षेत्र के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त दत्तात्रय शिंदे ने मामले की प्राथमिक जांच करवाई, जिसमें राणे की भूमिका संदिग्ध पाई गई। जांच के निष्कर्षों के आधार पर PSI संदेश राणे को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।
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प्रशासन की सख्ती और संदेश
इस घटना ने यह स्पष्ट किया है कि पुलिस प्रशासन अब कानून के उल्लंघन और अधिकारों के दुरुपयोग को लेकर गंभीर रुख अपना रहा है। PSI स्तर के अधिकारी पर इस तरह की कार्रवाई दुर्लभ मानी जाती है, जिससे यह संकेत मिलता है कि पुलिस विभाग अब आंतरिक अनुशासन और जवाबदेही को लेकर सजग है। वहीं, यह मामला यह भी दर्शाता है कि संपत्ति विवाद जैसे संवेदनशील मामलों में निष्पक्षता बनाए रखना और प्रशासनिक शक्ति का न्यायपूर्ण उपयोग करना कितना आवश्यक है।