वसई-विरार, 24 अक्टूबर 2025: वसई-विरार महानगरपालिका इस बार छठ पूजा को पर्यावरण-सम्मत तरीके से मनाने की दिशा में बड़े कदम उठा रही है। नगर आयुक्त मनोजकुमार सूर्यवंशी (भा.प्र.से.) की अध्यक्षता में आज आयोजित सर्वदलीय बैठक में शहर की सुरक्षा, स्वच्छता और नागरिक सुविधाओं पर विस्तार से चर्चा की गई।
बात दें कि बीते कुछ दिनों से वसई विरार में छठ पूजा के मौके पर कृत्रिम तालाबों की भूमिका पर उत्तरभारतीय समाज विरोध जता रहा था। उत्तरभारतीय समाज की भावनाओं का सम्मान करते हुए स्थानीय विधायक स्नेहा दुबे पंडित और विधायक राजन नाईक ने इस दिशा में मनपा कमिश्नर और पालक मंत्री गणेश नाईक से विचार करने और लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए, एक सकारात्मक निर्णय लेने के लिए पत्र लिखा था। जिसको लेकर आज वसई विरार शहर मनपा में तत्काल बैठक आयोजित की गई।
बैठक में बीजेपी नेताओं के साथ, पुलिस उपायुक्त पौर्णिमा चौगुले-श्रींगी, अतिरिक्त आयुक्त दीपक सावंत, और विभिन्न राजनीतिक दलों के पदाधिकारी एवं अधिकारी उपस्थित रहे।
महानगरपालिका आयुक्त ने बताया कि इस वर्ष महानगरपालिका शहर के विभिन्न प्रभागों में कृत्रिम तालाब तैयार कर रही है, ताकि प्राकृतिक जलस्रोतों को प्रदूषण से बचाया जा सके। इसके अलावा समुद्र तटों पर बिजली, स्वच्छता, मंडप, निर्माल्य कलश, बस सेवा और सुरक्षा व्यवस्था की संपूर्ण योजना लागू की जा रही है।
बैठक में उपस्थित जनप्रतिनिधि ने कहा कि छठ पूजा का आयोजन न्यायालय के आदेशों और पर्यावरणीय मानकों के अनुरूप होना चाहिए। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे अपनी आस्था के साथ-साथ पर्यावरण का भी सम्मान करें।
पुलिस उपायुक्त पौर्णिमा चौगुले-श्रींगी ने बताया कि ट्रैफिक और भीड़ नियंत्रण के लिए विशेष पुलिस व्यवस्था की जा रही है, ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।
वसई-विरार महानगरपालिका के पर्यावरण विभाग ने भी एक सार्वजनिक सूचना जारी की है, जिसमें स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि राज्य सरकार और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल के दिशानिर्देशों के अनुसार किसी भी नदी, झील या प्राकृतिक तालाब में मूर्ति विसर्जन नहीं किया जा सकेगा। यह आदेश महाराष्ट्र शासन के 1 अगस्त 2025 के निर्णय के तहत लागू है।
महानगरपालिका ने नागरिकों से अपील की है कि वे:
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एकल उपयोग प्लास्टिक और थर्माकोल का उपयोग न करें।
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निर्माल्य (फूल, पत्ते, पूजा सामग्री) को सीधे पानी में न डालें, बल्कि नगर पालिका द्वारा रखे गए कलशों में डालें।
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विसर्जन के बाद पूजा सामग्री, लकड़ी, पेंढा या कपड़े खुले स्थान पर न फेंके और न जलाएं।
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कृत्रिम तालाबों में ही पूजा और अर्घ्य दें, ताकि प्रदूषण और दुर्घटनाओं से बचा जा सके।
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प्रसाद वितरण के लिए केवल बायोडिग्रेडेबल बर्तन, पत्तल, मिट्टी के कुल्हड़ या साळ के पत्तों का उपयोग करें।
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समुद्र तट पर पूजा केवल नियत क्षेत्र (ओहोटी और भरती रेखा के बीच) में ही की जा सकेगी।
VVCMC आयुक्त ने कहा, “जैसे इस वर्ष शहर ने गणेशोत्सव और नवरात्रोत्सव पर्यावरण पूरक ढंग से मनाए, उसी तरह छठ पूजा भी स्वच्छता, अनुशासन और पर्यावरण के संरक्षण के साथ उत्साहपूर्वक मनाई जाए।”
महानगरपालिका ने चेतावनी दी है कि यदि कोई व्यक्ति या संस्था इन निर्देशों का उल्लंघन करती पाई गई, तो उसके खिलाफ पर्यावरण संरक्षण अधिनियम और महानगरपालिका नियमावली के तहत कार्रवाई की जाएगी।
अंत में महानगरपालिका ने नागरिकों से अपील की है:
“छठ केवल आस्था का पर्व नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है। आइए, इसे हम सब मिलकर स्वच्छ, सुरक्षित और पर्यावरण-सम्मत तरीके से मनाएं।”