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Contempt of Court: अवैध निर्माण पर वसई-विरार महानगरपालिका की ढिलाई, हाईकोर्ट आदेश की खुली अवमानना

Vasai Virar VVCMC Illegal Construction Contempt of Court Case

वसई–विरार। मधुबन टाउनशिप (Vasai East) स्थित सिग्रुण स्प्लेंडर को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी में पिछले तीन वर्षों से जारी अवैध निर्माण, कबूतरों की गंदगी और इसके कारण बढ़ते स्वास्थ्य संकट ने पूरे परिसर के निवासियों का जीवन मुश्किल बना दिया है। वसई पूर्व के निवासी राहुल रंजन मार्च 2022 से लगातार प्रभाग समिति (G) से लेकर वसई-विरार महानगरपालिका मुख्यालय  (VVCMC) तक शिकायतें करते रहे, लेकिन कार्रवाई सिर्फ नोटिस चिपकाने और औपचारिक आश्वासनों तक सीमित रही।

वसई-विरार महानगरपालिका की निष्क्रियता

वसई-विरार महानगरपालिका की यह निष्क्रियता और भी गंभीर हो जाती है, क्योंकि माननीय बॉम्बे हाईकोर्ट ने 24 जुलाई 2025 को एक महत्वपूर्ण आदेश देते हुए कबूतरों की गंदगी और उससे फैलने वाले फेफड़ों के संक्रमण को ‘गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरा’ घोषित किया था। अदालत ने स्पष्ट किया था कि मानव स्वास्थ्य सर्वोपरि है और नगरपालिका/नगर निगमों को कबूतर feeding पर रोक, FIR की कार्रवाई और प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल हस्तक्षेप करना अनिवार्य है।

“तत्काल कार्रवाई” का आदेश

वसई-विरार महानगरपालिका की इसी दीर्घकालीन निष्क्रियता से मज़बूर होकर राहुल रंजन को माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर करनी पड़ी, जिस पर अदालत ने 17 अप्रैल 2025 को वसई-विरार में महानगरपालिका को अवैध निर्माण पर “तत्काल कार्रवाई” का आदेश दिया। लेकिन दो महीनों तक महानगरपालिका ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। जून 2025 में MRTP सुनवाई निर्धारित हुई, पर वह भी सिर्फ दिखावे की प्रक्रिया साबित हुई।

स्वनिष्कासन का निर्देश

जब वसई-विरार महानगरपालिका की ढिलाई लगातार जारी रही, तो राहुल रंजन को मजबूर होकर ‘Contempt of Court – न्यायालय की अवमानना’ की याचिका दायर करनी पड़ी। इस पर 10 सितंबर 2025 को माननीय हाईकोर्ट ने वसई-विरार महानगरपालिका को नोटिस जारी किया। तब जाकर 3 अक्टूबर 2025 को प्रभाग G के सहायक आयुक्त नीलेश म्हात्रे ने MRTP सुनवाई आदेश जारी किया और सभी सम्बंधित अतिक्रमणों को अवैध घोषित कर स्वनिष्कासन का निर्देश जारी किया।

लेकिन फिर भी वास्तविक कार्रवाई नहीं हुई। 10 नवंबर 2025 को VVCMC ने एक और नोटिस चिपकाकर 17 नवंबर को कार्रवाई की बात कही, पर खबर लिखे जाने तक जमीनी स्तर पर कोई भी कार्रवाई नहीं हुई।

उच्च न्यायालय के आदेशों की खुली अवमानना

वसई-विरार महानगरपालिका का यह रवैया न केवल माननीय उच्च न्यायालय के 17 अप्रैल 2025 के आदेशों की खुली अवमानना है, बल्कि नागरिकों के स्वास्थ्य, जीवन और अधिकारों के प्रति असंवेदनशीलता का गंभीर उदाहरण भी है।

अवैध निर्माण, बढ़ता स्वास्थ्य खतरा,और न्यायालय के दो टूक निर्देश…फिर भी वसई-विरार महानगरपालिका का मूकदर्शक बने रहना यह बड़ा सवाल खड़ा करता है-कौन सी ऐसी शक्ति है जो वसई-विरार शहर महानगरपालिका को कार्रवाई से रोक रहा है?

यह पूरा प्रकरण नागरिकों के भरोसे को तोड़ने के साथ-साथ न्यायालयीय आदेशों की गरिमा और प्रशासनिक जवाबदेही पर भी गहरा और चिंताजनक प्रश्नचिह्न लगा देता है।


“कार्रवाई शून्य, बहाने सौ…” — याचिकाकर्ता का तीखा सवाल

अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए याचिकाकर्ता राहुल रंजन कहते हैं—
“तीन साल से मैं यही कह रहा हूँ—अवैध निर्माण और कबूतरों की गंदगी हमारी साँसों पर हमला कर रही है। लेकिन VVCMC की कार्यशैली देखिए… कार्रवाई शून्य, बहाने सौ। माननीय उच्च न्यायलय के साफ आदेश भी इन पर असर नहीं करते! लगता है नागरिकों की जिंदगी इनके लिए सिर्फ एक संख्या है। कौन-सी ताकतें VVCMC को आँखें मूँदने पर मजबूर कर रही हैं? कब तक सेहत राजनीतिक संरक्षण के नीचे कुचली जाएगी?”


हाईकोर्ट: कबूतरों की गंदगी ‘गंभीर स्वास्थ्य खतरा’, तत्काल कार्रवाई आवश्यक

24 जुलाई 2025 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने कबूतरों की गंदगी और उससे फैलने वाले फेफड़ों के संक्रमण को ‘गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरा’ बताते हुए:

  • कबूतर feeding पर रोक

  • FIR की कार्रवाई

  • प्रभावित इलाकों में तुरंत हस्तक्षेप

के स्पष्ट निर्देश दिए थे।

इसके बावजूद वसई-विरार महानगरपालिका की कार्यप्रणाली में कोई ठोस बदलाव दिखाई नहीं दिया।


17 अप्रैल 2025: हाईकोर्ट ने दिया था अवैध निर्माण पर “तत्काल कार्रवाई” का आदेश

लगातार शिकायतों के बाद राहुल रंजन को हाईकोर्ट में याचिका दायर करनी पड़ी, जिसके बाद अदालत ने 17 अप्रैल 2025 को VVCMC को अवैध निर्माण पर तुरंत कार्रवाई का आदेश दिया।

लेकिन दो महीनों तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
जून 2025 में हुई MRTP सुनवाई भी सिर्फ औपचारिकता साबित हुई।


ढिलाई जारी, तो दायर की गई Contempt Petition

वसई-विरार महानगरपालिका की लगातार निष्क्रियता से तंग आकर राहुल रंजन ने Contempt of Court — न्यायालय की अवमानना याचिका दाखिल की।

10 सितंबर 2025—हाईकोर्ट ने VVCMC को नोटिस जारी किया।
3 अक्टूबर 2025—सहायक आयुक्त नीलेश म्हात्रे ने MRTP सुनवाई आदेश निकालकर सभी अतिक्रमणों को अवैध घोषित किया और स्वनिष्कासन का निर्देश जारी किया।


10 नवंबर 2025: एक और नोटिस… पर जमीनी कार्रवाई शून्य

10 नवंबर 2025 को VVCMC ने 17 नवंबर की कार्रवाई तारीख के साथ नोटिस चिपकाया, लेकिन खबर लिखे जाने तक कोई भी वास्तविक कार्रवाई नहीं की गई।


⚠️ बड़ा सवाल—VVCMC को कार्रवाई से कौन रोक रहा है?

  • हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश

  • स्वास्थ्य का बढ़ता खतरा

  • अवैध निर्माण का विस्तार

  • नागरिकों की लगातार शिकायतें

फिर भी VVCMC का निष्क्रिय रहना गंभीर प्रशासनिक सवाल खड़ा करता है।


नागरिकों का भरोसा टूटा, न्यायपालिका की गरिमा को चुनौती

यह पूरा प्रकरण न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही दर्शाता है, बल्कि—

  • न्यायालयीय आदेशों की अवहेलना

  • नागरिक जीवन और स्वास्थ्य के प्रति उदासीनता

  • जवाबदेही की कमी

का भी बड़ा उदाहरण है।

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