वसई–विरार अवैध निर्माण घोटाले में ED ने पूर्व आयुक्त अनिल पवार, सीताराम गुप्ता और अन्य की ₹71 करोड़ की अचल संपत्तियां अस्थायी रूप से जब्त कीं। जांच में 41 अवैध इमारतें, रिश्वतखोरी और मनी लॉन्ड्रिंग के कई खुलासे सामने आए। अब तक कुल जप्त राशि लगभग ₹161 करोड़ है और जांच जारी है।
मुंबई | 14 अक्टूबर 2025: डायरेक्टरेट ऑफ एन्फोर्समेंट (ED), मुंबई ज़ोनल ऑफिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए अनिल पवार, सीताराम गुप्ता और अन्य के नाम पर ₹71 करोड़ की अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से अटैच किया है। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत की गई है।
🏢 41 अवैध इमारतों से शुरू हुआ पूरा मामला
ED ने यह जांच मिरा-भायंदर पुलिस आयुक्तालय द्वारा दर्ज की गई कई FIRs के आधार पर शुरू की। मामला वसई–विरार नगर निगम (VVCMC) क्षेत्र में सरकारी व निजी जमीन पर अवैध रूप से आवासीय और व्यावसायिक इमारतों के निर्माण से संबंधित है।
साल 2009 से अब तक “सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट” और “डंपिंग ग्राउंड” के लिए आरक्षित भूमि पर कुल 41 अवैध इमारतें बनाई गई थीं। यह निर्माण वसई–विरार के अनुमोदित विकास योजना के विपरीत था।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 8 जुलाई 2024 को सभी इमारतों को तोड़ने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका खारिज होने के बाद 20 फरवरी 2025 को VVCMC द्वारा विध्वंस की कार्रवाई पूरी की गई।
🧰 नगर निगम अधिकारियों और बिल्डरों का गठजोड़ उजागर
ED की जांच में सामने आया कि VVCMC के वरिष्ठ अधिकारी, टाउन प्लानर, जूनियर इंजीनियर, आर्किटेक्ट, चार्टर्ड अकाउंटेंट और लायज़नर एक संगठित कार्टेल की तरह काम कर रहे थे।
यह समूह अवैध निर्माण को सुरक्षा देने, उसे वैध दिखाने और कमीशन वसूलने में शामिल था। प्रत्येक अवैध निर्माण पर ₹150 प्रति वर्ग फुट की फिक्स कमीशन दर तय की गई, जिसमें से ₹50 प्रति वर्ग फुट की राशि सीधे अनिल पवार को दी जाती थी।
🏗️ टाउन प्लानिंग विभाग में भी तय हुई कमीशन दर
ED की जांच में यह भी सामने आया कि VVCMC के कमिश्नर बनने के बाद अनिल पवार ने टाउन प्लानिंग विभाग में भी रिश्वत की दरें तय कीं।
शहरी क्षेत्र में विकास अनुमति देने के लिए ₹20–25 प्रति वर्ग फुट और ग्रीन जोन में ₹62 प्रति वर्ग फुट की दर पर रिश्वत ली जाती थी। इन पैसों के बदले अवैध निर्माणों को मंजूरी दी जाती थी।
💰 ₹169 करोड़ की अवैध कमाई (POC) का खुलासा
जांच में पाया गया कि अनिल पवार ने इन तरीकों से कुल ₹169 करोड़ की अवैध कमाई की। 13 जुलाई 2025 को अनिल पवार और तीन अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
10 अक्टूबर 2025 को विशेष PMLA कोर्ट में इस मामले में प्रॉसिक्यूशन शिकायत दाखिल की गई। सभी आरोपी वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं।
🧾 परिवार के नाम पर संपत्ति में निवेश कर काला धन सफेद
ED ने बताया कि अनिल पवार ने अपनी अवैध कमाई को छिपाने के लिए परिवार, रिश्तेदारों और बेनामी व्यक्तियों के नाम पर कई संस्थाएं बनाई और निवेश किया।
उन्होंने हीरे-जवाहरात, मोती जड़े आभूषण, महंगे परिधान, गोदामों, फार्महाउसों और हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में भारी निवेश किया। लगभग ₹44 करोड़ की संपत्तियां उनकी पत्नी, बेटियों और रिश्तेदारों के नाम पर खरीदी गईं, जिन्हें अब ED ने अटैच कर लिया है।
💎 पहले भी ₹45 करोड़ की संपत्ति जब्त हो चुकी
इससे पहले ED ने छापेमारी के दौरान ₹8.94 करोड़ की नकदी, ₹23.25 करोड़ मूल्य के हीरे-जवाहरात और बुलियन तथा ₹13.86 करोड़ के बैंक खाते व FD को फ्रीज़ किया था।
ताज़ा कार्रवाई में ₹71 करोड़ की अचल संपत्तियों को भी अटैच कर लिया गया है।
📝 आगे की जांच जारी
ED ने कहा है कि इस घोटाले से जुड़े कई और पहलुओं की जांच जारी है। आने वाले समय में और बड़े नामों व फर्जी कंपनियों का खुलासा हो सकता है।
📌 मुख्य तथ्य
- मामला: वसई–विरार अवैध निर्माण घोटाला
- मुख्य आरोपी: अनिल पवार (पूर्व आयुक्त, VVCMC) व अन्य
- कुल अवैध कमाई: ₹169 करोड़
- ताज़ा जब्ती: ₹71 करोड़
- रिश्वत दर: ₹150/वर्ग फुट (₹50 पवार का हिस्सा)
- न्यायिक स्थिति: सभी आरोपी न्यायिक हिरासत में, मामला विशेष PMLA कोर्ट में