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Tushar Gandhi vs Prakash Ambedkar : तुषार गांधी का सियासी धमाका, कहा वंचित बहुजन आघाडी को वोट न दें

Tushar Gandhi vs Prakash Ambedkar : महाविकास अघाडी के साथ सीट बंटवारे को लेकर बातचीत विफल होने के बाद वंचित बहुजन अघाडी के प्रमुख प्रकाश अंबेडकर ने घोषणा की कि वह स्वतंत्र रूप से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। इतना ही नहीं उन्होंने महाविकास अघाडी के उम्मीदवारों के खिलाफ उम्मीदवार भी उतारे. महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने उनके इस रुख की कड़ी आलोचना की.

अंबेडकर बनाम गांधी- वैचारिक मतभेद फिर सुर्खियों में

महाविकास अघाडी के साथ सीट बंटवारे को लेकर बातचीत विफल होने के बाद वंचित बहुजन अघाडी के प्रमुख प्रकाश अंबेडकर ने घोषणा की कि वह स्वतंत्र रूप से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। इतना ही नहीं उन्होंने माविआ के उम्मीदवारों के खिलाफ उम्मीदवार भी उतारे. महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने उनके इस रुख की कड़ी आलोचना की है. तुषार गांधी ने वंचित बहुजन अघाडी को वोट न देने की अपील करते हुए कहा है कि प्रकाश अंबेडकर की भूमिका से केवल भारतीय जनता पार्टी को फायदा होगा.

महात्मा गांधी के प्रपौत्र ने क्या कहा?

देश में इस समय राष्ट्रीय स्तर पर INDIA बनाम NDA की लड़ाई चल रही है। राज्य में महाविकास अघाडी बनाम महायुति का मुकाबला होना चाहिए. संभव है कि प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी अलग समझौतापरस्त मोर्चा बनाकर कुछ हद तक राजनीति को प्रभावित करने में सफ़ल जाएँ,इसी पृष्ठभूमि में महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने मतदाताओं से अपील की है.

तुषार गांधी ने सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन पर हमला बोलते हुए कहा, “भाजपा के गठबंधन को गद्दारों का गठबंधन कहा जाना चाहिए। इस गद्दार गठबंधन को हराने के लिए महा विकास अघाड़ी को जीतना होगा। इसके लिए AIMIM(असदुद्दीन ओवैसी) और VBA(प्रकाश आंबेडकर) को वोट न दें।”

गांधी ने आगे कहा, “चाहे हमारी दोस्ती कितनी भी अच्छी क्यों न हो,अब गलती को गलती बताने का समय आ गया है। जो गलती इन्होने पहले की थी वही गलती दोबारा भी की जा सकती है। ये लड़ाई लोकतंत्र बनाम तानाशाही है, ये संविधान बचाने की लड़ाई है. डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा दिए गए संविधान को बचाना है तो यह आखिरी मौका है।”

तुषार गांधी पर वंचित बहुजन अघाड़ी का पलटवार

वहीं, वंचित बहुजन अघाड़ी ने भी तुषार गांधी पर पलटवार किया है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सिद्धार्थ मोकाले ने कहा, “स्थापित पार्टियां और उन पार्टियों की राजनीति में मदद करने वाले उनके सहयोगी लगातार कोशिश करते रहे हैं कि शोषितों और वंचितों की राजनीति को खड़ा न होने दिया जाए। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के लिए भी ऐसा ही विरोध किया गया था कि वह अंग्रेजों की देन है। यही नैरेटिव अब प्रकाश आंबेडकर के बारे में भी इस्तेमाल किया जा रहा है। प्रकाश आंबेडकर उन तत्वों को मुख्यधारा में लाना चाहते हैं, जिन्हें राजनीति में आने नहीं दिया जाता, जिन्हें लोकतंत्र तक पहुंचने नहीं जाता।”

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