Maharashtra Politics Pawar Family : एनसीपी मे टुट के बाद अब पवार परिवार दो फाड़,पहली बार चाचा शरद पवार और भतीजे अजित ने अलग-अलग मनाया “दिवाली पाड़वा”
पहली बार चाचा शरद पवार और भतीजे अजित ने अलग-अलग मनाया "दिवाली पाड़वा"
Maharashtra Politics Pawar Family : पहली बार पवार परिवार ने दीवाली पड़वा अलग-अलग मनाने का फैसला किया। अपने पोते और बारामती से एनसीपी (SCP) उम्मीदवार युगेंद्र पवार का प्रचार करने पहुंचे शरद पवार ने गोविंद बाग में ये त्योहार मनाया जबकि उपमुख्यमंत्री और एनसीपी प्रमुख अजित पवार अपनी पत्नी और सांसद सुनेत्रा पवार और दो बेटों पार्थ और जय के साथ कटयाची वाड़ी में जश्न मनाने पहुंचे।
- राजनीतिक दरार के बाद पहली बार पवार परिवार ने अलग अलग मनाया दीवाली पाड़वा।
- चाचा और भतीजे दोनों ने एक-दूसरे की आलोचना करके अपने चुनावी अभियान की शुरुआत की।
Maharashtra Politics Pawar Family : चाचा शरद पवार और भतीजे अजित पवार राजनीतिक रूप से तो पहले ही विभाजित हो चुके हैं, लेकिन अब दोनों परिवार में पहली बार खुलकर फुट देखने को मिला है। ये नजारा तब देखने को मिला जब जब दोनों परिवारों ने दीवाली पाड़वा अलग-अलग अलग-अलग मनाया।
अपने पोते और बारामती से एनसीपी (SCP) उम्मीदवार युगेंद्र पवार का प्रचार करने पहुंचे शरद पवार ने गोविंद बाग में ये त्योहार मनाया, जबकि उपमुख्यमंत्री और एनसीपी प्रमुख अजित पवार अपनी पत्नी और सांसद सुनेत्रा पवार और दो बेटों पार्थ और जय के साथ कटयाची वाड़ी में जश्न मनाने पहुंचे।
बारामती की जनता के लिए भी पेशोपेश जैसी स्थिति
पार्टी में दरार से पहले हर वर्ष, शरद पवार और अजित पवार गोविंद बाग में दीवाली पाड़वा के दौरान लोगों से मिलते थे। बारामती की जनता के लिए भी ये मुश्किल समय था, क्योंकि शरद पवार और अजित पवार दोनों में से एक को चुनना लोगों के लिए मुश्किल था। हालांकि, उनमें से कुछ ने दोनों नेताओं से मिलने और उन्हें बधाई देते नज़र आये।
चुनावी अभियान में दोनों ने की एक-दूसरे की कटु आलोचना
पवार परिवार में अलग-अलग त्योहार मनाना ये संकेत भी देता है कि शरद पवार और अजित पवार के बीच कुछ भी ठीक नहीं है। दोनों ने एक-दूसरे की आलोचना करके अपने अपने चुनावी अभियान की भी शुरुआत की।
भविष्य में भी “दिवाली पाड़वा” अलग-अलग मनाएंगेः अजित पवार के बेटे पार्थ पवार
अजित पवार के बेटे पार्थ ने कहा कि कार्यकर्ताओं ने महसूस किया कि हमें अलग से दीवाली पड़वा मनाना चाहिए और अजित दादा ने उसी के अनुसार निर्णय लिया। भविष्य में भी ऐसा ही किया जाएगा। अगर दीवाली पाड़वा एक साथ मनाई जाती तो यह चल रहे विधानसभा चुनाव अभियान के बीच लोगों में भ्रम पैदा कर देता।
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