वर्सोवा की 24 साल की युवती नौकरी के लिए अबू धाबी गई थी, लेकिन वहां उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया। इलाज के बाद उसे चुपचाप भारत भेज दिया गया, वो न चल सकती है, न बोल सकती है। माँ ने कई लोगों पर शोषण और साजिश का आरोप लगाया है।
मुंबई,10 जुलाई : मुंबई की एक 24 वर्षीय युवती अबू धाबी में बेहतर जीवन की तलाश में गई थी, लेकिन वहाँ उसे घरेलू नौकर की तरह काम कराया गया और बुरी तरह शोषण किया गया। माँ का आरोप है कि उसकी बेटी को कई बार घर बदले गए और काम के बदले कोई पैसे नहीं दिए गए। एक समय उसे मैकडोनाल्ड्स में नौकरी दी गई, लेकिन वहाँ भी उसे मानसिक रूप से परेशान किया गया।
अक्टूबर 2024 में युवती बेहोश पाई गई और अस्पताल में भर्ती कराई गई। परिवार को बताया गया कि उसने नींद की गोलियाँ खा लीं, लेकिन शरीर पर चोटों के निशान थे। इलाज के बाद जून 2025 में उसे भारत भेजा गया, वो भी बिना पासपोर्ट और किसी जानकारी के। मुंबई में उसे बिना किसी डॉक्टर या परिजन के अस्पताल छोड़ा गया।
परिवार ने आरोप लगाया है कि उनकी बेटी के साथ दुर्व्यवहार और संभवतः यौन शोषण भी हुआ है। माँ ने भारत और UAE सरकार से न्याय की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी को बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के डिपोर्ट किया गया और अब अस्पताल में भी इलाज की सुविधा कम दी जा रही है। उन्होंने मामले की गहराई से जांच और दोषियों को सज़ा देने की माँग की है।
वर्सोवा की एक 24 वर्षीय युवती को नौकरी के नाम पर अबू धाबी भेजा गया था, लेकिन उसके साथ वहाँ जो हुआ, उसने पूरे परिवार को झकझोर कर रख दिया है। आज वह युवती न चल सकती है, न बोल सकती है। माँ का आरोप है कि बेटी को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया और चुपचाप भारत भेज दिया गया।
⚠️ नौकरी का सपना, शोषण का सच
पीड़िता को घरेलू काम के नाम पर कई घरों में भेजा गया, लेकिन किसी भी स्थान पर वेतन नहीं दिया गया। एक समय उसे अबू धाबी के मैकडोनाल्ड्स में काम पर रखा गया, लेकिन वहाँ भी उसे मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी।
🏥 बेहोशी, चोटें और रहस्यमयी वापसी
अक्टूबर 2024 में युवती बेहोशी की हालत में अस्पताल में भर्ती कराई गई थी। वहां कहा गया कि उसने नींद की गोलियां खा ली थीं, लेकिन उसके शरीर पर चोटों के स्पष्ट निशान थे। परिवार का आरोप है कि उसे बिना जानकारी और पासपोर्ट के जून 2025 में भारत भेज दिया गया।
🇮🇳 मुंबई में भी संवेदनहीनता
युवती को भारत पहुंचने के बाद बिना परिजनों और डॉक्टर की निगरानी के सीधे अस्पताल छोड़ दिया गया। माँ का कहना है कि अब अस्पताल भी इलाज में पूरा सहयोग नहीं दे रहा है और मामला दबाने की कोशिश की जा रही है।
🗣 माँ का आरोप और न्याय की मांग
माँ ने कहा:
“मेरी बेटी के साथ मानसिक, शारीरिक और शायद यौन शोषण हुआ है। उसे जबरन चुपचाप वापस भेजा गया और अब सब चुप हैं। मुझे न्याय चाहिए।”
🔍 माँग की गई जाँच और दंड
परिवार ने इस मामले में भारत सरकार, विदेश मंत्रालय और यूएई प्रशासन से निष्पक्ष जांच की माँग की है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि बिना पासपोर्ट और प्रक्रिया के डिपोर्ट कैसे किया गया? यदि भारत की बेटियों के साथ विदेशों में यह होता है, तो सरकार की ज़िम्मेदारी बनती है कि वह कार्रवाई करे।
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