बोईसर में बिजली संकट से जनजीवन अस्त-व्यस्त, महावितरण की तैयारियों पर उठे सवाल
पालघर जिले के बोईसर, वानगांव और आसपास के इलाकों में इन दिनों बिजली संकट गहराता जा रहा है। 10 से 12 घंटे तक की अघोषित बिजली कटौती ने आम लोगों की जिंदगी को मुश्किल बना दिया है। तेज गर्मी, सूखते पानी के टैंक और रातभर का अंधेरा अब यहां की रोज की समस्या बन चुकी है।
– समस्या में बेहाल लोग
इन इलाकों में तापमान लगातार बढ़ रहा है और ऐसे में बिजली न होने से पंखे, कूलर और एसी जैसे उपकरण बंद हो जाते हैं। इन्वर्टर भी इतनी लंबी कटौती में जवाब दे देते हैं। खासकर बुजुर्गों, बच्चों और बीमार लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
बिजली नहीं होने से पानी की मोटर भी बंद पड़ी रहती है, जिससे टंकियों में पानी नहीं भर पा रहा है। नतीजा यह है कि कई घरों में पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं है।
– महावितरण के दावे खोखले
महावितरण ने मानसून से पहले सभी जरूरी मरम्मत और ट्रांसफॉर्मर जांच पूरी होने का दावा किया था, लेकिन वर्तमान स्थिति ने इन दावों की पोल खोल दी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सिर्फ औपचारिक बयानबाज़ी थी, जमीनी स्तर पर कोई ठोस काम नहीं हुआ।
स्थानीय निवासी यह भी आरोप लगा रहे हैं कि तारापुर एमआईडीसी जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति सामान्य है, जबकि रिहायशी इलाकों में लोगों को अंधेरे में रखा जा रहा है। इससे लोगों में भारी असंतोष है।
– हेल्पलाइन पर नहीं मिलता जवाब
महावितरण की हेल्पलाइन या स्थानीय कार्यालयों में शिकायत दर्ज कराना भी मुश्किल हो गया है। कई लोगों ने बताया कि कॉल करने पर फोन नहीं उठाया जाता या फिर संतोषजनक जवाब नहीं मिलता।
– क्या चाहते हैं लोग?
स्थानीय नागरिकों और समाजसेवियों की मांग है कि – बिजली कटौती का स्पष्ट शेड्यूल जारी किया जाए,तकनीकी समस्याओं को तुरंत सुलझाया जाए,रिहायशी इलाकों को भी प्राथमिकता दी जाए,हेल्पलाइन को सक्रिय और जवाबदेह बनाया जाए।
बोईसर और आसपास के क्षेत्रों में बिजली संकट ने आम जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। महावितरण को अब अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए त्वरित और स्थायी समाधान देना चाहिए, ताकि लोगों को गर्मी और परेशानी से राहत मिल सके।