Brijesh Yadav Mumbai Nalasopara: धूमधाम से मनाया गया सुप्रसिद्ध समाजसेवी बृजेश यादव का जन्मदिन
नालासोपारा : वसई विरार शहर के सुप्रसिद्ध समाजसेवी और बी के फाउंडेशन के उपाध्यक्ष बृजेश यादव (Brijesh Yadav Mumbai Nalasopara) का जन्मदिन आज बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया।
नालासोपारा पूर्व स्थित बाबा बादशाह अपार्टमेंट, मोरेगांव स्थित उनके कार्यालय प्रांगण में सर्वप्रथम 78वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर झंडोत्तोलन किया गया। तत्पश्चात नन्हे मुन्ने बच्चों ने देशभक्ति से ओत–प्रोत सुंदर प्रस्तुतियां दी जिससे परिसर देशभक्ति के रंग में रंग गया।
बच्चों के कार्यक्रम के पश्चात केक काटकर बृजेश यादव का जन्मदिन मनाया गया। इस मौके पर बड़ी संख्या में समाजसेवी, नेता, पत्रकार और शुभचिंतकों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। जिन्होंने ऊके जन्मदिन पर उन्हें शुभकामनायें देते हुए प्रभु से उन्हें चिरंजीवी होने की प्रार्थना की.
फाउंडेशन का अद्वितीय कार्य
अपनी सामाजिक संस्था के बी.के. फाऊंडेशन के माध्यम से समाज के वंचित वर्ग को सहायता प्रदान करना व समाज मे होने वाले हर तरह के कार्यक्रमों मे उनकीसराहनीय भूमिका हमेशा ही अग्रणी देनदारों की रहती है। इस वर्ष भी 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर उनके कार्यालय नालासोपारा पूर्व जिजाईनगर मोरेगांव मे सुबह 9 बजे से झंडारोहण के बाद नागरिकों के लिए स्वास्थ्य चिकित्सा संबंधित एक आरोग्य शिबिर रखा गया है,जिसमे नागरिकों से अपील की गयी है, कि मौसमी बिमारियों से बचने के लिए रक्तजांच औषधि व आंखो के लिए मुफ्त चश्मा उपलब्ध कराया जाऐगा, स्थानीय लोगो के लिए शिबिर मे किसी प्रकार की असुविधा ना हो इसलिए उनके लिए अल्पाहार की समुचित व्यवस्था की गयी है।
कौन हैं बृजेश यादव ?
कहते हैं कि धरती वीरों से खाली नहीं… तो धरती के उन्हीं वीरों में शुमार उत्तर प्रदेश के लाल और मुंबई के वसई विरार शहर में रह रहे उत्तरभारतीयों के हितचिंतक और समाजसेवा की अंक तालिका के शिखर पर अग्रसर नाम है बृजेश यादव…| जिन्होंने अपने जीवन की संघर्षमय यात्रा का दंश याद करते हुए सफलता की सीढ़ियां चढ़ीं और अब उसी संघर्षमय यात्रा के सफर में उलझ रहे समाज के विभिन्न वर्ग के लिए मदद का हाथ बढ़ा रहे हैं और निस्वार्थ भाव से अनवरत समाजसेवा किये जा रहे हैं। कोरोनाकाल के दिनों में जब लोग कोरोना की आहट मात्र से शहर से पलायन कर जा रहे थे, संकट की उस घडी में बृजेश यादव हजारों परिवारों के लिए सहारा बने रहे. जिसकी आज समाज हमेशा चर्चा करता ही रहता है. समाज के हर वर्ग के साथ कंधे से कंधा मिलकर सभी सामाजिक, धार्मिक आयोजनों – प्रायोजनों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते आ रहे हैं, जिसकी चहुंओर चर्चा होना तो लाजमी है. ऐसे में आज उनके जन्मदिन पर लोगों का प्यार उनके लिए छलकता दिखा।
संघर्षमय रहा जीवन
मूलतः उ.प्र. के आजमगढ़ जिले के मध्यमवर्गीय किसान खिलाड़ी यादव के घर 15 अगस्त 1980 मे जन्मे बृजेश यादव दो तीन भाइयों व दो बहनों मे मझले है,बता दे कि बृजेश यादव का प्रारंभिक जीवन की बहुत ही संघर्षमय रहा है, इसी कारणवश अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़कर मुंबई आना पड़ा, मुंबई आने पर भी उनकी राह आसान नही थी कोई शौकिया या फिर नौकरी के बड़े ख्वाब तो नहीं थे, लेकिन उनकी संघर्षमय यात्रा अपने परिवार माता पिता और भाईयों को गरीबी से उबारकर एक सम्मानीय परिवार के रूप मे स्थापित करना बस यही एकमात्र उनका स्वप्न था। कहते है कि ‘होनहार बिरवान के होत चिकने पात’ तो बस उनकी जी तोड़ मेहनत और उनके प्रबल भाग्य ने उनकी सारी महत्वाकांक्षाओं को पूर्ण कर दिया ।
बृजेश यादव कहते है, “हमने किताब की भाषा तो नहीं पढ़ी है, पर मन की भाषा का मुझे ज्ञान जरूर है” एक साधारण सी नौकरी और उनकी कर्तव्यपरायणता से उनके भाग्य के रास्ते खुलते गये और एक दिन ऐसा भी आया कि वो अपने उद्देश्य मे कामयाब हो गये।
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