मुंबई/मीरा-भाइंदर (Metro City Samachar): दहिसर टोल प्लाज़ा को शिफ्ट करने का बहुचर्चित निर्णय एक बार फिर अधर में लटक गया है। कुछ महीनों पहले उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में हुई बैठक में टोल हटाने का निर्णय लिया गया था और आश्वासन दिया गया था कि दीवाली से पहले इसे दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया जाएगा। लेकिन दीवाली भी बीत चुकी है और जमीन पर कोई काम शुरू नहीं हुआ है।
नई जगह तय न हो पाने से यह फैसला लगातार अटका हुआ है और अब यह स्पष्ट हो गया है कि MSRDC और NHAI के बीच ज़िम्मेदारी को लेकर खुला टकराव चल रहा है।
✅ NHAI ने MSRDC का प्रस्ताव खारिज किया
MSRDC ने दहिसर टोल को वर्सोवा ब्रिज के पास शिफ्ट करने का प्रस्ताव किया था, जिसे NHAI ने आधिकारिक रूप से खारिज कर दिया।
NHAI ने कहा कि —
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MSRDC का प्रस्ताव राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल निर्धारण और वसूली संबंधी नियमों के अनुरूप नहीं है। 
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जब प्रस्ताव MSRDC का है, तो नई जगह चुनना भी उसी को करना चाहिए। 
MSRDC का कहना है कि उसने NHAI से ही नई जगह सुझाने का अनुरोध किया है, लेकिन NHAI यह ज़िम्मेदारी लेने से इनकार कर रहा है।
✅ स्थानीय विरोध और राजनीतिक दबाव से भी फँसा मामला
MSRDC पहले दहिसर टोल को भायंदर क्रीक की तरफ ले जाने की कोशिश कर चुका है, लेकिन पालघर के संरक्षक मंत्री गणेश नाईक सहित कई स्थानीय नेताओं के कड़े विरोध के कारण यह प्रस्ताव रद्द हो गया।
इसके बाद MSRDC नई जगह खोजने में असफल रहा है।
✅ ट्रैफिक की समस्या जस की तस – दिनभर जाम, पीक ऑवर में 20–25 मिनट की देरी
दहिसर टोल प्लाज़ा मुंबई–अहमदाबाद हाईवे पर सबसे भीड़भाड़ वाले पॉइंट में गिना जाता है।
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दो ट्रैफिक सिग्नल 
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मेट्रो लाइन 9 का स्टेशन 
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रोज़ाना भारी वाहनों की आवाजाही 
इन कारणों से यहां हमेशा जाम की स्थिति रहती है। पीक ऑवर में टोल पार करने में 20 से 25 मिनट तक लग जाते हैं।
MSRDC का तर्क है कि टोल शिफ्ट करना ट्रैफिक कम करने के लिए जरूरी है, लेकिन राजनीतिक विरोध और एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी से योजना आगे नहीं बढ़ पा रही।
✅ संयुक्त निरीक्षण भी बेनतीजा
हाल ही में परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक की उपस्थिति में NHAI, MSRDC और अन्य एजेंसियों ने संयुक्त साइट निरीक्षण किया, लेकिन कोई निर्णय नहीं हो सका।
✅ दहिसर टोल शिफ्ट का फैसला फिलहाल पूरी तरह रुका हुआ है।
✅ NHAI ने MSRDC का प्रस्ताव खारिज कर दिया है।
✅ नई जगह तय करने में कोई प्रगति नहीं हुई है।
✅ राजनीतिक विरोध, तकनीकी मानदंड और एजेंसियों के बीच टकराव के कारण परियोजना अनिश्चितकाल तक टल सकती है।
जनता की रोज़मर्रा की परेशानी और भारी जाम के बावजूद यह मामला अभी समाधान से काफी दूर है।
 
                                                                                                                                                 
				             
				             
				             
				             
                             
                                         
				             
				             
				             
 
			         
 
			         
 
			        