जैन समाज ने पर्युषण पर्व के दौरान 9 दिन तक पशु वध पर रोक लगाने की मांग की। हाईकोर्ट ने पूछा,क्या बाकी धर्म भी त्योहारों पर ऐसी मांग करेंगे?
मुंबई,7 जुलाई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को जैन समाज की उस याचिका पर सवाल उठाया, जिसमें पर्युषण पर्व के 9 दिन तक जानवरों की हत्या (वध) पर रोक लगाने की मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा कि अगर एक धर्म के लिए 9 दिन वध पर रोक लगाई गई, तो बाकी धर्म भी अपने त्योहारों के समय ऐसे आदेश मांग सकते हैं।
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जैन समाज के ट्रस्ट ने मुंबई, नासिक और पुणे महानगरपालिकाओं द्वारा सिर्फ एक दिन वध बंदी के फैसले को चुनौती दी थी। ट्रस्ट ने बताया कि यह पर्व अहिंसा और शांति का प्रतीक है, और इन दिनों वध से धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं। लेकिन कोर्ट ने पूछा कि क्या वह ऐसा आदेश दे सकती है जबकि सरकार पहले ही साल में 15 दिन वध पर रोक तय कर चुकी है।
कोर्ट ने मुंबई, नासिक, पुणे और मीरा-भायंदर नगरपालिकाओं से कहा है कि वे जैन समाज की मांग पर विचार करें और 18 अगस्त तक जवाब दें। कोर्ट ने यह भी कहा कि वधशालाएं बंद करने का कोई कानूनी आधार होना चाहिए, केवल धार्मिक कारणों से नहीं।